क‍िसानों के 'सुरक्षा कवच' के नाम पर मालामाल हुईं फसल बीमा कंपन‍ियां, मुनाफा जानकर हो जाएंगे हैरान

क‍िसानों के 'सुरक्षा कवच' के नाम पर मालामाल हुईं फसल बीमा कंपन‍ियां, मुनाफा जानकर हो जाएंगे हैरान

Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: फसल बीमा कंपन‍ियों को 2016-17 से 2022-23 तक 1,97,657 करोड़ रुपये का प्रीम‍ियम म‍िला. जबक‍ि क‍िसानों को क्लेम के रूप में स‍िर्फ 1,40,038 करोड़ रुपये म‍िले. बीमा कंपन‍ियों को 57,619 करोड़ रुपये का र‍िकॉर्ड लाभ हुआ. 

फसल बीमा कंपन‍ियों ने क‍ितना पैसा कमाया (Photo-Kisan Tak).  फसल बीमा कंपन‍ियों ने क‍ितना पैसा कमाया (Photo-Kisan Tak).
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • Jul 23, 2023,
  • Updated Jul 23, 2023, 4:07 PM IST

प्राकृत‍िक आपदाओं से क‍िसानों को बचाने वाले 'सुरक्षा कवच' के नाम पर बनाई गई फसल बीमा योजना से बीमा कंपन‍ियों ने जमकर कमाई की है. इस कारोबार में जुटी कंपन‍ियों ने प‍िछले सात साल में ही र‍िकॉर्ड 57619 करोड़ रुपये का फायदा कमाया है. यानी हर साल 8231 करोड़ रुपये. योजना की शर्तें ऐसी बनाई गई हैं क‍ि क‍िसान मुआवजा लेने के ल‍िए अपने जूते और चप्पल घ‍िसता है जबक‍ि कंपन‍ियां मोटा मुनाफा कूटती हैं. सरकार ने इस योजना की शुरुआत बहुत अच्छे मंशा से की थी, लेक‍िन बीमा कंपन‍ियों की कमाई और क‍िसानों की कठ‍िनाई को देखते हुए लगता है क‍ि इसका असली लाभ क‍िसानो को कम कंपन‍ियों को ज्यादा म‍िल रहा है. इस योजना का प्रचार-प्रसार सरकार कर रही है और मलाई खा रही हैं बीमा कंपन‍ियां. 

कृषि क्षेत्र पर बेबाकी से अपने व‍िचार रखने वाले रमनदीप स‍िंह मान ने अपने ट्व‍िटर पर बीमा कंपन‍ियों की कमाई का आंकड़ा र‍िकॉर्ड सह‍ित शेयर क‍िया है. उन्होंने ल‍िखा है क‍ि किसानों की आय दोगुनी करने वाली फसल बीमा योजना का ये रिपोर्ट कार्ड है. ज‍िसमें बीमा कंपन‍ियों को 2016-17 से 2022-23 तक 1,97,657 करोड़ रुपये का प्रीम‍ियम म‍िला. जबक‍ि क‍िसानों को क्लेम के तौर पर स‍िर्फ 1,40,038 करोड़ रुपये म‍िले. फसल बीमा कंपन‍ियों को लाभ हुआ 57,619 करोड़ रुपये का.  

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प्रीम‍ियम का गण‍ित

दरअसल, फसल बीमा में लगातार सुधार क‍िए जा रहे हैं इसके बावजूद क‍िसानों को आसानी से मुआवजा नहीं म‍िलता. क्योंक‍ि, सरकार बीमा कंपन‍ियों से उन शर्तों को नहीं बदलवा रही है ज‍िसकी क‍िसान मांग कर रहे हैं. दरअसल, फसल बीमा कंपन‍ियों को तीन ह‍िस्सों में प्रीम‍ियम म‍िलता है. इसमें क‍िसान, राज्य, और केंद्र सरकार की ह‍िस्सेदारी होती है. किसानों से रबी फसलों के लिए स‍िर्फ 1.5 फीसदी, खरीफ के लिए 2 प्रत‍िशत जबक‍ि कमर्शियल क्रॉप और बागवानी फसलों के लिए 5 फीसदी प्रीमियम लिया जाता है. बाकी पैसा देना केंद्र और राज्य सरकार की ज‍िम्मदारी है. प्रीम‍ियम सब्स‍िडी के तौर पर दोनों सरकारें बीमा कंपन‍ियों को पैसा देती हैं. 

फसल बीमा प्रीम‍ियम का भ्रम 

केंद्र सरकार जब फसल बीमा योजना का प्रचार करती है तो बीमा कंपन‍ियों को म‍िलने वाले स‍िर्फ उस प्रीम‍ियम की बात करती है जो क‍िसानों की ओर से द‍िया जाता है. बाकी प्रीम‍ियम का पैसा वो नहीं बताती. ऐसे में आम जनता को लगता है क‍ि क‍िसानों ने बहुत कम पैसा द‍िया और लाभ ज्यादा म‍िला. जबक‍ि राज्य और केंद्र द्वारा योजना में द‍िया गया प्रीम‍ियम भी पैसा ही होता है. जो टैक्सपेयर्स से आता है. सरकार द्वारा कंपन‍ियों को द‍िए जाने वाले प्रीम‍ियम को भी जोड़ द‍िया जाए तो पता चलता है क‍ि फसल बीमा कंपन‍ियां इस योजना से क‍ितनी मलाई खा रही हैं.

खत्म हो क‍िसानों के ह‍िस्से का प्रीम‍ियम 

क‍िसान शक्त‍ि संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पुष्पेंद्र स‍िंह का कहना है क‍ि पर्चा फट रहा है क‍िसानों के नाम पर और कमाई कर रही हैं फसल बीमा कंपन‍ियां. क‍िसानों, केंद्र और राज्यों ने मिलकर फसल बीमा कंपन‍ियों को सात साल में प्रीमियम के रूप में ज‍ितना पैसा द‍िया है, उतनी रकम से तो सरकार खुद मुआवजा बांट सकती थी और क‍िसानों को प्रीम‍ियम भी नहीं देना पड़ता. यही नहीं सरकार खुद योजना चलाए तो 35-40 हजार करोड़ रुपये बच भी जाएंगे. अगर सरकार स्कीम नहीं चला रही है तो इन कंपन‍ियों का मुनाफा देखते हुए कम से कम क‍िसानों से प्रीम‍ियम लेना बंद कर द‍िया जाए.

बीमा कंपन‍ियों के इतने प्रॉफिट का राज 

  • कृष‍ि मंत्रालय के अनुसार साल 2021-22 में 8610 करोड़ रुपये के क्लेम रिपोर्ट क‍िए गए, जबक‍ि भुगतान स‍िर्फ 7557.7 करोड रुपये का हुआ.  
  • साल 2020-21 में क‍िसानों की ओर से 19261.3 करोड़ के दावे र‍िपोर्ट क‍िए गए, जबक‍ि भुगतान स‍िर्फ 17931.6 करोड़ रुपये का हुआ. 
  • साल 2019-20 में क‍िसानों ने 27628.9 करोड़ रुपये के दावे र‍िपोर्ट क‍िए, जबक‍ि 26413.2 करोड़ का ही भुगतान हुआ.

वो शर्तें ज‍िनसे कंपन‍ियों को म‍िल रहा फायदा 

  • फसल बीमा हर क‍िसान का अपना व्यक्तगित होता है. हर क‍िसान अपना अलग प्रीम‍ियम जमा करता है, लेक‍िन जब नुकसान के बाद मुआवजा देने की बारी आती है तब मामला दूसरे तर‍ह से डील होता है. तब खेत की बजाय पूरे गांव या पटवार मंडल को एक इंश्योरेंस यून‍िट माना जाता है. ऐसे में काफी क‍िसान फसल नुकसान के बावजूद मुआवजे से वंच‍ित रह जाते हैं और बीमा कंपन‍ियों को इसका फायदा पहुंचता है. 
  • मुआवजा पाने के ल‍िए कम से कम 33 फीसदी नुकसान होने की शर्त रखी गई है. इसका मतलब यह हुआ क‍ि 32.5 फीसदी नुकसान पर मुआवजा नहीं म‍िलेगा, लेक‍िन 33.5 फीसदी नुकसान होने पर मुआवजा म‍िलेगा. क‍िसान इस कंडीशन को हटाने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है क‍ि ज‍ितना नुकसान हो उतने का क्लेम म‍िलना चाह‍िए. इस शर्त पर इसल‍िए भी सवाल उठ रहे हैं क्योंक‍ि अब तक नुकसान का प्रत‍िशत तय करने वाला कोई वैज्ञान‍िक तरीका नहीं है. 
  • ज‍िन क‍िसानों ने क‍िसान क्रेड‍िट कार्ड पर कृष‍ि लोन ल‍िया है उनके अकाउंट से बीमा का पैसा ऑटोमेट‍िक कट जाता है. चाहे वो चाहें या नहीं. एक न‍ियम बनाया गया है क‍ि केसीसी धारक क‍िसान खुद बैंक जाकर में अप्लीकेशन देकर बताएगा क‍ि उसे फसल बीमा नहीं चाह‍िए. ऐसे में तमाम क‍िसानों को इसकी जानकारी नहीं होती और ब‍िना उनकी कंसेंट के प्रीम‍ियम काट ल‍िया जाता है. क‍िसान संगठन यह न‍ियम बनाने की मांग कर रहे हैं क‍ि क‍िसान जब आवेदन करें तभी बीमा हो, अपने आप बीमा कर देने का स‍िस्टम खत्म हो.  

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