पीएम किसान योजना के तहत धोखाधड़ी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत किसानों को प्रतिवर्ष 6000 रुपये की राहत राशि उनके खाते में ट्रांसफर की जाती है. जिसके अंतर्गत किसान इस धनराशि का उपयोग अपनी कृषि कार्य में करते हैं. जिससे किसानों को अपनी उत्पादकता बढ़ाने और सहयोग राशि प्राप्त होने के बाद खेत में प्रयोग होने वाली खाद बीज में बड़ा सहयोग मिल जाता है. लेकिन वहीं कुछ लोगों की गंदी नीयत की वजह से योजना में घोटाले किए जा रहे हैं. कुछ ऐसा ही मामला हिमाचल के कांगड़ा जिले से सामने आया है.
कांगड़ा जिला प्रशासन ने 4,189 अयोग्य लाभार्थियों को वसूली नोटिस जारी किए हैं, जिन्होंने 2019 में योजना शुरू होने के बाद से प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 5.72 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त किए थे. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि ये लोग न तो किसान हैं और न ही किसान थे. इतना ही नहीं इनमें से कुछ लोग पेंशन और वेतन के अलावा कुछ आयकर दाता भी थे. लेकिन फिर भी उन्होंने पीएम किसान योजना का लाभ मिलता आ रहा था.
घोटाला सामने आते ही जिला प्रशासन ने योजना के अयोग्य लाभार्थियों पर शिकंजा कस दिया और उन्हें तुरंत सरकार को 572,88,000 रुपये वापस करने का निर्देश दिया, जो धोखाधड़ी से उनके बैंक खातों में जमा किए गए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के छोटे और सीमांत किसानों के लाभ के लिए इस योजना की शुरुआत की थी. जिला प्रशासन ने योजना के तहत लाभ लेने वाले अपात्र लोगों की पहचान करने और उनसे पैसा वसूलने के लिए 24 राजस्व अधिकारियों को तैनात किया है. अब तक 722 अयोग्य लाभार्थियों ने राज्य सरकार को 95.36 लाख रुपये वापस कर दिए हैं.
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राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना केवल छोटे और सीमांत किसानों के लिए है, जिनके पास कृषि भूमि है और सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी, जो करदाता भी हैं, इसके लिए पात्र नहीं हैं. मामले की जांच जारी होने से और भी अयोग्य लाभार्थियों के सामने आने की संभावना है. इस योजना के तहत 379 अपात्र लाभार्थियों ने 62.28 लाख रुपये का लाभ उठाया है. नूरपुर जिले में, 311 अपात्र व्यक्तियों के बैंक खातों में 51.74 लाख रुपये जमा किए गए, जबकि इंदौरा में, 305 ऐसे व्यक्तियों को योजना के तहत 37.60 लाख रुपये मिले. पालमपुर में 266 अपात्र व्यक्तियों को 45.78 लाख रुपये मिले, जबकि जयसिंहपुर में 287 व्यक्तियों को 34.34 लाख रुपये मिले.
केंद्र सरकार द्वारा 24 फरवरी, 2019 को जारी एक अधिसूचना के अनुसार, सरकारी कर्मचारी, पेंशनभोगी, वर्तमान विधायक और सांसद, पूर्व विधायक और सांसद, आयकर दाता और 10,000 रुपये प्रति माह से अधिक आय वाले पेंशनभोगी इस योजना के अंतर्गत नहीं आते हैं. हालांकि, फिर भी सरकारी कर्मचारी इसका लाभ उठाते रहे हैं. द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिला प्रशासन ने योजना के सभी अयोग्य लाभार्थियों की पहचान कर ली है और वसूली प्रक्रिया चल रही है. तहसीलदारों को धनराशि वसूलने के निर्देश दिए गए थे.
कांगड़ा के उपायुक्त निपुण जिंदल ने कहा कि गड़बड़ी तब पकड़ी गईं जब केंद्र सरकार ने योजना के सभी लाभार्थियों के लिए केवाईसी आवश्यकता को पूरा करना अनिवार्य कर दिया. उन्होंने कहा कि कई सरकारी कर्मचारी, वेतनभोगी व्यक्ति, आयकर दाता और व्यवसायी इस योजना के तहत अवैध रूप से लाभ उठा रहे थे.