पराली जलाने पर रोक के लिए बड़े कदम, पुआल मिट्टी में मिलाने वाले कृषि यंत्रों पर 80% तक सब्सिडी

पराली जलाने पर रोक के लिए बड़े कदम, पुआल मिट्टी में मिलाने वाले कृषि यंत्रों पर 80% तक सब्सिडी

धान की कटाई के साथ बढ़ती पराली समस्या पर नियंत्रण के लिए सरकार ने स्ट्रॉ बेलर, हैप्पी सीडर सहित सभी प्रमुख यंत्रों पर 80% तक अनुदान बढ़ाया. पुआल मिट्टी में मिलाने से उर्वरक तत्व और ऑर्गेनिक कार्बन में बड़ी बढ़ोतरी.

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अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • Patna,
  • Dec 12, 2025,
  • Updated Dec 12, 2025, 1:33 PM IST

खरीफ सीजन के धान की फसल की कटाई बिहार में इन दिनों जोरों पर जारी है और धान की कटाई के साथ ही पराली की समस्या भी तेजी से बढ़ रही है. वहीं, किसान खेतों में पराली नहीं जलाएं, इसको लेकर कृषि विभाग की ओर से पुआल को मिट्टी में मिलाने वाले कृषि यंत्रों पर अनुदान की राशि बढ़ा दी गई है ताकि किसान इन यंत्रों को आसानी से खरीदकर खेत में पराली जलाने की बजाय उसे मिट्टी में ही तब्दील कर दें. कृषि मंत्री रामकृपाल यादव ने कहा कि किसानों को रासायनिक खादों की जगह जैविक खादों की ओर कदम बढ़ाने की जरूरत है और इसके लिए वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार करने को लेकर भी काम करने की जरूरत है और इसमें सरकार उनकी हर तरह से संभव मदद करेगी.

इन यंत्रों पर बढ़ी अनुदान राशि

कृषि मंत्री रामकृपाल यादव ने कहा कि खेतों में पराली जलाने की समस्या को कम करने के लिए विभाग ने पुआल को मिट्टी में मिलाने वाले कृषि यंत्रों पर अनुदान राशि बढ़ा दी है. इसमें स्ट्रॉ बेलर, हैप्पी सीडर, जीरो टिल सीड-कम-फर्टिलाइजर ड्रिल, रीपर-कम-बाइंडर, स्ट्रॉ रीपर और रोटरी मल्चर शामिल हैं. जहां कभी इन यंत्रों पर मिलने वाला अनुदान 80 फीसदी से कम था. वहीं अब करीब करीब सभी यंत्रों पर 80 फीसदी अनुदान की राशि कर दी गई है. वहीं, इन यंत्रों का उपयोग करके किसान फसल अवशेष को खेत में मिलाकर वर्मी कम्पोस्ट या खाद तैयार कर सकते हैं.

एक टन पुआल से इतना मिलेगा ऑर्गेनिक कार्बन

कृषि विभाग ने बताया कि पराली जलाने से जहां मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है, वहीं मिट्टी का तापमान बढ़ने से मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीव, लाभदायक कीट और केंचुआ तक मर जाते हैं, और साथ ही कार्बन की मात्रा भी कम हो जाती है. लेकिन अगर किसान पुआल को अपने खेत में मिट्टी के साथ मिला दें, तो नाइट्रोजन, पोटाश, सल्फर सहित ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ जाती है. एक टन पुआल को मिट्टी में मिलाने से नाइट्रोजन 20–30 किलोग्राम, पोटाश 60–100 किलोग्राम, सल्फर 5–7 किलोग्राम और ऑर्गेनिक कार्बन 600 किलोग्राम प्राप्त होते हैं.

कृषि यंत्रों के उपयोग से पराली की समस्या कम

बिहार सहित पूरे देश में खेतों में पराली जलाने की घटना आए दिन देखने और सुनने को मिलती है. वहीं, कृषि विभाग की ओर से खेतों में पराली जलाने वाले लोगों पर कई तरह के सख्त कानून भी बनाए गए हैं, लेकिन पराली जलाने की समस्या कम होने की बजाय बढ़ रही है और इसका एक कारण कृषि यंत्रों का सही तरीके से उपयोग नहीं करना है. 

अगर किसान धान की फसल काटने के बाद पराली को जलाने की बजाय मिट्टी में मिलाकर खाद बनाएं, तो खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी. इसके अलावा, फसल कटाई के बाद खेत की सफाई के लिए बेलर मशीन या अन्य यंत्रों का उपयोग करके वे इन समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं.

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