गुजरात के अहमदाबाद में एअर इंडिया का एक विमान हादसे का शिकार हो गया. इस विमान में 242 लोग सवार थे. इसमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपानी भी सवार थे. पूरे विमान में एक यात्री को छोड़कर सबकी मौत की खबर है. इसमें पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपानी भी हैं. रूपानी का पूरा नाम विजयभाई रमणिकलालभाई रूपानी (जन्म 2 अगस्त 1956 - 12 जून 2025) था जो कि राजनेता थे, जिन्होंने 2016 से 2021 तक दो कार्यकालों के लिए गुजरात के 16वें मुख्यमंत्री के रूप में काम किया. वे राजकोट पश्चिम का प्रतिनिधित्व करते हुए गुजरात विधानसभा के सदस्य थे. वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य थे. रूपानी को गुजरात में कृषि के क्षेत्र में किए गए बड़े काम के लिए जाना जाता है. इसी में एक काम है कृषि विविधीकरण योजना-2021 का.
इस योजना को गुजरात के लिए गेमचेंजर बताया जाता है क्योंकि इससे प्रदेश के हजारों किसानों को लाभ मिल रहा है. इस योजना को गुजरात के आदिवासी इलाके के लिए शुरू किया गया ताकि खेती को टिकाऊ और लाभ का सौदा बनाया जा सके. खेती में विविधीकरण का प्रचलन उसी योजना के बाद तेजी से आगे बढ़ा. इस योजना का ही फायदा है जो गुजरात के 14 आदिवासी जिलों में तकरीबन 1.5 लाख किसानों को लाभ मिल रहा है. इन किसानों को वनबंधु किसान कहा जाता है.
इस योजना के तहत राज्य सरकार आदिवासी किसानों को करोड़ों रुपये की खाद-बीज सहायता देती है, जिसमें 45 किलो यूरिया, 50 किलो एनपीके और 50 किलो अमोनियम सल्फेट भी शामिल होता है. गुजरात सरकार इस योजना के तहत लाखों आदिवासी किसानों को करोड़ों रुपये की सहायता दे चुकी है.
कृषि विविधीकरण योजना राष्ट्रीय कृषि विकास योजना यानी कि RKVY के अंतर्गत चलाई जाती है जो कि केंद्र सरकार की स्कीम है. इस योजना के तहत अलग-अलग फसलों की खेती की जाती है जिससे कि खेतों में फसल चक्र को अपनाया जा सके. इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और पानी का भी इस्तेमाल कम होता है. किसान अगर हर बार धान या गेहूं की खेती करते हैं तो उससे मिट्टी की सेहत पर विपरीत असर होता है. इससे बचाव के लिए कृषि विविधीकरण स्कीम चलाई जाती है.
भारत में, यह विशेष रूप से धान जैसी अधिक पानी सोखने वाली फसलों से अलग हटकर विविधता लाने पर केंद्रित है, खासकर हरित क्रांति वाले राज्यों (पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश) जैसे क्षेत्रों में. विविधीकरण की यह स्कीम तंबाकू उगाने वाले राज्यों में तंबाकू किसानों को वैकल्पिक फसलों की ओर रुख करने के लिए भी बढ़ावा देता है.