प्राकृतिक खेती से बदली किसान तुलसीराम मौर्य की तकदीर, अब अपना ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म करेंगे लॉन्‍च

प्राकृतिक खेती से बदली किसान तुलसीराम मौर्य की तकदीर, अब अपना ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म करेंगे लॉन्‍च

दंतेवाड़ा के किसान तुलसीराम मौर्य ने प्राकृतिक खेती अपनाकर खेतों की उर्वरता बढ़ाई है. अब उनकी खेती की लागत घटने और उत्पादन से बढ़‍िया फायदा हो रहा है. वे श्री विधि से कुटकी, कोसरा, रागी और सब्ज़ियों की सफल खेती कर रहे हैं. पढ़ें उनकी सफलता की कहानी...

Kisan Tulsiram ChhattisgarhKisan Tulsiram Chhattisgarh
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 03, 2025,
  • Updated Dec 03, 2025, 12:59 PM IST

छत्‍तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के गीदम विकासखंड के गांव छिंदनार (बड़े पारा) के किसान तुलसीराम मौर्य ने यह साबित कर दिया है कि अगर किसान नई सोच और सटीक मार्गदर्शन के साथ आगे बढ़े तो खेती सिर्फ गुजारे का साधन नहीं, बल्कि समृद्धि की राह बन सकती है. नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग के अंतर्गत प्रशिक्षण पाने के बाद तुलसीराम ने खेती को बिल्कुल नई दिशा दी. परंपरागत रासायनिक खेती से जूझ रहे इस किसान ने जब प्राकृतिक तरीकों की ओर कदम बढ़ाए तो उनके खेत ही नहीं, उनकी पूरी जिंदगी बदल गई.

केमिकल खाद से गिर रही थी मिट्टी की क्‍वालिटी

पहले जहां वे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भर होने की वजह से मिट्टी की लगातार गिरती गुणवत्ता और बढ़ती लागत से परेशान थे, वहीं प्राकृतिक खेती अपनाने के बाद हालात पूरी तरह बदल गए हैं. तुलसीराम मौर्य ने  श्री विधि के जरिए कुटकी, कोसरा और रागी जैसी पारंपरिक फसलों की खेती शुरू की और इसमें गोबर खाद, जीवामृत और नीम-लहसुन से बने जैविक घोलों ने मिट्टी को फिर से जीवंत कर दिया. अब उनका उत्पादन बढ़ने के साथ, लागत घट गई है और खेतों में पहले जैसी उर्वरता वापस आने लगी है.

सब्जियों की खेती से हो रही स्‍थायी आय

तुलसीराम सब्जियों की खेती भी कर रहें हैं और उन्‍हें रोजगार का स्थायी आधार दिया है. वह अपने खेत में भिंडी, करेला, लौकी, टमाटर और मिर्च जैसी सब्जियां प्राकृतिक तरीके से उगा रहे हैं, जिससे उन्हें अच्छी पैदावार मिल रही है और साथ ही बाजार में अच्‍छा दाम भी मिल रहा है, क्योंकि लोग जैविक और प्राकृतिक उत्पादों की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं. धीरे-धीरे अतिरिक्त आय के चलते उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है.

तुलसीराम को देख 20 और किसान हुए प्रेरित 

तुलसीराम की सफलता ने गांव के अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है और अब करीब 20 किसान श्री विधि और प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं. इसमें गांव की महिलाएं भी जैविक घोल तैयार करने में सहयोग कर रही हैं, जिससे उन्हें आजीविका के नए अवसर मिल रहे हैं. कृषि विभाग ने उनकी लगातार कोश‍िशों को दे खते हुए उन्हें आदर्श किसान सम्मान भी प्रदान किया है. यह सम्मान न केवल उनके काम का मूल्यांकन है, बल्कि पूरे क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है.

अपना प्‍लेटफॉर्म लॉन्‍च करेंगे तुलसीराम

भविष्य की योजनाओं को लेकर वे बेहद उत्साहित हैं. तुलसीराम अब पांच एकड़ क्षेत्र को पूर्णत: जैविक खेती के मॉडल फार्म के रूप में विकसित करना चाहते हैं. साथ ही वे जैविक अनाज की प्रोसेसिंग यूनिट और अपना खुद का ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म तैयार करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं ताकि उनकी उपज सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचे और उन्हें बेहतर लाभ मिल सके.

तुलसीराम की कहानी इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि प्राकृतिक खेती सिर्फ फसलों को ही नहीं, बल्कि किसानों की उम्मीदों को भी पुनर्जीवित करती है. बिना रसायन, बिना प्रदूषण और पूरी तरह टिकाऊ पद्धति ने उन्हें नया आत्मविश्वास दिया है. आज वे सिर्फ एक किसान नहीं, बल्कि अपने क्षेत्र में बदलाव की पहचान बन चुके हैं.

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