महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव 2024: महाअघाड़ी की नई चुनौती, छोटी पार्टियां थर्ड फ्रंट बनाने में जुटीं

महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव 2024: महाअघाड़ी की नई चुनौती, छोटी पार्टियां थर्ड फ्रंट बनाने में जुटीं

महाराष्‍ट्र के छोटे दलों ने तीसरे मोर्चे के गठन की संभावनाओं को तलाशने के लिए अपनी ताकतों को एकजुट करना शुरू कर दिया है. अब तक छह छोटे दलों ने या तो अकेले चुनाव लड़ने या तीसरा मोर्चा बनाने की घोषणा की है. प्रहार जनशक्ति पार्टी (पीजेपी) के प्रमुख बच्चू कडू, जिन्होंने हाल ही में तीसरे मोर्चे के गठन के प्रयासों का नेतृत्व करने की संभावना जताई थी, को पहले ही दो पार्टियों का समर्थन मिल गया है.

The Congress secured 13 of the 48 Lok Sabha seats in the state.The Congress secured 13 of the 48 Lok Sabha seats in the state.
क‍िसान तक
  • Mumbai ,
  • Aug 14, 2024,
  • Updated Aug 14, 2024, 4:00 PM IST

महाराष्‍ट्र में विपक्ष यानी महाअघाड़ी गठबंधन आने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर खासा उत्‍साहित है. लेकिन उसे दोतरफा चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो ये चुनौतियां लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को दोहराने की उसकी संभावनाओं को मुश्किल में डाल सकती हैं. राज्य में अक्‍टूबर-नवंबर में  विधानसभा चुनाव होने हैं. राज्‍य के ऐसे छोटे दल जो न तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और न ही एमवीए के साथ गठबंधन में हैं, वो उद्धव ठाकरे की मुश्किलों को बढ़ाने वाले हैं. 

तीसरे मोर्चे की सभांवनाएं कितनी 

एक रिपोर्ट पर अगर यकीन करें तो महाराष्‍ट्र के छोटे दलों ने तीसरे मोर्चे के गठन की संभावनाओं को तलाशने के लिए अपनी ताकतों को एकजुट करना शुरू कर दिया है. अब तक छह छोटे दलों ने या तो अकेले चुनाव लड़ने या तीसरा मोर्चा बनाने की घोषणा की है. प्रहार जनशक्ति पार्टी (पीजेपी) के प्रमुख बच्चू कडू, जिन्होंने हाल ही में तीसरे मोर्चे के गठन के प्रयासों का नेतृत्व करने की संभावना जताई थी, को पहले ही दो पार्टियों का समर्थन मिल गया है. अब वह बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति और कांग्रेस के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी को चुनौती देने के लिए तैयार हैं. 

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किसान नेता राजू शेट्टी आए आगे 

सोमवार को किसान नेता राजू शेट्टी और एआईएमआईएम के राज्य प्रमुख इम्तियाज जलील ने कहा कि अगर तीसरे मोर्चे से महायुति और महाअघाड़ी का विकल्प मिलता है तो वे इसमें शामिल होने के लिए तैयार हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार जलील ने कहा, 'हमने तीसरे मोर्चे के बारे में चर्चा की. हम इस नतीजे पर पहुंचे कि महाराष्‍ट्र में तीसरे मोर्चे के लिए जगह है.' उन्होंने कहा, 'हम तीसरे मोर्चे को लेकर सकारात्मक हैं. हमें पूरा भरोसा है कि यह एक ताकत बनकर उभरेगा और महायुति और अघाड़ी का मुकाबला करेगा. हमें एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार करना होगा.' 

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बिगड़ सकता है विपक्ष का खेल 

शेट्टी ने कहा कि वह प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के साथ भी बातचीत कर रहे हैं. यह एक ऐसी पार्टी है जो विधानसभा चुनावों में तीसरे मोर्चे की संभावनाओं पर संभावित प्रभाव डाल सकती है.  गौरतलब है कि वीबीए ने साल 2019 के विधानसभा चुनावों से पहले एआईएमआईएम के साथ गठबंधन किया था. लेकिन आखिरी में उसने अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया. पार्टी ने इसी तरह इस साल लोकसभा चुनावों से पहले शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन किया था और गठबंधन टूटने से पहले एमवीए में शामिल होने की कगार पर थी. महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव में कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है. ऐसे में तीसरा मोर्चा अघाड़ी गठबंधन का खेल बिगाड़ सकता है.  

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कटेंगे महाअघाड़ी के वोट 

गैर-एमवीए, गैर-बीजेपी मोर्चा बनाने के प्रयासों से सत्तारूढ़ महायुति को लाभ मिलने की उम्मीद है. विशेषज्ञों की मानें तो थर्ड फ्रंट की खोज करने वाली ज्‍यादातर पार्टियों को एमवीए की तरह ही मतदाताओं के एक ही समूह से समर्थन हासिल है. ऐसे में महा अघाड़ी गठबंधन को इसका नुकसान हो सकता है. विशेष तौर पर राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने सोमवार को दो सीटों से उम्मीदवारों की घोषणा की. इसमें मध्य मुंबई में शिवसेना के पारंपरिक गढ़ शिवड़ी से बाला नंदगांवकर भी शामिल हैं. मनसे के इस कदम से उसका इरादा पूरी तरह से स्पष्ट हो जाता है - जहां भी हो सके उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को नुकसान पहुंचाना. 


 

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