होंडा इंडिया फाउंडेशन (HIF) ने आज उत्तर प्रदेश सरकार के साथ एक सहकारिता समझौता (MOU) किया गया है. इसके तहत ‘प्रोजेक्ट अन्नदाता- सशक्त किसान, समृद्ध राष्ट्र’ की शुरुआत हुई, जिसका उद्देश्य राज्य में फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (FPO) को सहयोग देना और सशक्त बनाना है. यह प्रोजेक्ट एफपीओ के विकास पर केंद्रित है, जिसमें किसानों को आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना, उन्हें बाजार से बेहतर जोड़ना और कृषि क्षेत्र में टिकाऊ वृद्धि को बढ़ावा देना शामिल है. पहले चरण में इसकी शुरुआत पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपद गोरखपुर और जनपद देवरिया से हो रही है. एमओयू पर हस्ताक्षर नई दिल्ली में हुए, जहां प्रमुख हस्तियां उपस्थित रहीं, जिनमें उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और होंडा इंडिया फाउंडेशन के ट्रस्टी विनय ढींगरा और कातसुयुकी ओज़ावा शामिल हुए.
इस अवसर पर होंडा इंडिया फाउंडेशन के ट्रस्टी विनय ढींगरा ने कहा, होंडा इंडिया फाउंडेशन में हम ग्रामीण समुदायों को सशक्त करने और कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए समर्पित हैं. यह बातें भारत सरकार की सोच के अनुसार तो हैं ही, 2025 के यूनियन बजट में भी दिखती हैं. प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना, दलहन में आत्मनिर्भरता का मिशन और किसानों के लिये उचित दाम सुनिश्चित करना जैसी पहलें हमारे उद्देश्यों के ही मुताबिक हैं.
उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट अन्नदाता के माध्यम से एफपीओ को सशक्त करने के लिए हमारे प्रयास इन्हीं प्राथमिकताओं के अनुसार हैं. हम संसाधनों तक किसानों की पहुंच को बढ़ा रहे हैं और कृषि के लिये एक सुदृढ परितंत्र बना रहे हैं, जिससे उन्हें बड़े पैमाने पर फायदा होगा. इस गठजोड़ से हमारे लिये जमीनी स्तर पर सार्थक रूप से असर डालना संभव हो जाएगा. हम कृषि के लिये एक अधिक मजबूत और समृद्ध परितंत्र के विकास में योगदान देना जारी रखेंगे.
इस पहल के तहत होंडा इंडिया फाउंडेशन (एचआईएफ) अपने क्रियान्वयन भागीदार के माध्यम से उत्तर प्रदेश में 10 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को सशक्त बनाएगा. यह एफपीओ दो क्लस्टर्स में होंगे, जिनमें प्रत्येक में 5 एफपीओ शामिल होंगे. इस योजना के तहत व्यवस्थित मूल्यांकन, क्षमता निर्माण, व्यावसायिक योजना और परिचालन सुधार पर ध्यान दिया जाएगा. इसका उद्देश्य एफपीओ को तकनीकी सहयोग प्रदान करना है, जिससे उनका संचालन सुचारु रूप से हो और वे आधुनिक कृषि तकनीकों को अपना सकें.
उत्तर प्रदेश के कृषि निदेशक डॉ जितेंद्र कुमार तोमर ने बताया कि इसकी शुरुआत पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपद गोरखपुर और जनपद देवरिया से हो रही है. परियोजना चयनित क्लस्टर के आधार पर कार्य करेंगी. परियोजना अंतर्गत एफपीओ सदस्यों के लिए क्षमता निर्माण, आधुनिक कृषि पद्धतियों के लिए तकनीकी सहायता, मूल्य संवर्धन और उत्पादन, फसल प्रबंधन में सहायता और एफपीओ की राजस्व सृजन को बढ़ाने के लिए बाजार तक पहुंच की सुविधा प्रदान करना शमिल है. यह परियोजना तीन साल तक चलेगी और एफपीओ को समर्थंन देने के लिए पहल को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगी.
डॉ तोमर ने बताया कि यह पहल किसानों, युवाओं, पर्यावरणविदों, शिक्षण संस्थानों, नीति-निर्माताओं, गैर-लाभकारी संगठनों और अन्य साझेदारों को भी जोड़ेगी, जो सतत कृषि और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने बताया कि इस परियोजना का प्रारंभिक चरण 1 लाख से अधिक किसानों तक पहुंचेगा और आने वाले समय में यह कृषि से जुड़े 10 लाख से अधिक किसानों को लाभ पहुंचा सकता है.
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