सरकार किसानों की आय को बढ़ावा देने के साथ- साथ लोगों को पोषण से भरपूर भोजन देने की कोशिश में है. जिसके तहत कई तरह की योजनाएं और प्रयास सिए जा रहे हैं. चाहे वह मिलेट्स को बढ़ावा देना हो या किसानों को जैविक खेती से जोड़ना हो. इसी के तहत बीते दिनों नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL) को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली है. इसका उद्देश्य वैश्विक बाजार में भारत के जैविक उत्पादों की साख को मजबूत बनाना है. इसी क्रम में NCOL की स्थापना 100 करोड़ रुपये की प्रारंभिक पेड-अप शेयर पूंजी के साथ की जाएगी. तो वहीं इसे अमूल को प्रमोट करने वाली गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF), भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED), एनडीडीबी समेत 5 कोऑपरेटिव की तरफ से प्रमोट किया जाएगा.
वहीं नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड का पंजीकृत ऑफिस गुजरात के आनंद में हाेेगा. जहां जीसीएमएमएफ भी स्थित है. आइए जानते हैं कि जैविक खेती को बढ़ाने के लिए NCOL की क्या प्लानिंग है.
नेशनल कोऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड के एक अधिकारी ने बताया कि NCOL अपनी साथी सहकारी समितियों के माध्यम से सहकारी समितियों और संबंधित संस्थाओं द्वारा उत्पादित जैविक उत्पादों की आपूर्ति करने के लिए पूरी श्रृंखला (chain) का प्रबंधन करेगा. यह GCMMF के ब्रांड और मार्केटिंग नेटवर्क का उपयोग करके विभिन्न व्यावसायिक मॉडल अपनाएगा जिसके पास AMUL ब्रांड का स्वामित्व है.उन्होंने आगे कहा कि NCOL साथ-साथ अपना खुद का ब्रांड भी विकसित करेगा.
ये भी पढ़ें Millet: कृषि वैज्ञानिकों ने पहली बार खोजी ज्वार में नई बीमारी, अब इलाज खोजने की बारी
यह जैविक उत्पादकों के लिए तकनीकी मार्गदर्शन, ट्रेनिंग और क्षमता को बढ़ाने के लिए जैविक उत्पादों के लिए एक प्रणाली बनाएगा और जैविक खेती को बढ़ावा देते हुए नियमित सामूहिक खेती और जैविक खेती के बीच निगारानी बनाए रखेगा, इससे खाद्य सुरक्षा को कोई खतरा नहीं होगा.
आंकड़ों से पता चला है कि भारत जैविक खेती के तहत 27 लाख हेक्टेयर के साथ चौथे स्थान पर है, मध्य प्रदेश 7.6 लाख हेक्टेयर, राजस्थान 3.5 लाख हेक्टेयर, और महाराष्ट्र 2.8 लाख हेक्टेयर खेती होती है जिसमें लगभग 16 लाख किसानों की भागीदारी है. प्रमाणित जैविक क्षेत्र का वार्षिक कारोबार लगभग ₹27,000 करोड़ है, जिसमें निर्यात से ₹7,000 करोड़ शामिल हैं. जैविक किसान अधिक सफल हैं क्योंकि भारतीय जैविक कृषि के प्रमाण का 99 फीसदी उत्पादक समूहों से संबंधित है जिन्हें ज्यादातर व्यापारियों द्वारा बढ़ावा दिया जाता है.
व्यापार नीति विशेषज्ञ एस चंद्रशेखरन ने कहा कि मौजूदा जैविक सहकारी समिति एक संतुलन बनाएगी और किसानों को कई स्वतंत्रता देगी. उन्होंने सरकारी पहल के तहत NCOL के स्थापना की सराहना की है.
ये भी पढ़ें MFMB: इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के बिना एमएसपी पर नहीं बेच सकते गेहूं और सरसों
UP: बांंदा में पानी लौटाने की कहानी, 'Dynamic DM' की जुबानी