Madhya Pradesh में गेहूं-धान की MSP पर सियासत गर्म, सरकार ने दी सफाई-“किसानों से एक-एक दाना खरीदेंगे”

Madhya Pradesh में गेहूं-धान की MSP पर सियासत गर्म, सरकार ने दी सफाई-“किसानों से एक-एक दाना खरीदेंगे”

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने एमएसपी पर गेहूं और धान की खरीद रोक दी है. वहीं मुख्यमंत्री मोहन यादव और खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने साफ किया कि एमएसपी पर खरीदी जारी रहेगी, केवल उपार्जन व्यवस्था में तकनीकी बदलाव हुआ है.

CM हाउस पहुंचे कांग्रेस समेत अन्य दलों के नेता.(फाइल फोटो)CM हाउस पहुंचे कांग्रेस समेत अन्य दलों के नेता.(फाइल फोटो)
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 06, 2025,
  • Updated Nov 06, 2025, 12:29 PM IST

मध्य प्रदेश में गेहूं और धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद को लेकर सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) आमने-सामने हैं. बुधवार को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने मौजूदा मोहन यादव सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर गेहूं और धान की खरीद बंद कर दी गई है. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने सत्ता में आने से पहले किसानों को भरोसा दिलाया था कि अनाजों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होगी, लेकिन अब वही सरकार अपने वादे से पीछे हट रही है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव का केंद्र को पत्र

इस विवाद की शुरुआत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के उस पत्र से हुई, जो उन्होंने केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रहलाद जोशी को लिखा था. पत्र में मुख्यमंत्री ने राज्य के नागरिक आपूर्ति निगम (नान) पर चढ़े 77,000 करोड़ रुपये के भारी कर्ज का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार पर प्रारंभिक खरीद लागत का बोझ बहुत बढ़ गया है. उन्होंने अनुरोध किया कि केंद्र सरकार ही सीधे तौर पर धान और गेहूं की खरीद करे ताकि वित्तीय संकट से राहत मिल सके.

मुख्यमंत्री ने पत्र में यह भी लिखा कि देश की कुल खाद्यान्न उपार्जन में मध्य प्रदेश का योगदान गेहूं में 26 प्रतिशत और धान में 6 प्रतिशत है, जिससे न सिर्फ राज्य बल्कि देश के गरीब तबकों को भी लाभ मिलता है. लेकिन बैंकों से ली गई 72 हजार करोड़ रुपये की उधार राशि की अदायगी में मुश्किलें आ रही हैं.

कांग्रेस का हमला

मुख्यमंत्री के इस पत्र के सामने आने के बाद, कांग्रेस ने सरकार पर हमला तेज कर दिया. कमलनाथ ने कहा कि “बीजेपी सरकार किसानों को गुमराह कर रही है. किसानों को एमएसपी पर खरीद का भरोसा दिया गया था, लेकिन अब सरकार पीछे हट रही है.” कांग्रेस नेताओं ने इसे “किसान विरोधी कदम” बताया और सोशल मीडिया पर सरकार को घेरा.

सरकार की सफाई – “किसानों से एक-एक दाना खरीदेंगे”

इस विवाद पर प्रदेश के खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने मोर्चा संभाला और एक पत्र जारी कर सफाई दी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों की उपज का एक-एक दाना एमएसपी पर खरीदेगी.

उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार ने केवल विकेंद्रीकृत उपार्जन प्रणाली से केंद्रीकृत उपार्जन व्यवस्था की ओर कदम बढ़ाया है, जिससे केवल एकाउंटिंग और वित्तीय लेन-देन की प्रक्रिया बदलेगी. किसानों के लिए पंजीयन, उपार्जन केंद्र या खरीदी प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं होगा.

राजपूत ने कहा, “हम किसान की उपज का हर दाना समर्थन मूल्य पर खरीदते रहेंगे. कांग्रेस किसानों को बरगलाने की राजनीति बंद करे. केंद्र से भुगतान की प्रक्रिया में देरी होने से राज्य पर वित्तीय दबाव आता है, इसलिए यह तकनीकी परिवर्तन किया गया है.”

“किसान हित सर्वोपरि” – सरकार का दावा

खाद्य मंत्री ने आगे कहा कि सरकार किसानों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने बताया कि राज्य में सिंचाई का रकबा 50 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाया गया है और अगले दो वर्षों में इसे 65 लाख हेक्टेयर तक ले जाने का लक्ष्य है. साथ ही किसानों को 0 प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है.

एमएसपी पर खरीद को लेकर छिड़े इस विवाद ने मध्य प्रदेश की राजनीति को गर्मा दिया है. जहां कांग्रेस इसे किसान विरोधी नीति बता रही है, वहीं बीजेपी सरकार दावा कर रही है कि यह कदम केवल प्रशासनिक सुधार है, न कि एमएसपी खरीद बंद करने का फैसला. आने वाले दिनों में यह मुद्दा राज्य के किसानों और आगामी चुनावी माहौल पर असर डाल सकता है.

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