Rajasthan: स्वयं सहायता समूह अब बना रहे एफपीओ, कृषि उत्पाद बनाकर कमा रहे लाभ

Rajasthan: स्वयं सहायता समूह अब बना रहे एफपीओ, कृषि उत्पाद बनाकर कमा रहे लाभ

राजस्थान में राजीविका के तहत बने स्वयं सहायता समूह अब एफपीओ का गठन भी कर रहे हैं. समूहों की महिलाएं कई तरह के कृषि उत्पाद बनाकर आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं.

एफपीओ बनाकर उत्पाद बनाती स्वयं सहायता समूह की महिलाएं. फोटो- DIPRएफपीओ बनाकर उत्पाद बनाती स्वयं सहायता समूह की महिलाएं. फोटो- DIPR
माधव शर्मा
  • Jaipur,
  • Apr 06, 2023,
  • Updated Apr 06, 2023, 5:29 PM IST

राजस्थान में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बनाए गए स्वयं सहायता समूह अब किसान उत्पादक संघ यानी एफपीओ भी बनाए जा रहे हैं. राजस्थान में स्वयं सहायता समूह राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् (राजीविका) के तहत बनाए जाते हैं. अब इन्हीं स्वयं सहायता समूहों को साथ लाकर बनाए गए किसान उत्पादक संघ या एफपीओ काफी सफल साबित हो रहे हैं. भारत सरकार ने प्रदेश में एफपीओ की इस सफलता को देखते हुए 30 अतिरिक्त महिला एफपीओ गठन के लक्ष्य आंवटित किए हैं. राजस्थान सरकार इनका गठन इसी महीने कर देगी. 

कृषि संबंधी ये काम कर रहे एफपीओ

राजीविका की ओर से गठित एफपीओ कृषि आधारित मूल्य संवर्धन उत्पाद क्षेत्र में काम कर रहे हैं. ये एफपीओ सीताफल पल्प, सोयाबीन आधारित पोषण लड्डू, पशु आहार विपणन, शहद उत्पादन एवं विपणन, कच्ची घाणी सरसों तेल उत्पादन कर रह हैं. इससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिल रहा है और वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं. ग्रामीण विकास विभाग की सचिव एवं मिशन निदेशक मंजू राजपाल ने बताती हैं कि राजीविका द्वारा एफपीओ गठन से महिला स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को रोजगार के साथ-साथ नए अवसर मिल रहे हैं. इससे गांवों में महिलाओं के हाथ में पैसा पहुंच रहा है. 

पिछले साल 35 एफपीओ का गठन हुआ है राजस्थान में

प्रदेश में बीते वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत सरकार की ओर से आंवटित सभी 35 एफपीओ का गठन राजस्थान में किया जा चुका है. इन एफपीओ ने कई नए क्षेत्रों में हाथ आजमाकर स्वयं को सिद्ध किया है. एफपीओ में सदस्यों की शेयर कैपिटल एवं सरकार से प्राप्त इक्विटी ग्रांट के अलावा एफपीओ के प्रबन्धन के लिए हर साल छह लाख रुपए की राशि निर्धारित है. एक एफपीओ में विभिन्न स्वयं सहायता समूहों की सैकड़ों सदस्य महिलाएं शामिल हो सकती हैं. 

ये हैं प्रदेश के कुछ मुख्य एफपीओ

झालावाड़ी महिला किसान प्रोड्यूसर कम्पनी लि.- यह महिला किसान प्रोड्यूसर कम्पनी शहद के उत्पादन और मार्केटिंग का काम कर रही है. इसमें महिला सदस्यों की संख्या करीब 700 है. सदस्यों की शेयर पूंजी करीब 19 लाख रुपए से शुरू हुए इस एफपीओ में सरकार की ओर से 10 लाख की इक्विटी ग्रांट दी गई है. जबकि एफपीओ के प्रबन्धन के लिए प्रतिवर्ष छह लाख रुपए की राशि रखी गई है. एफपीओ द्वारा उत्पादित शहर की मार्केटिंग ‘मधुसखी झालावाड़ी हनी’ के नाम से किया जा रहा है. 

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बडीसादड़ी महिला किसान प्रोड्यूसर कम्पनी लि., चित्तौड़गढ़- इस प्रोड्यूसर कम्पनी में 666 महिला सदस्य शामिल हैं. एफपीओ का प्रमुख कार्य कच्ची घाणी सरसों तेल उत्पादन एवं विपणन है. इसमें सदस्यों की शेयर कैपिटल 13.32 लाख है जबकि सरकार से इक्विटी ग्रांट के रूप में 12.06 लाख रुपए प्राप्त हुए हैं.

 देवानन्दनी महिला किसान प्रोड्यूसर कम्पनी लि.डूंगरपुर-  डूंगरपुर के 370 महिला सदस्यों वाला यह एफपीओ सोयाबीन के लड्डू बनाता है. ये लड्डू काफी पोषणयुक्त होते हैं. इसके सदस्यों की शेयर कैपिटल सात लाख 40 हजार रुपए और सरकार से भी इतनी ही राशि इक्विटी ग्रांट इस कम्पनी को प्राप्त हुई है.

 नीलगीरी महिला किसान खेरवाड़ा प्रोड्यूसर कम्पनी लि., उदयपुर- उदयपुर के खेरवाड़ा में स्थित इस एफपीओ में 400 महिला सदस्य हैं और यह सीताफल संग्रहण, पल्प प्रोसेसिंग एवं विपणन का व्यवसाय करता है. इसमें सदस्यों की शेयर कैपिटल के रूप में आठ लाख रुपए एवं सरकार से प्राप्त इक्विटी ग्रांट राशि सात लाख रुपए है. ये अब देश के कई शहरों तक अपने उत्पाद पहुंचा रही हैं. 

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महिला शक्ति एग्रोफार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी लि., डूंगरपुर- जिले के झोथरी में यह एफपीओ रजिस्टर्ड है. 390 महिला सदस्यों वाले इस एफपीओ का व्यवसाय बेसन, चना दाल, काला बादल चावल एवं वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन एवं विपणन है. इस एफपीओ के सदस्यों की शेयर कैपिटल सात लाख 80 हजार रुपए एवं सरकार से भी इतनी ही इक्विटी ग्रांट मिली है. ये एफपीओ किसानों के उत्पादों को बाजार के अनुरूप बनाकर बेच रही हैं. इससे इनकी आय में बढ़ोतरी के साथ-साथ स्थानीय किसानों को भी आर्थिक लाभ मिल रहा है. 

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