संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने कंगना को थप्पड़ मारने वाली सीआईएसएफ की महिला जवान कुलविंदर कौर का समर्थन किया है. इन्हीं दोनों संगठनों के नेतृत्व में 115 दिन से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन चल रहा है. चंडीगढ़ में शुक्रवार को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेताओं ने कहा कि चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर कंगना रनौत को थप्पड़ मारे जाने के प्रकरण की पारदर्शी जांच किए जाने की जरूरत है. क्योंकि अभी तक सिर्फ कंगना रनौत का पक्ष ही सुना जा रहा है. किसान नेताओं ने एलान किया कि यदि कुलविंदर कौर के साथ कोई नाइंसाफी या अन्याय किया गया तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
पूरे मामले की ईमानदारी व पारदर्शी तरीके से जांच के मुद्दे पर 9 जून को पंजाब-हरियाणा के किसान बड़ी संख्या में सुबह 11 बजे मोहाली के गुरुद्वारा श्री अम्ब साहिब में इकट्ठे होकर मोहाली एसएसपी के दफ्तर तक पैदल "इंसाफ मार्च" करेंगे और मांगपत्र सौंपेंगे. बहरहाल, शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) व किसान मजदूर मोर्चा के नेताओं ने कुलविंदर कौर-कंगना रनौत के प्रकरण पर पंजाब के डीजीपी गौरव यादव से मुलाकात की. उन्होंने इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की मांग रखी. किसान नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने कुलविंदर कौर से मिलने की इच्छा जताई.
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पंजाब के डीजीपी ने आश्वासन दिया कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष एवं पारदर्शी ढंग से जांच होगी. किसानों के प्रतिनिधिमंडल की कुलविंदर कौर के साथ जल्द ही मुलाकात कराने का प्रयास किया जाएगा. इससे पहले, चंडीगढ़ के किसान भवन में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य तौर पर जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवन सिंह पंधेर, अभिमन्यु कोहाड़, अमरजीत सिंह मोहड़ी, सुखजीत सिंह, जसविंदर लोंगोवाल, गुरिंदर भंगू और रंजीत राजू आदि मौजूद रहे.
किसान नेताओं ने बताया कि भाजपा सरकार ने किसानों पर जो अत्याचार व जुल्म किए और 850 किसानों की शहादत हुई, उस के कारण उसको लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा है. किसान नेताओं ने बताया कि 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले भाजपा की 2024 के चुनावों में ग्रामीण क्षेत्रों में 71 अधिक सीटों पर हार हुई है. जिस से स्पष्ट संदेश जाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसान और मजदूर भाजपा की किसान-विरोधी नीतियों के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं.
किसान नेताओं ने बताया कि महाराष्ट्र के प्याज बेल्ट में 14 में से 13 सीटों पर एनडीए को करारी हार का सामना करना पड़ा है,क्योंकि केंद्र सरकार ने प्याज़ के निर्यात पर रोक लगाई थी. जिससे प्याज उत्पादक हर किसान को 3-3 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. किसान नेताओं ने बताया कि आने वाले समय में हरियाणा व महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में आंदोलन का विस्तार किया जाएगा, जिसके लिए रणनीति बनाई जा रही है.
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