पूसा बासमती से लाखों का मुनाफा, 40 एकड़ में धान से कर रहे धमाकेदार कमाई

पूसा बासमती से लाखों का मुनाफा, 40 एकड़ में धान से कर रहे धमाकेदार कमाई

गया के किसान अनिल कुमार ने पूसा बासमती धान की खेती में नया प्रयोग कर लाखों रुपये का मुनाफा कमाया है. जानिए उनकी सफलता की कहानी और कैसे वे खेती से हजारों किसानों को रोजगार देने की तैयारी कर रहे हैं.

धान की खेती से कमा रहे लाखों का मुनाफाधान की खेती से कमा रहे लाखों का मुनाफा
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Oct 09, 2025,
  • Updated Oct 09, 2025, 5:52 PM IST

बिहार के किसान अब पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर नए-नए प्रयोग कर रहे हैं और लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. इसी सिलसिले में आज हम आपको गया जिले के कजरी गांव (कपसिया पंचायत, परैया प्रखंड) के 50 वर्षीय किसान अनिल कुमार की सफलता की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने किसानी को एक नया आयाम दिया है.

दवा कंपनी से खेती की ओर रुख

अनिल कुमार, जो गिरजेश कुमार के पुत्र हैं, ने स्नातक (B.A.) तक पढ़ाई की है. साल 2000 से 2019 तक वे एक दवा कंपनी में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के रूप में कार्यरत रहे. इस दौरान वे कंपनी के टॉप परफॉर्मर में गिने जाते थे और लगातार छह साल तक विदेश यात्रा का लाभ उठाया. लेकिन इस दौरान भी उनकी दिलचस्पी खेती में बनी रही.

ट्रेन यात्रा ने बदली किस्मत

साल 2015 में दिल्ली से लौटते समय ट्रेन में अनिल की मुलाकात हरियाणा के एक किसान से हुई, जिसने उन्हें पूसा बासमती धान के बीज दिए. यही मुलाकात उनकी खेती की दिशा बदलने वाली साबित हुई. उसी साल उन्होंने पहली बार पूसा बासमती धान की खेती शुरू की.

पहले साल असफलता, लेकिन नहीं मानी हार

शुरुआती अनुभव की कमी के कारण 2015 में उन्हें केवल 19 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन ही मिल पाया. झुलास रोग के कारण फसल खराब हो गई, जिससे उन्हें काफी मायूसी हुई. हरियाणा के व्यापारी ने मदद की और धान वहां बिक पाया, लेकिन कीमत उम्मीद से कम मिली.

मेहनत का रंग- लाखों की कमाई

अनिल ने हिम्मत नहीं हारी. खेती में लगातार लगे रहे और 2017 से 2020 तक कुछ समय तक ठेकेदारी का काम भी किया, लेकिन खेती ने उन्हें संतोष और सफलता दी. साल 2023 में उन्होंने खुद 40 एकड़ में और अन्य किसानों के साथ मिलकर गया जिले के कोंच, टिकारी और शेरघाटी प्रखंडों में कुल लगभग 220 एकड़ में बासमती धान की खेती करवाई.

लागत कम, मुनाफा ज़बरदस्त

अनिल कुमार के अनुसार, धान की खेती में एक एकड़ की लागत करीब ₹12,900 आती है, जबकि फसल बेचने पर एक एकड़ से ₹84,000 की आमदनी होती है. यानी उन्हें प्रति एकड़ ₹71,100 का शुद्ध मुनाफा मिल रहा है. वे हाथ से और रीपर मशीन से फसल की कटाई करवा रहे हैं, जिससे किसानों को अतिरिक्त रोजगार भी मिल रहा है.

पराली प्रबंधन में भी कर रहे सहयोग

अनिल सरकार की पराली प्रबंधन योजना में अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग कर रहे हैं. फसल की कटाई के बाद खेत की सफाई और पराली के सही निपटारे से पर्यावरण को भी फायदा हो रहा है.

क्या है भविष्य की योजनाएं

अनिल कुमार का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में बासमती धान की खेती को 3,000 एकड़ तक ले जाना है. वे इस योजना से करीब 50 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार देने की कोशिश कर रहे हैं. उनके अनुसार, यह मॉडल अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणादायक है और इससे सभी का जीवन स्तर बेहतर हो सकता है.

ईमानदारी और मेहनत ही सफलता की कुंजी

अनिल कहते हैं, "खेती में प्राकृतिक खेती का भी बड़ा योगदान होता है, लेकिन अगर हम ईमानदारी से मेहनत करें तो प्रकृति भी हमारा साथ देती है." उनकी यह सोच आज के युवा किसानों को एक नई दिशा देने वाली है.

अनिल कुमार की कहानी यह साबित करती है कि अगर सोच नई हो और मेहनत सच्ची हो, तो खेती भी किसी बड़े बिज़नेस से कम नहीं. बिहार के किसानों के लिए यह एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि आधुनिक खेती और सही तकनीक से लाखों की आमदनी की जा सकती है.

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