भारतीय शहद को भी अब मिलेगी वैश्व‍िक पहचान! जीआई टैग देने के ल‍िए शुरू हुआ काम

भारतीय शहद को भी अब मिलेगी वैश्व‍िक पहचान! जीआई टैग देने के ल‍िए शुरू हुआ काम

मधुमक्खी पालन देश में एक बड़े रोजगार के रूप में उभर रहा है. जिससे भारत के मिट्ठे शहद की मांग अब बढ़ती जा रही है. इस मिट्टी शहद को लेकर आज राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन के तहत मीटिंग किया गया

भारतीय शहद को भी अब मिलेगी पहचान जीआई टैग पर हो रहा है काम, फोटो साभार: freepikभारतीय शहद को भी अब मिलेगी पहचान जीआई टैग पर हो रहा है काम, फोटो साभार: freepik
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 22, 2022,
  • Updated Dec 22, 2022, 10:29 PM IST

मधुमक्खी पालन देश में एक बड़े रोजगार के रूप में उभर रहा है. जिससे भारत के शहद की मांग दुन‍िया में बढ़ती जा रही है. तो वहीं अब भारत के शहद को वैश्व‍िक पहचान द‍िलाने की कवायद भी शुरू हो गई है. ज‍िसके तहत भारत सरकार ने शहद को ग्लोबल इंडीकेशन (जीआई) टैग देने की तैयारी कर रही है. इस संबंध में गुरुवार को राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन के तहत केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी की अध्यक्षता में कृषि भवन में एक बैठक संपन्न हुई. 

इस बैठक में डॉ. लिखी ने बताया कि राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) राज्य सरकारों और अन्य संगठनों (हितधारक) के समर्थन से अलग-अलग प्रकार के शहद के जीआई टैग उपलब्ध कराने के ल‍िए काम करेगा. उन्होंने कहा कि जीआई टैगिंग से मधुमक्खी पालन समुदाय के उत्थान में काफी मदद मिलेगी क्योंकि टैग मिलने के बाद मधुमक्खी पालक शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों और मांग को लेकर आगे बढ़ सकते हैं.
 

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क्या है जीआई टैग

भौगोलिक संकेत (जीआई) देने की शुरुआत 1998 में हुई थी. जैसे की नाम से स्पष्ट है क‍ि ये क्षेत्र व‍िशेष के उत्पाद की वैश्व‍िक पहचान सुन‍िश्च‍ित करता है. मसलन, क‍िसी क्षेत्र में उत्पाद‍ित होने वाले क‍िसी उत्पाद को उसके गुणों के आधार पर वैश्व‍िक पहचान दी जाती है. ज‍िसे जीआई टैग कहा जाता है. यह टैग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है. डॉ. लिखी ने कहा, सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के तहत राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएण) नामक एक केंद्रीय क्षेत्र योजना शुरू की है. इस योजना की रकम तीन साल में 2020-21 से 2022-23  के लिए 500 करोड़ है.

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दार्जील‍िंंग चाय को मि‍ला था पहला जीआई टैग   

देश में अभी तक अमूमन सभी राज्यों के सैकड़ों कृष‍ि उत्पादों को जीआई टैग म‍िल चुका है. अगर बात की जाए तो देश में सबसे पहले दार्जीलिंग चाय को GI Tag मिला था. इसके बाद इस सूची में मैसूर की सुपारी से लेकर बिहार के मखाना और कश्मीर के केसर को उनकी अनोखी पहचान के कारण जोड़ा गया. आइये जानते है क‍ि जीआई टैग क्यों द‍िया जाता है, इसका प्रावधान क्या है. साथ ही अब तक ज‍िन भी कृष‍ि उत्पादों को जीआई टैग म‍िला है, उनकी संक्ष‍िप्त जानकारी भी. 

देश में 20 लाख मधुमक्खी कॉलोन‍ि‍यां 

देश में शहद क्षेत्र को आगे बढ़ाने और समर्थन देने के लिए एनबीएचएण के तहत 100 हनी क्लस्टर की पहचान की गई है. मधु क्रांती पोर्टल एनबीएचएण के तहत एक और पहल है जिसे शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादन के स्रोत का पता लगाने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण और ब्लाकचेन प्रणाली विकसित करने के लिए किया गया है.


वर्तमान में मधु क्रांती पोर्टल पर 20 लाख से अधिक मधुमक्खी कालोनियों ने एनबीबी के साथ पंजीकरण करवाया है. एनबीएचएण भारत में मधुमक्खी पालन की गतिविधियों पर पैनी नजर रख रहा है. उन्होने बताया कि भारत वर्तमान में लगभग 1,33,000 मीट्रिक टन (एमटी) शहद (2021-22) का उत्पादन कर रहा है. और भारत शहद का मुख्य निर्यातक देश भी बन रहा है. देश ने 2021-22 के दौरान दुनिया भर में 74,413.05 मीट्रिक टन शहद का निर्यात किया है. शहद टैगिंग को लेकर वहां मौजूद अन्य सभी सदस्यों के लोगों ने इन प्रयासों की सराहना की है.

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