हर‍ियाणा की इस योजना ने क‍िया कमाल, एक ही साल हुई 22565 करोड़ लीटर पानी की बचत, आगे का ये है टारगेट 

हर‍ियाणा की इस योजना ने क‍िया कमाल, एक ही साल हुई 22565 करोड़ लीटर पानी की बचत, आगे का ये है टारगेट 

Mera Pani Meri Virasat Scheme: मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के जर‍िए राज्य सरकार ने वर्ष 2023-24 में 42480 करोड़ लीटर पानी की बचत का लक्ष्य रखा है. आने वाली पीढ़‍ियों के ल‍िए धान की खेती छोड़ रहे हैं हर‍ियाणा के क‍िसान. जल संकट झेल रहे दूसरे राज्यों के ल‍िए बन रहे म‍िसाल. 

क्या धान की खेती बढ़ा रही है जल संकट? क्या धान की खेती बढ़ा रही है जल संकट?
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • Oct 23, 2023,
  • Updated Oct 23, 2023, 7:44 AM IST

हर‍ियाणा देश का पहला ऐसा राज्य है खेती के जर‍िए भू-जल के बचत की मुह‍िम शुरू की ताक‍ि आने वाली पीढ़ि‍यों के पास पीने और खेती के ल‍िए पानी की बचत हो. मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के जर‍िए यह मुह‍िम शुरू की गई. इसके ल‍िए क‍िसानों को र‍िझाया गया, उन्हें पैसे से मनाया गया. खासतौर पर धान की खेती छोड़ने के ल‍िए 7000 रुपये प्रत‍ि एकड़ की प्रोत्साहन राश‍ि दी गई. क्योंक‍ि एक क‍िलो चावल तैयार होने में करीब 3000 लीटर पानी खर्च होता है. ऐसे में इसकी खेती को हतोत्साह‍ित करना जरूरी है. अब इस योजना की एक असेसमेंट र‍िपोर्ट आई है. ज‍िसमें दावा क‍िया गया है क‍ि अकेले 2020 में ही इस योजना से राज्य में 22,565 करोड़ लीटर पानी की बचत की गई. हालांक‍ि, यह नहीं बताया गया है क‍ि क‍िस फार्मूले से पानी की बचत का यह आंकड़ा न‍िकाला गया है. 

दरअसल, भारत में करीब 90 फीसदी भू-जल का इस्तेमाल कृष‍ि क्षेत्र में होता है. इसल‍िए जल संकट की समस्या का समाधान भी क‍िसानों के जर‍िए ही करने का प्रयास क‍िया जा रहा है. उनसे धान की खेती छोड़ने को कहा जा रहा है. सूबे में 7287 गांव हैं ज‍िसमें से 3041 पानी की कमी से जूझ रहे हैं. यानी करीब 42 फीसदी गांवों के लोगों ने पानी के संकट का सामना करना शुरू कर द‍िया है. जबक‍ि 1948 गांव तो ऐसे हैं जो गंभीर जल संकट को झेल रहे हैं. इसल‍िए पानी की बचत नहीं की गई तो आने वाली पीढ़‍ियों के सामने बहुत बड़ी चुनौती आएगी. इसल‍िए सीएम मनोहरलाल ने राज्य के क‍िसानों से धान की खेती कम करवाने का बड़ा र‍िस्क ल‍िया, लेक‍िन अब इसके अच्छे पर‍िणाम आने शुरू हो गए हैं. 

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योजना का र‍िपोर्ट कार्ड

  • खरीफ वर्ष 2020 में 41,947 किसानों ने कुल 63,743 एकड़ क्षेत्र में फसल विविधीकरण क‍िया. इसके लिए इन क‍िसानों को 45 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन रकम दी गई. इससे लगभग कुल 22,565 करोड़ लीटर पानी की बचत की गई.  
  • खरीफ वर्ष 2023 में 31 जुलाई तक कुल 32150 किसानों ने अपनी 70,170 एकड़ फसल का इस योजना के तहत रज‍िस्ट्रेशन करवाया है. यानी धान की फसल छोड़कर कम पानी वाली फसलों की खेती की है. 

आगे क्या है लक्ष्य

खरीफ 2023 में पूर्व वर्ष की वैकल्पिक फसलों को भी शामिल किया गया है. इस योजना में कुल 1.20 लाख एकड़ क्षेत्र को फसल विविधीकरण के तहत लाने का लक्ष्य रखा गया है. जिस पर लगभग 84 करोड़ रुपये के अनुदान राशि खर्च होने की संभावना है. इस योजना में लगभग कुल 42,480 करोड़ लीटर पानी की बचत का लक्ष्य है.  

मक्का और दलहन फसलों पर जोर

सीएम मनोहरलाल का कहना है क‍ि अब क‍िसानों को परंपरागत फसलों की खेती करने की बजाय आधुनिक फसलों की ओर रुख करने की आवश्यकता है. इससे उनकी आय में वृद्धि तो होगी ही साथ ही पर्यावरण संरक्षण भी होगा. फसल विविधीकरण ही किसान का भविष्य है. इसी दिशा में प्रदेश सरकार ने एक नई पहल करते हुए अपनी तरह की अनूठी मेरा पानी-मेरी विरासत योजना शुरू की थी. खरीफ-2020 से शुरू हुई इस योजना के तहत सरकार द्वारा धान की फसल को वैकल्पिक फसलों जैसे मक्का, कपास, बाजरा, दलहन, सब्जियां व फल द्वारा विविधीकरण करने के लिए किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. 

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हर साल क‍ितना नीचे जा रहा पानी

केंद्रीय जल आयोग ने हर‍ियाणा के 36 ब्लॉकों को पानी के ल‍िहाज से डार्क जोन घोष‍ित क‍िया हुआ है. बताया गया है क‍ि 957 गांवों में भू-जल स्तर की गिरावट दर 0.00-1.00 मीटर प्रति वर्ष के बीच है. जबक‍ि 707 गांवों में गिरावट दर 1.01-2.00 मीटर प्रति वर्ष के बीच है. इसी तरह 79 गांवों में गिरावट दर 2.0 मीटर प्रति वर्ष से अधिक है. ऐसे में अब सरकार हर गांव में पीजोमीटर (Piezometer) लगा रही है, ज‍िसके जरिए भू-जल स्तर को मापा जाएगा. बहरहाल, भू-जल के संकट को देखते हुए सरकार खेती में कम पानी का खर्च करने की कल्चर पैदा करने की कोश‍िश में जुटी हुई है. देखना यह है क‍ि इसमें क‍ितनी कामयाबी म‍िलती है. 


 

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