केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एक नेटवर्क परियोजना शुरु की है. लोकसभा में मंगलवार को एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि आईसीएआर ने फसलों, पशुधन, बागवानी और मत्स्य पालन सहित कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एक प्रमुख नेटवर्क परियोजना शुरू की है. देश के संवेदनशील क्षेत्रों, सूखे, बाढ़, ठंड, गर्मी की लहरों आदि जैसी मौसम की स्थितियों से निपटने में मदद करेगा.
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत 12 कृषि जलवायु क्षेत्रों में बीमारियों, कीटों और महत्वपूर्ण फसलों के मौसम पर डेटाबेस विकास के माध्यम से क्षेत्र की स्थितियों के तहत जलवायु परिवर्तन से संबंधित कीट के गतिशीलता का अध्ययन किया गया. यह कहते हुए की पशु में रोगों का बढ़ना भी जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होती है. उन्होंने कहा कि आईसीएआर विभिन्न फसलों और जानवरों में जलवायु परिवर्तन के तहत रोगों और कीटों के प्रभाव का अध्ययन कर रहा है.
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जलवायु परिस्थितियां कुछ बीमारियों के प्रकोप को प्रभावित करती हैं. जैसे कि गांठदार त्वचा रोग, एवियन इन्फ्लूएंजा, अफ्रीकी स्वाइन बुखार, क्लासिकल स्वाइन बुखार, थेलेरियोसिस, एंथ्रेक्स आदि, खेत की फसलों में मूंगफली में अल्टरनेरिया, चावल में प्रस्फोट, शीथ रॉट और ब्लाइट, सरसों और सब्जियों के तना में सड़न, मिर्च में थ्रिप्स. तोमर ने कहा कि विभिन्न फसलों में सफेद मक्खी का जलवायु में बदलाव से सीधा संबंध है. इसी तरह समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि से मछलियों पर भी प्रभाव पड़ता है. आईसीएआर ने रोगों,कीटों और फसलों के लिए जलवायु में लचीले किस्मों का विकास किया है. 2014 के बाद से कुल 1752 जलवायु प्रतिरोधी किस्मों को विकसित किया गया है, उन्होंने कहा कि इसके अलावा 68 स्थान को विशेष जलवायु के अनुकूल प्रौद्योगिकियों को विकसित किया गया है. और किसान समुदाय के बीच व्यापक रूप से अपनाने के लिए लोकप्रिय बनाया गया है.
खेती के लिए पूछे गए प्रश्न पर तोमर ने कहा कि 2019-20 की तुलना में 2020-21 में भारत से निर्यात किए जाने वाले जैविक उत्पादों की मात्रा और कीमतों में वृद्धि हुई है. 2020-21 के दौरान निर्यात किए गए भारतीय जैविक उत्पादों की मात्रा 8.88 लाख टन (लीटर) थी, जबकि 2019-20 में यह 6.38 लाख टन थी. इन उत्पादों का मूल्य 2019-20 में 689.10 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2020-21 में 1,040.95 मिलियन डॉलर हो गया.
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