
महाराष्ट्र सरकार ने किसानों को राहत देते हुए ई-फसल सर्वे की आखिरी तारीख बढ़ा दी है. राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने गुरुवार को घोषणा की कि अब यह सर्वे 30 नवंबर तक पूरा किया जा सकेगा. मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, इस माह चल रहे डिजिटल सर्वे के दौरान अब तक केवल 36 प्रतिशत खेती योग्य क्षेत्र ही दर्ज किया जा सका है. मंत्री बावनकुले ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि निर्धारित समय सीमा के भीतर 100 प्रतिशत फसल निरीक्षण सुनिश्चित किया जाए.
सरकार का सर्वे की समयसीमा बढ़ाने का उद्देश्य यह है कि कोई भी किसान राहत योजनाओं से वंचित न रह जाए. ई-क्रॉप सर्वे में फसल दर्ज न होने पर किसानों को प्राकृतिक आपदा सहायता, फसल बीमा और कृषि लोन जैसी योजनाओं के लाभ मिलने में कठिनाई हो सकती है.
मालूम हो कि सितंबर में हुई भारी बारिश और बाढ़ के चलते महाराष्ट्र में लाखों हेक्टेयर फसलों को नुकसान पहुंचा था और सैकड़ों लोगों की मौत भी हो गई थी. विशेषकर राज्य के मराठवाड़ा इलाके में बारिश-बाढ़ ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया था. इस क्षेत्र में 8 जिले आते हैं, जहां कुछ जिलों भारी मात्रा में फसलों को नुकसान हुआ था. राज्यभर में 68 लाख हेक्टेयर फसल खराब होने की जानकारी सामने आई थी.
राज्य की महायुति सरकार ने भारी बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान को देखते हुए करीब 31628 रुपये का राहत पैकेज घोषित किया था, जिसे विपक्ष ने बहुत कम बताते हुए खासकर किसानों के साथ मजाक बताया था. वहीं, कई जिलों में सर्वे के बाद किसानों काे राहत राशि दी जा चुकी है.
वहीं, मंत्री बावनकुले ने नागपुर में एक मराठी समाचार चैनल से बातचीत में कहा, “सरकार फसल ऋण माफी के लिए प्रतिबद्ध है, पर योजना इस तरह तैयार की जाएगी कि केवल वे किसान लाभान्वित हों जिन्होंने वास्तव में खेती के लिए ऋण लिया है. जिन लोगों ने कृषि भूमि पर फार्महाउस या बड़े घर बनाए हैं और लोन को कृषि लोन दिखाया है, वे पात्र नहीं होंगे.”
उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य एक निष्पक्ष और पारदर्शी योजना लाना है, जिससे केवल वे किसान लाभान्वित हों जो वास्तव में खेती कर रहे हैं और जिनकी फसलें प्राकृतिक कारणों से नष्ट हुई हैं. इसके लिए पात्र किसानों की पहचान करने और राहत देने हेतु एक समिति गठित की गई है. (पीटीआई)