
देश के किसान अपनी खेती में रसायनों का इस्तेमाल अधिक मात्रा में करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता शक्ति खोती जा रही है. रसायनों और कीटनाशकों के अधिक प्रयोग से फसलों के उत्पादन में भी कमी आ रही है. ऐसी ही समस्याओं के समाधान के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाया जा रहा है. दरअसल प्राकृतिक खेती को जीरो बजट खेती या गाय आधारित खेती भी कहते हैं. क्योंकि इस खेती में रसायनों की जगह गोबर से बनी खाद और गोमूत्र से बने कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है. साथ ही गौ पालन करने वाले किसानों को प्राकृतिक खेती करने में बहुत ही कम खर्च करना पड़ता है.
इसी कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार किसानों की आय में वृद्धि के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है. साथ ही किसानों को प्राकृतिक खेती से फसलें उगाने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है. इसके अलावा नेचुरल फार्मिंग प्रोड्यूस की प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन और मार्केटिंग के लिए भी किसानों को तकनीकी ज्ञान दिया जा रहा है. इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार किसानों को इससे जुड़ने के लिए फ्री रजिस्ट्रेशन कराने की सुविधा दे रही है.
देश का सबसे बड़ा प्राकृतिक खेती का रकबा आंध्र प्रदेश में है. अब मध्य प्रदेश के किसान भी प्राकृतिक खेती में तेजी से रुचि दिखाने लगे हैं. राज्य में अभी तक लगभग 31000 से अधिक किसान सरकार द्वारा चलाई जा रही मुहिम के तहत प्राकृतिक खेती के लिए रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं. राज्य के सीएम शिवराज सिंह चौहान के दिशानिर्देश के अनुसार अब से कृषि विश्वविद्यालय में प्राकृतिक खेती को अनिवार्य कर दिया गया है. साथ ही नर्मदा नदी के किनारे 5 किलोमीटर के दायरे में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.
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यदि आप भी मध्य प्रदेश के निवासी हैं और जीरो बजट प्राकृतिक खेती करना चाहते हैं और इससे जुड़ना चाहते हैं तो मध्य प्रदेश प्राकृतिक खेती बोर्ड की ऑफिशियल साइट के लिंक पर जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इसके अलावा किसान चाहें तो ई-मित्र केंद्र या सीएससी सेंटर की मदद से भी रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इस वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन विंडो दी गई है, जिसमें अपनी डिटेल भरकर किसान अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.