'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पोर्टल पर गन्ने का रजिस्ट्रेशन नहीं करा रहे किसान, मोबाइल का ओटीपी है वजह

'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पोर्टल पर गन्ने का रजिस्ट्रेशन नहीं करा रहे किसान, मोबाइल का ओटीपी है वजह

गन्ना किसान केवल ने कहा ओटीपी खेत मालिक के नंबर पर भेजा जाता है. अगर मालिक व्यस्त है या ओटीपी तुरंत साझा नहीं कर पाता है, तो रजिस्ट्रेशन में देरी हो जाती है. एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने पिछले साल गन्ना बिक्री के लिए एमएफएमबी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया था, लेकिन खराब प्रतिक्रिया के कारण सरकार को निर्देश वापस लेना पड़ा.

करनाल में गन्ना किसान नहीं करा रहे रजिस्ट्रेशन. (सांकेतिक फोटो)करनाल में गन्ना किसान नहीं करा रहे रजिस्ट्रेशन. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 02, 2024,
  • Updated Aug 02, 2024, 11:10 AM IST

हरियाणा के करनाल जिले में गन्ना किसान अपनी फसलों को 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' (एमएफएमबी) पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने में रुचि नहीं ले रहे हैं. हालांकि, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से एमएफएमबी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए किसानों के जागरूक भी किया जा रहा है. इसके बावजूद भी किसान सरकारी योजना में इंटरेस्ट नहीं दिखा रहे हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक केवल 12524 एकड़ में रजिस्ट्रेशन हुआ है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार ने 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' स्कीम पारदर्शिता सुनिश्चित करने और किसानों को उनकी उपज की बिक्री पर कई तरह के लाभ देने के लिए शुरू की है. ऐसे करनाल जिले में कुल गन्ना खेती का रकबा करीब 40,000 एकड़ है. इसके बावजदू भी केवल 12524 एकड़ में रजिस्ट्रेशन हुआ है. कहा जा रहा है कि कई किसानों ने पट्टे पर जमीन लेकर खेती की है. ऐसे में इन किसानों ने मौजूदा रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में कई चुनौतियों का हवाला दिया है. उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रेशन प्रणाली सत्यापन के लिए वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) अनिवार्य करती है, जो खेत मालिक के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजा जाता है. इससे अक्सर देरी होती है. 

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ओटीपी है बड़ी समस्या

वहीं, गन्ना किसान केवल ने कहा ओटीपी खेत मालिक के नंबर पर भेजा जाता है. अगर मालिक व्यस्त है या ओटीपी तुरंत साझा नहीं कर पाता है, तो रजिस्ट्रेशन में देरी हो जाती है. एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने पिछले साल गन्ना बिक्री के लिए एमएफएमबी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया था, लेकिन खराब प्रतिक्रिया के कारण सरकार को निर्देश वापस लेना पड़ा. इस साल, अधिकारियों ने एमएफएमबी पोर्टल पर फसलों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि केवल पंजीकृत किसान ही गन्ना खरीद के लिए पात्र होंगे.

ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया

एक अन्य किसान हनी ने कहा कि किसानों को उम्मीद थी कि पिछले साल की तरह ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया को वापस ले लिया जाएगा. हालांकि, सूत्रों ने दावा किया कि अनिच्छा के पीछे मुख्य कारण करनाल में अन्य राज्यों से धान की अवैध बिक्री के लिए आढ़तियों, किसानों और अधिकारियों के बीच नापाक सांठगांठ थी. उन्होंने कहा कि जिले के कुछ आढ़ती किसानों को गन्ने के बजाय धान का पंजीकरण करने के लिए भुगतान करते हैं, ताकि वे यूपी से सस्ता धान या अधिकारियों की मिलीभगत से बिहार और अन्य राज्यों से तस्करी करके पीडीएस-चावल प्राप्त कर सकें.

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इस दिन तक करें रजिस्ट्रेशन

विभाग और चीनी मिलों के अधिकारी अब सक्रिय रूप से किसानों से संपर्क कर रहे हैं और उनसे 5 अगस्त की समय सीमा तक अपना रजिस्ट्रेशन पूरा करने का आग्रह कर रहे हैं, ताकि उनकी उपज की सुचारू प्रसंस्करण और खरीद सुनिश्चित हो सके. करनाल सहकारी चीनी मिल के प्रबंध निदेशक हितेंद्र शर्मा ने कहा कि हमने किसानों तक पहुंचने और उन्हें अपनी गन्ना फसल पंजीकृत करने में सहायता करने के लिए टीमें बनाई हैं, क्योंकि सरकार ने खरीद के लिए एमएफएमबी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है. 

 

 

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