केंद्रीय कृषि मंत्रालय, लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (एसएफएसी) और कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) ने मिलकर आइएनए मार्केट स्थित दिल्ली हॉट में मंगलवार को एफपीओ मेले का आयोजन किया. इस मेले में देश के प्रमुख किसान उत्पादक संगठनों (FPO) ने भाग लिया. दरअसल, एफपीओ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई रफ़्तार दे रहे हैं. बाजारों तक किसानों की पहुंच आसान बनाने के क्रम में आज देश के हर ब्लॉक में एक एफपीओ या तो बन चुका है या जल्द ही बन जाएगा. एफपीओ के माध्यम से आज 8 लाख किसानों के 2165 से ज्यादा संगठन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ओएनडीसी (ONDC) के साथ जुड़कर व्यापार कर रहे हैं.
बहरहाल, दिल्ली हाट में लगे इस मेले में 20 से अधिक के एक से बढ़कर एक उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई. कोशिश यह है कि एफपीओ के प्रोडक्ट से लोग रूबरू हों और बड़ी कंपनियों की बजाय गांवों में बनी चीजों को खरीदें. ताकि किसानों की आय बढ़े और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले. इस मेले में आने वाले लोगों को प्राकृतिक उत्पादों का एक नया अनुभव मिला.
इसे भी पढ़ें: भारत में खेती-किसानी की तरक्की का बड़ा साथी है इजराइल, यकीन न हो तो पढ़ लीजिए यह रिपोर्ट
एफपीओ, किसानों का एक समूह होता है जो अपने क्षेत्र में फसल उत्पादन से लेकर खेती-किसानी से जुड़ी तमाम व्यावसायिक गतिविधियां भी चलाता है. इसके जरिए किसानों को न सिर्फ कृषि उपकरण के साथ खाद, बीज, उर्वरक जैसे कई एग्री इनपुट भारी छूट पर मिलते हैं बल्कि एफपीओ तैयार फसल एवं उसकी प्रोसेसिंग करके उत्पाद को मार्केट में बेचते भी हैं. इन दिनों सरकार का फोकस एफपीओ के जरिए किसानों को आगे बढ़ाने पर है.
इस मौके पर कॉमन सर्विस सेंटर स्पेशल पर्पस व्हीकल (सीएससी एसपीवी) के सीईओ और प्रबंध निदेशक संजय राकेश ने कहा कि सीएससी ने हमेशा विभिन्न पहलों के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास किया है. किसान और कृषि हमारी पहल का अभिन्न अंग है. देश के दूर-दराज इलाकों में मौजूद सीएससी के विशाल नेटवर्क की बदौलत पहले से ही हम किसानों को टेली-परामर्श, फसल बीमा, ई-पशु चिकित्सा, किसान क्रेडिट कार्ड और पीएम किसान योजनाओं के जरिए विभिन्न सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. इसी कड़ी में हम देश भर में एफपीओ के गठन में पूरे जोश के साथ काम कर रहे हैं.
राकेश ने कहा कि देश के दूरदराज इलाकों में स्थित साढ़े पांच लाख से अधिक सीएससी ने नागरिकों के जीवन में एक सराहनीय बदलाव किया है. ग्रामीण नागरिक सीएससी केंद्रों के माध्यम से अपने घर पर ही विभिन्न विभागों की सेवाएं प्राप्त करने में सक्षम हैं. उदाहरण के लिए, जाति, आय, अधिवास, चरित्र प्रमाण पत्र और रोजगार पंजीकरण आदि सेवाओं की मदद से सीएससी ने गांव के लोगों को ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में मदद करके एक उल्लेखनीय कार्य किया है.
ये भी पढ़ें: पराली के नाम पर अंधाधुंध खर्च हुआ पैसा लेकिन धुएं में हवा हो गए दावे...देखिए आंकड़े
एक अनुमान के मुताबिक भारत में 12 करोड़ से अधिक छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनकी औसत जोत का आकार 1.1 हेक्टेयर से कम है. अधिकांश छोटे और सीमांत किसानों को उत्पादन और उत्पादन के बाद के कामों में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. खासतौर पर टेक्नोलॉजी तक पहुंच, बीज उत्पादन, मशीनरी, प्रोसेसिंग, लोन, निवेश और बाजार को लेकर दिक्कतें आती हैं. लेकिन एफपीओ के जरिए उत्पादकों का सामूहिकीकरण ऐसी चुनौतियों का समाधान करने और उनकी आय बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.