केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने किसानों को कार्बन बाज़ार से परिचित करवा कर उन्हें इसका फायदा दिलाने के लिए फ्रेमवर्क तैयार किया है. केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने सोमवार को कृषि भवन में इस बारे में एक बुकलेट लॉन्च की. इस मौके पर मुंडा ने कहा कि छोटे-मझौले किसानों को कार्बन क्रेडिट का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इससे किसानों की कमाई बढ़ेगी. उन्हें फायदा होने के साथ ही पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाने में भी तेजी आएगी. मंत्री ने किसानों के हित में कार्बन बाजार को बढ़ावा देने के लिए राज्यों और दूसरे मंत्रालयों से अपील की है. कार्बन क्रेडिट पाने के लिए किसानों को अलग तरीके से काम करना होगा.
मुंडा ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के दौर में कृषि क्षेत्र में कई चुनौतियां हैं. इनके बीच पर्यावरण अनुकूल खेती करके किसान कार्बन क्रेडिट का फायदा उठा सकते हैं. जैसी वैश्विक चुनौतियां हम सबके सामने हैं ऐसे में सावधानी से काम करते हुए आगे बढ़ना है. उन्होंने आईसीएआर से इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने को कहा है. मुंडा ने कहा कि देश में कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था व करोड़ों लोगों की आजीविका में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है.
इसे भी पढ़ें: पिछले पांच साल में कितना बढ़ा दलहन-तिलहन उत्पादन, आत्मनिर्भर बनने के लिए क्या कर रही है सरकार
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि देश के कार्यबल का 54.6% कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों की गतिविधियों में लगा हुआ है. जीडीपी में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी 18.6% है. जबकि 139.3 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों की बुवाई हुई है. कृषि क्षेत्र के इस महत्व को देखते हुए काम करना है. कृषि वानिकी नर्सरी के एक्रेडिटेशन प्रोटोकॉल, देश में कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर रोपण सामग्री का उत्पादन करेंगे. साथ ही कार्बन क्रेडिट के प्रमाणीकरण के लिए संस्थागत व्यवस्था को मजबूत करेंगे.
मुंडा ने कृषि वानिकी क्षेत्र से जुड़े लोगों से कहा कि वे ऐसा काम करें ताकि गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री से सुनिश्चित रिटर्न मिल सके. साथ ही, प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग हो सके. मुंडा ने कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास और जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काफी संवेदनशील हैं. इसलिए किसानों के साथ मिलकर, उनके लिए सुविधाजनक ढंग से इस दिशा में काम किया जाना चाहिए. कार्बन क्रेडिट के जरिए जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं के समाधान के साथ ही हमारे किसानों को इसका सीधा लाभ भी मिलना चाहिए. इस अवसर पर कृषि सचिव मनोज अहूजा और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक भी मौजूद रहे.
इसे भी पढ़ें: Income Tax on Farmers: कौन कहता है कि किसान नहीं देते टैक्स? वरिष्ठ किसान नेता ने दिखाया आईना