देश के किसान अब नई-नई तकनीक का इस्तेमाल कर आधुनिकता की और तेजी से बढ़ रहे हैं. क्योंकि दिन पर दिन खेती किसानी में नई तकनीक का लगातार आगमन होते जा रहा है. जिससे किसानों के लिए नए गुर सीखना बेहद ही जरूरी है. दरअसल अब बिहार के किसान खेती-बाड़ी में तकनीक का उपयोग करने में सक्षम हो गए हैं. यही वजह है कि बिहार के किसान नैनो यूरिया और रसायन के छिड़काव के लिए ड्रोन की मांग बढ़ गई है. जिसके बाद सरकार ने खेती में ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी देने का निर्णय लिया है. वहीं इफको (IFFCO) भी बिहार के किसानों को 225 ड्रोन दे रहा है.
एक ड्रोन की कीमत लगभग 15 लाख रुपये है. वहीं योग्य किसानों को इफको (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड) की ओर से फ्री दिए जा रहा हैं. लेकिन किसानों से सिर्फ जमानत राशि ली जाएगी.
बिहार के किसान ड्रोन की मदद से सिर्फ आठ मिनट में एक एकड़ खेत में रसायन का छिड़काव कर सकते हैं और उसमें सिर्फ 10 लीटर ही पानी लगेगा. यानी इसके उपयोग से समय और पानी के साथ-साथ मजदूरी की खर्च भी बचेगी. वहीं ड्रोन उन्ही पात्र किसानों को दिया जाएगा, जिनका पासपोर्ट बना हुआ होगा. इसके अलावा उन्हें एक सप्ताह का पायलट प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. वहीं पात्र किसानों से जमानत राशि यानी सिक्योरिटी मनी के तौर पर एक लाख रुपये लिए जाएंगे औऱ ड्रोन को वापस करने पर पैसे किसानों को दे दिए जाएंगे.
बिहार के किसानों को ड्रोन से खेतों में छिड़काव करने के बदले 250 रुपये प्रति एकड़ की दर से सब्सिडी देगी. वहीं बिहार सरकार की अगले पांच साल में पाँच लाख 70 हजार एकड़ में ड्रोन से पौधा संरक्षण को बढ़ावा देने की योजना है.
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राज्य के टाल क्षेत्र में बड़े पैमाने पर दलहन की खेती होती है. वहां फसलों की सुरक्षा के लिए ड्रोन काफई उपयोगी साबित हो रहा है. दरअसल आम, लीची और अन्य फलों के बागानों में भी समय-समय पर छिड़काव करने की जरुरत होती है. जोकि बिना ड्रोन के वहां छिड़काव करना संभव नहीं होता है. किसानों को यूरिया का छिड़काव करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
बिहार, इफको के वितरण प्रबंधक, सोमेश्वर सिंह ने बताया कि पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए नैनो यूरिया बहुत ही उपयोगी और किफायती माना जा रहा है. दरअसल ट्रायल में इसे कारगर पाए जाने के बाद इसका उपयोग बढ़ाने के लिए पात्र किसानों को ड्रोन दिया जा रहा है. इससे रोजगार के नए अवसर भी तैयार होंगे.