यूपी में आम की बागवानी करने वाले किसानों के लिए बड़ी खबर, यहां करें आवेदन! फटाफट मिलेगी सब्सिडी

यूपी में आम की बागवानी करने वाले किसानों के लिए बड़ी खबर, यहां करें आवेदन! फटाफट मिलेगी सब्सिडी

Mango Farming: आम के प्रगतिशील किसान उपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि, इस सीजन में उत्तर प्रदेश में किसानों ने 50 लाख पेपर बैग का इस्तेमाल किया. जिससे डेढ़ हजार हेक्टेयर में लगे दशहरी आम के पैदावार पर असर दिखा. पेपर लगे आम में ना तो कीड़े लगे. ना ही उनके साइज छोटे हुए और ना ही उनका रंग फीका पड़ा.

दशहरी आम को विदेशों में भी भेजा जा रहा है.दशहरी आम को विदेशों में भी भेजा जा रहा है.
नवीन लाल सूरी
  • LUCKNOW,
  • May 01, 2025,
  • Updated May 01, 2025, 5:11 PM IST

आम को फलों का राजा कहा जाता है और यह भारत का राष्ट्रीय फल भी है. भारत में आम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, खासकर आम उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण फलों में से एक है. प्रदेश में 2.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की खेती से 45 लाख टन आम पैदा होता है. इसी बीच उत्तर प्रदेश उद्यान विभाग के द्वारा किसानों को आम की बैगिंग के लिए dbt.horticulture.in पर ऑनलाइन आवेदन शुरू किया है. वहीं पंजीकरण के बाद किसानों को फ्रूट कवर बैग उपल्बध कराया जाएगा. राष्ट्रीय एकीकृत बागवानी मिशन योजना (MIDH) के तहत किसानों को आम की बैगिंग के लिए प्रति एक हेक्टेयर 25 हजार रुपये का अनुदान दिया जाएगा. दरअसल, बागवानी विभाग अब इस प्रक्रिया को बढ़ावा दे रहा है ताकि किसानों को अधिक लाभ मिल सके.

बिना पंजीकरण के नहीं मिलेगी सब्सिडी

मामले में लखनऊ के उप निदेशक उद्यान डॉ डीके वर्मा ने बताया कि इस वर्ष से बागवानी विभाग की ओर से किसानों को बैगिंग तकनीक अपनाने के लिए सब्सिडी दी जा रही है. एक किसान को प्रति एक हेक्टेयर 25 हजार रुपये का अनुदान दिया जाएगा.  जिससे किसानों को काफी राहत मिलेगी. उन्होंने बताया कि 15 अप्रैल से किसान किसान बैगिंग के लिए dbt.horticulture.in पर ऑनलाइन आवेदन जारी है .इसके लिए किसानों को पंजीकरण कराना अनिवार्य है. जो किसान पंजीकरण नहीं कराएगा उसे योजना का लाभ नहीं मिलेगा. 

dbt.horticulture.in पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.

वर्मा बताते हैं कि बैगिंग से आम की गुणवत्ता इतनी बढ़ जाती है कि उसे कीटों और बाहरी प्रभावों से बचाया जा सकता है. बाजार में भेजने से 15 दिन पहले फलों पर लगे बैग हटा दिए जाते हैं, जिससे आम का रंग सुनहरा हो जाता है. इसके बाद इन्हें तोड़कर बिक्री के लिए भेजा जाता है.

फलों की बेगिंग से आम बनेगा खास

इस तकनीक से न केवल फसल की गुणवत्ता सुधरती है, बल्कि किसानों को अधिक कीमत भी मिलती है.

जानिए बंपर उत्पादन का फार्मूला?

मामले में अवध आम उत्पादक बागवानी समिति मलिहाबाद के महासचिव उपेंद्र सिंह ने बताया कि आम के फलों की बेगिंग से आम को कई सारे होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है. इस तकनीक में आमों को पेड़ पर ही ढक दिया जाता है, जिससे कई आमों को जलने और गर्मा से बचाया जा सकता है. आमों की बेगिंग से आम एक दम लाल रंग के निखर कर आते हैं. बेगिंग में इस्तेमाल होने वाले बैग पेपर से बने होते हैं जिससे इनमें कीड़े लगने की परेशानी भी खत्म हो जाती है. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश उद्यान विभाग की इस पहल से प्रदेश के लाखों किसानों को आर्थिक रूप से बड़ा फायदा होगा. 

किसानों ने किया 50 लाख पेपर बैग का इस्तेमाल

आम के प्रगतिशील किसान उपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि, इस सीजन में उत्तर प्रदेश में किसानों ने 50 लाख पेपर बैग का इस्तेमाल किया. जिससे डेढ़ हजार हेक्टेयर में लगे दशहरी आम के पैदावार पर असर दिखा. पेपर लगे आम में ना तो कीड़े लगे. ना ही उनके साइज छोटे हुए और ना ही उनका रंग फीका पड़ा. जिससे मार्केट में अच्छे दाम मिले. वहीं नान पेपर बैगिंग वाले आम की कीमत मार्केट में कम मिली. यहां के दशहरी, लंगड़ा, चौसा, आम्रपाली, गौरजीत आदि की अपनी एक अगल पहचान है. 

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