Natural Farming: खेती-किसानी में भी महिलाएं पुरुषों को टक्कर दे रही हैं. इसी मेहनत के दम पर उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले (Amroha) की रहने वाली महिला किसान हितेश चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से मुलाकात करने का मौका मिला. चक छावी की प्रगतिशील महिला किसान हितेश चौधरी ने इंडिया टुडे के किसान तक से खास बातचीत में बताया कि पीएम मोदी से रूबरू होने का उनका सपना खेती के जरिए ही पूरा हुआ है. बताया कि प्रधानमंत्री ने मुलाकात के दौरान मोटे अनाज को लेकर काफी जोर दिया. पूछा कि एफपीओ पर मोटे अनाज से तैयार उत्पादों की मार्केटिंग कैसे करते हो. इस पर हितेश चौधरी ने सोशल मीडिया के माध्यम से मोटे अनाज के उत्पादों की मार्केटिंग करने की बात कही.
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने आईसीआर में करीब पौन घंटा किसानों के साथ बिताए. इसके अलावा केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी महिलाओं से खेती के संबंध में बातचीत करते हुए सुझाव मांगे. उन्होंने कहा कि एफपीओ व कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से नए प्रजाति के यह बीज किसानों को केवीके के जरिए उपलब्ध कराने चाहिए. क्योंकि यह नए बीज किसानों के लिए बहुत लाभकारी हैं. इससे ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्राकृतिक खेती के जरिए बेहतर उत्पादन के साथ अच्छी आमदनी होगी.
महिला किसान हितेश ने कहा कि ये नई किस्में बेहद फायदेमंद होंगी क्योंकि ये उनके खर्च को कम करने में मदद करेंगी और पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेंगी. खात बात ये है कि यह सभी किस्में जलवायु अनुकूल और जैव-सशक्त हैं. यानी इन किस्मों के जरिए उपज बढ़ाने में मदद मिलेगी और क्वालिटी बेहतर होने से किसानों को अच्छी कीमत मिलेगी, जो उनकी आय बढ़ाने में मदद करेगी.
बता दें कि रविवार को दिल्ली में एक कृषि संबंधित कार्यक्रम आयोजित किया गया था. जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को जैव संवर्धित 109 नई प्रजातियां समर्पित की हैं. इनमें 69 फसलें खाद्यान्न व 40 फसलें बागवानी से जुड़ी हैं. जारी की गई 61 फसलों की 109 किस्मों में 34 क्षेत्रीय फसलें और 27 बागवानी फसलें शामिल हैं. खेत की फसलों में, बाजरा, चारा फसलें, तिलहन, दालें, गन्ना, कपास, फाइबर और अन्य संभावित फसलों सहित विभिन्न अनाजों के बीज जारी किए गए. बागवानी फसलों में विभिन्न प्रकार के फल, सब्जी फसलें, वृक्षारोपण फसलें, कंद फसलें, मसाले, फूल और औषधीय फसलें जारी की गईं.
अमरोहा ब्लाक क्षेत्र के गांव चक छावी की रहने वाली हितेश चौधरी ने ग्रेजुएशन के बाद डबल एमए व योग में पीजी डिप्लोमा किया है. उन्होंने आगे बताया कि साल 2020 में ओजस्विनी महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर गन्ने की खेती को प्राकृतिक तकनीक से करने की जानकारी किसानों को दी. जिससे बहुत से किसान आज पूरी तरह से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. आज हर चीज में मिलावट आ रही है, जिससे शरीर बीमार बन रहा है. कैंसर से लेकर अन्य बीमारियां जद में ले रही हैं. हितेश बताती हैं कि उनके सुझाव के बाद 200 से अधिक जिले के किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. जबकि कई किसानों को अब तक वह प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दे चुकी हैं. हितेश चौधरी आज प्राकृतिक खेती के जरिए सफलता की नई कहानी लिख रही हैं.
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