पाकिस्तान का गेहूं घोटाला क्या है जिसने पूरे देश को हिला दिया है, आंदोलन पर क्यों उतरे किसान?

पाकिस्तान का गेहूं घोटाला क्या है जिसने पूरे देश को हिला दिया है, आंदोलन पर क्यों उतरे किसान?

भारत से अलग पाकिस्‍तान के पंजाब प्रांत के हजारों किसान इस समय विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. ये किसान सरकार की तरफ से गेहूं न खरीदने के फैसले को लेकर नाराज हैं और इस वजह से कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इस प्रदर्शन की वजह से इन किसानों को इनकम में भारी नुकसान हो रहा है. पंजाब, पाकिस्‍तान का वह प्रांत है जो सबसे बड़ा है और जिसे 'ब्रेड बास्‍केट' भी कहा जाता है. पंजाब के किसानों की मांग है कि सरकार गेहूं के आयात को रोक दे.

पाकिस्‍तान में गेहूं की वजह‍ से मचा घमासान पाकिस्‍तान में गेहूं की वजह‍ से मचा घमासान
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • May 07, 2024,
  • Updated May 07, 2024, 4:32 PM IST

भारत से अलग पाकिस्‍तान के पंजाब प्रांत के हजारों किसान इस समय विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. ये किसान सरकार की तरफ से गेहूं न खरीदने के फैसले को लेकर नाराज हैं और इस वजह से कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इस प्रदर्शन की वजह से इन किसानों को इनकम में भारी नुकसान हो रहा है. पंजाब, पाकिस्‍तान का वह प्रांत है जो सबसे बड़ा है और जिसे 'ब्रेड बास्‍केट' भी कहा जाता है. पंजाब के किसानों की मांग है कि सरकार गेहूं के आयात को रोक दे. आयात की वजह से बाजार में गेहूं की बाढ़ आ गई है. किसानों को इस समय गेहूं की बंपर फसल की उम्मीद है. सोमवार को लाहौर में हुए एक विरोध प्रदर्शन में पुलिस ने किसानों पर लाठियां चलाईं जिससे यह प्रदर्शन हिंसक हो गया. दर्जनों लोगों को प्रदर्शन के बाद गिरफ्तार कर लिया गया. 

क्‍यों नाराज हैं किसान 

पिछले साल की दूसरी छमाही और इस साल के पहले तीन महीनों में गेहूं के आयात को लेकर किसान गुस्से में हैं. इसकी वजह से बाजार में गेहूं की अधिकता हो गई और कीमतें कम हो गईं. भारत की तरह ही पाकिस्‍तान में भी खेती आय का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है. यह देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में करीब 23 फीसदी का योगदान करती है. गेहूं कुल आय का दो फीसदी हिस्‍सा है. साल 2022 में पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़ आई जिसके बाद, गेहूं की खेती पर असर पड़ा. इस वजह से साल 2023 की शुरुआत में गेहूं की कमी हो गई. 

यह भी पढ़ें- सूरजमुखी की खेती के लिए कैसे करें जुताई, क्या है बीज बोने का सटीक तरीका?

पिछले साल सबसे बड़ा संकट

पाकिस्तान में हर साल करीब  30 मिलियन टन गेहूं की खपत होती है. जबकि साल 2022 में सिर्फ 26.2 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ. इससे कीमतें बढ़ गईं और परिणामस्वरूप लंबे समय तक शहरों में गेहूं खरीदने के लिए लोगों की कतारें लगने लगी. यहां तक ​​कि गेहूं तक पहुंचने की कोशिश कर रही भीड़ में लोगों के कुचले जाने की भी घटनाएं हुई हैं. उस समय सरकार का शासन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के हाथ में था. सरकार ने अपना कार्यकाल खत्‍म होने से ठीक एक महीने पहले, जुलाई 2023 में निजी क्षेत्र को गेहूं आयात करने की मंजूरी देने का फैसला किया. 

यह भी पढ़ें-कपास की ये नई वैरायटी तैयार, रेशे की लंबाई और पैदावार बढ़ने से किसानों को होगा फायदा

क्‍या कहते हैं आंकड़ें 

नेशनल फूड सिक्‍योरिटी एंड रिसर्च मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2023 और मार्च 2024 के बीच, अंतरराष्‍ट्रीय बाजार से पाकिस्तान में 35 लाख टन से ज्‍यादा गेहूं का आयात किया गया, यहां कीमतें काफी कम थीं. इस अधिकता के परिणामस्वरूप, इस साल अप्रैल की शुरुआत में, जब पाकिस्तान के किसानों ने अपने गेहूं की कटाई शुरू की, तो देश के राष्ट्रीय और प्रांतीय खाद्य भंडारण विभाग के भंडार में 4.3 मिलियन टन से अधिक गेहूं था. 

क्‍या कहते हैं किसान 

सरकार की तरफ से ऐलान किया गया है कि वह पाकिस्तानी किसानों से सिर्फ दो मिलियन टन गेहूं ही खरीदेगी. किसान संगठन पाकिस्तान किसान इत्तेहाद (पीकेआई) के अध्यक्ष और पंजाब के मुल्तान शहर के किसान खालिद महमूद खोखर ने बताया कि बंपर फसल के साथ इस साल करीब 32 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं उगाने की उम्मीद है. लेकिन सरकार का खजाना पहले से ही गेहूं से भरा हुआ है. हम अपनी फसल का 50 फीसदी ज्यादा नहीं बेच पाएंगे.  इससे करीब 380 बिलियन रुपये यानी 1.4 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है. 

यह भी पढ़ें-धान के खेत में कैसे पालें कॉमन कार्प मछली? एक एकड़ में 300 किलो तक ले सकते हैं पैदावार

उत्‍पादन लागत में इजाफा 

देश के विशेषज्ञों की मानें तो हर साल घरेलू गेहूं की सरकारी खरीद उस कीमत को निर्धारित करने में मदद करती है जिस पर किसानों का बाकी गेहूं आटा मिलों और अन्य लोगों को बाजार में बेचा जाता है. पंजाब के खानेवाल में 4.8 हेक्टेयर (12 एकड़) जमीन के मालिक गेहूं और कपास किसान इश्फाक जाट ने कहा कि गेहूं उगाने के लिए उर्वरक, पानी और अन्य आवश्यकताओं की ऊंची कीमत के कारण गेहूं की उत्पादन लागत तेजी से बढ़ी है. 

यह भी पढ़ें-मंडियों में इस महीने कितने बढ़े अरहर के भाव? कितनी महंगी हो गई दाल?

घाटे में हैं किसान 

किसानों का कहना है कि उन्‍हें भी बहुत कम दर पर बिचौलियों को गेहूं बेचना पड़ता है जिससे उन्‍हें नुकसान होता है. उनकी मानें तो अगर वह अपनी फसल से कमाई नहीं कर पाएंगे तो फिर अपनी अगली फसल कैसे बोएंगे. कई किसानों को लगता है कि वे अब सरकार पर भरोसा नहीं कर सकते तो फिर वो भविष्य में गेहूं की बुआई से बचने का विकल्प चुन सकते हैं. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गेहूं संकट की जांच के आदेश दिए हैं. 
 

 

MORE NEWS

Read more!