सरकार ने अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों को शुरू से अंत तक सहायता पहुंचाने के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना शुरू की है. इन पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को 'विश्वकर्मा' कहा जाता है और ये लोहार, सुनार, कुम्हार, बढ़ई, मूर्तिकार आदि व्यवसायों में लगे हुए हैं. पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत सरकार ऐसे कारीगरों को 21 दिन की ट्रेनिंग के दौरान प्रतिदिन 500 रुपये वजीफे के रूप में दे रही है. योजना का लाभ पाने के लिए देशभर से 31 हजार से अधिक कारीगरों और शिल्पकारों ने आवेदन किया है. योजना के लिए सरकार 13,000 करोड़ रुपये स्वीकृत कर चुकी है.
पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत 18 व्यवसायों में लगे कारीगरों और शिल्पकारों को वित्तीय मदद दी जा रही है. इन कारीगरों कामकाज बढ़ाने के साथ ही आय बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन राशि दे रही है. योजना में शामिल होने वाले कारीगरों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड दिए जा रहे हैं. जबकि, कुशलता के लिए 5-7 दिनों की बुनियादी ट्रेनिंग और 15 दिनों या उससे अधिक समय की एडवांस ट्रेनिंग के साथ ही 500 रुपये प्रति दिन वजीफा दिया जा रहा है. सरकार ने योजना के लिए वित्त वर्ष 2023-2024 से वित्त वर्ष 2027-28 तक 13,000 करोड़ रुपये खर्च के लिए स्वीकृत कर चुकी है.
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने बीते दिन सोमवार को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि सरकार पीएम विश्वकर्मा योजना के लाभार्थियों को टूलकिट प्रोत्साहन के रूप में 15,000 रुपये दे रही है. जबकि, क्रेडिट सहायता के रूप में 3 लाख रुपये तक का बिना गारंटी इंटरप्राइज डेवलेपमेंट लोन दिया जाता है. यह लोन 1 और 2 लाख रुपये की दो किश्तों में 18 महीने और 30 महीने की अवधि के लिए 5 फीसदी ब्याज दर पर दिया जाता है. इस लोन पर सब्सिडी भी सरकार देती है. जो लाभार्थी बुनियादी ट्रेनिंग ले चुके हैं वह 1 लाख रुपये तक की पहली किश्त उठा सकते हैं.
वित्त वर्ष 2023 में पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत योजना का लाभ उठाने के लिए पीएम विश्वकर्मा पोर्टल में प्राप्त राज्य, केंद्र शासित प्रदेशवार रजिस्ट्रेशन कराए गए हैं. योजना का लाभ पाने के लिए देशभर से 31,806 आवेदन पहुंचे हैं. सर्वाधिक 15,051 आवेदन कर्नाटक से कारीगरों ने किए हैं. इसके बाद असम से 6,915 आवेदन और आंध्र प्रदेश से 3,976 आवेदन पहुंच हैं. जबकि, अरुणाचल प्रदेश और दिल्ली समेत कई राज्यों से एक भी आवेदन नहीं पहुंचा है.
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