मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के कई गांवों में किसानों द्वारा बोई गई सोयाबीन की फसल इस बार पीले मोजैक रोग की चपेट में आकर बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है. सोमवार को भारतीय किसान संघ के बैनर तले बोदीना, सैलाना, करिया और आसपास के किसान कलेक्टरेट पहुंचे. कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा और फसल बीमा योजना का लाभ दिलाने की मांग की. किसान हाथों में सोयाबीन की बर्बाद फसल के पौधे लेकर पहुचे थे. मुआवजा नहीं मिलने पर किसान संघ ने आने वाले समय में उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी है.
किसानों का कहना है कि बुवाई के बाद से ही बारिश में आई अनियमितता और कीटों के प्रकोप के चलते पीले मोजैक ने फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है. खेतों में पौधों की पत्तियां पीली पड़कर सूख रही हैं, जिससे दाने बनना बंद हो गया है. कई जगह 50 से 70 प्रतिशत तक फसल बर्बाद होने की आशंका है.
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, पीला मोजैक एक विषाणु जनित रोग है जो मुख्यत: सफेद मक्खी के माध्यम से फैलता है. इस रोग में पौधों की पत्तियां हल्की पीली होकर धीरे-धीरे पूरे पौधे को प्रभावित कर देती हैं. पौधे का विकास रुक जाता है और दाना बनने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है. समय पर उपचार न होने पर पूरी फसल चौपट हो सकती है.
ज्ञापन में किसानों ने मांग की कि कृषि विभाग तत्काल सर्वे कर प्रभावित खेतों का आकलन करे और बीमा कंपनियों से संपर्क कर किसानों को फसल बीमा योजना के तहत लाभ दिलवाए. इसके अलावा राज्य सरकार से विशेष राहत पैकेज की मांग भी की गई है. किसानों के अनुसार समय पर निरीक्षण नहीं होने से बाद में बीमा कंपनियां अधिकतर किसानों को लाभ देने में आनाकानी करती हैं. भारतीय किसान संघ के जिला पदाधिकारियों ने प्रशासन से तत्काल निरीक्षण प्रारंभ करवाने की मांग की.
यह एक वायरस है जो सोयाबीन की फसल में पीलिया (पीले धब्बे) का कारण बनता है. यह मुख्य रूप से सफेद मक्खी नामक कीट द्वारा फैलता है. विशेषज्ञों के मुताबिक इसका मुख्य लक्षण पत्तियों पर पीले धब्बे या चित्तीदार पैटर्न है. इससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है. पत्तियां मुड़ जाती हैं और विकृत हो जाती हैं. फसल की पैदावार कम हो जाती है. अंत में उत्पादन में कमी हो जाती है.
कृषि विभाग के अनुसार जहां भी खेतों में ऐसी दिक्कत शुरू हुई है वहां सबसे पहले संक्रमित पौधों को खेत से हटाना चाहिए. इसके साथ ही कीटनाशकों का उपयोग और नियमित रूप से फसल की निगरानी करना चाहिए.(विजय मीणा का इनपुट)
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