स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए लगभग हर वर्ग की बात उठाई है. उन्होंने किसानों और जवानों सबकी बात की. इस मौके पर उन्होंने एक अहम बात इस विश्वकर्मा जयंती को लेकर किया. कहा कि "हम 13-15 हजार करोड़ रुपयों से विश्वकर्मा योजना की शुरुआत करेंगे जो परंपरागत औजारों से काम करने वाले भारत के लाखों व्यवसाइयों और कारीगरों के उत्थान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा." दरअसल, भारत गांवों का देश है, जहां पर नाई, राजमिस्त्री, लुहार, कुम्हार, मोची और बढ़ई आदि पारंपरिक तौर पर अपना काम करते आए हैं, लोगों को सेवा देते आए हैं. लेकिन सरकार की ओर से अब तक इन कारीगरों के उत्थान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.
अब सरकार ने इनकी सुध लेने के लिए एक बड़ी योजना की शुरुआत करने का एलान किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से यह वादा किया है इसलिए कारीगरों में अपने उत्थान को लेकर एक बड़ी उम्मीद बंधी है. सरकार ने कारीगरों और छोटे व्यवसायों से जुड़े लोगों को नई ताकत देने के लिए विश्वकर्मा योजना शुरू करने का भले ही अब एलान किया है लेकिन इसकी बात साल 2023 के बजट में भी की गई थी.
विश्वकर्मा योजना अगले महीने सितंबर में लॉन्च होगी. पीएम ने कहा कि हमारी योजना इसे 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती के मौके पर इस योजना को लॉन्च करने की है. विश्वकर्मा जयंती पर सभी कुशल मजदूर और मशीन से जुड़े लोग अपने औजार और मशीनों की पूजा करते हैं. कारखानों और औद्योगिक संस्थानों में इस दिन पूजा और हवन आदि किए जाते हैं. यानी अब इस योजना के जरिए पारंपरिक हुनर को सरकारी मदद के पंख लगेंगे.
ट्रेडिशनल स्किल्स में काम करने वाले कामगारों को इस योजना का फायदा मिलेगा. बता दें कि पहले से ही एक विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना भी चल रही है. इस योजना के तहत न केवल आर्थिक मदद की जाएगी बल्कि इसमें प्रशिक्षण, आधुनिक तकनीकों की जानकारी और ग्रीन तकनीक, ब्रांड का प्रमोशन, स्थानीय और वैश्विक बाजारों से जुड़ाव, डिजिटल पेमेंट्स और सामाजिक सुरक्षा की भी बात शामिल है. फिलहाल, नइ योजना से सभी दस्तकारों, कामगारों और कारीगरों को लाभ मिलेगा.
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विश्वकर्मा योजना उत्तर प्रदेश में पहले से ही चल रही है, इसकी तर्ज पर राष्ट्रीय योजना शुरू हो रही है. उत्तर प्रदेश में विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना संचालित है. जिसके तहत राज्य के दस्तकारों, कामगारों, कारीगरों जैसे बढ़ई, दर्जी, कढ़ाई, बुनाई, ट्रैक्टर या अन्य किसी वहां को रिपेयर करने वाले या फिर सुनार, मोची और राजमिस्त्री को फी ट्रेनिंग देने और टूलकिट देने का प्रावधान बताया गया है.