
गेहूं और चावल की महंगाई कम करने के लिए फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) बड़ा कदम उठाने जा रहा है. एफसीआई खुले मार्केट में आठ लाख टन गेहूं और चावल की नीलामी करने जा रहा है. FCI की तरफ से यह नीलामी पांच जुलाई को की जाएगी. हाल के दिनों में जिस तरह से गेहूं और चावल के दाम बढ़े हैं, उसे देखते हुए सरकार ओपन मार्केट सेल्स स्कीम (OMSS) के अंतर्गत खुले बाजार में अनाज बेच रही है. इसके लिए राज्यों की मांग के मुताबिक टेंडर निकाला गया है. इस टेंडर के जरिये एफसीआई चार-चार लाख गेहूं और चावल की नीलामी करेगी. ओपन मार्केट सेल्स स्कीम में प्लानिंग ये है कि जब खुले बाजार में सरकार अनाज बेचेगी तो इससे सप्लाई बढ़ेगी और मांग की पूर्ति हो सकेगी. सप्लाई बढने से गेहूं और चावल के भाव घटाने में मदद मिलेगी.
नई प्लानिंग के मुताबिक सरकार हर हफ्ते गेहूं और चावल की नीलामी करेगी जबकि पहले एक हफ्ते में गेहूं तो दूसरे हफ्ते में चावल की नीलामी होती थी. इस कोशिश के बावजूद भाव में कोई बहुत ज्यादा नरमी नहीं देखी गई जिसके बाद सरकार ने हर हफ्ते गेहूं और चावल को एक साथ बेचने का फैसला किया. इसी क्रम में पांच जुलाई को एफसीआई आठ लाख टन गेहूं और चावल की बिक्री करने जा रही है.
सरकार राज्यों को बराबर मात्रा में गेहूं और चावल दे रही है. सरकार राज्यों की जरूरत का भी ध्यान रख रही है. हालांकि नीलामी के पहले राउंड में पंजाब को अधिक चावल दिया गया है क्योंकि पूरे एफसीआई के कोटे में उसका स्टॉक ज्यादा है. सरकार के इस निर्णय के खिलाफ व्यापारियों में कुछ नाराजगी है. व्यापारियों का कहना है कि पंजाब में गेहूं की अधिक खपत होती है, लेकिन उसके विपरीत पंजाब को चावल की अधिक मात्रा दी गई. दूसरी ओर सरकार का तर्क है कि पंजाब ने एफसीआई को अधिक चावल बेचा है, इसलिए ओपन मार्केट सेल्स स्कीम में वहां खुले मार्केट में चावल की बिक्री भी अधिक हो रही है.
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ओएमएसएस के तहत पांच राज्यों- मध्य प्रदेश, हरियाणा, असम, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में चावल की बिक्री नहीं हो रही है क्योंकि वहां रबी धान की सरकारी खरीद अभी जारी है. मौजूदा सीजन में सरकार 2060 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीद रही है जिसका चावल के टर्म में भाव 3075 रुपये हुआ. एफसीआई ने अपनी पहली नीलामी में बिहार को 30,000 टन चावल आवंटित किया है जबकि यूपी को 15,000 टन और बंगाल को 2,300 टन चावल दिया गया है.
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एफसीआई ने चावल बेचने के कुछ खास नियम बनाए हैं. जैसे चावल की खरीद करने वाले व्यापारियों के पास FSSAI का लाइसेंस होना चाहिए और उन्हें थोक व्यापारियों को अपना चावल नहीं बेचना है. एक व्यापारी या कोई एक कंपनी 100 टन तक चावल या गेहूं की खरीद कर सकती है.