अकोला और अमरावती में सरकारी के विरोध में किसानों ने निकाला ट्रैक्टर मोर्चा, ठाकरे शिवसेना का मिला साथ

अकोला और अमरावती में सरकारी के विरोध में किसानों ने निकाला ट्रैक्टर मोर्चा, ठाकरे शिवसेना का मिला साथ

महाराष्‍ट्र के अमरावती और अकोला में किसान सड़कों पर थे. ये किसान तपती धूप में अपने गुस्‍से का इजहार करने के लिए उतरे थे और अपने हक के लिए आवाज उठा रहे थे. ठाकरे गुट की शिवसेना ने पश्चिम विदर्भ के पांच जिलों में ट्रैक्टर मोर्चा निकाला. यह मोर्चा सरकार की वादा-खिलाफी के खिलाफ निकाला गया था. शिवसेना का कहना था कि चुनाव में किए गए कर्जमाफी के वादे अब तक अधूरे हैं

धनंजय साबले
  • Akola,
  • May 03, 2025,
  • Updated May 03, 2025, 12:20 PM IST

अकोला और अमरावती में शिवसेना (UBT) ने राज्‍य में महायुति सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इस दौरान किसानों के साथ ट्रैक्टर रैली निकाली. UBT की महिला प्रवक्ता ने प्रदर्शन के दौरान ट्रैक्टर चलाया. उन्होंने कहा कि सरकार को कर्ज माफ करना होगा नहीं तो महाराष्‍ट्र का किसान सरकार का जीना हराम कर देगा. इस दौरान 500 से ज्‍यादा ज्‍यादा ट्रैक्टर और हजारों किसान सड़कों पर उतरे. 

वादे से मुकरी सरकार 

महाराष्‍ट्र के अमरावती और अकोला में किसान सड़कों पर थे. ये किसान तपती धूप में अपने गुस्‍से का इजहार करने के लिए उतरे थे और अपने हक के लिए आवाज उठा रहे थे. ठाकरे गुट की शिवसेना ने पश्चिम विदर्भ के पांच जिलों में ट्रैक्टर मोर्चा निकाला. यह मोर्चा सरकार की वादा-खिलाफी के खिलाफ निकाला गया था. शिवसेना का कहना था कि चुनाव में किए गए कर्जमाफी के वादे अब तक अधूरे हैं. अब किसान कह रहे हैं, 'बस बहुत हुआ'.' 

नितिन देशमुख का विवादित बयान 

44 डिग्री की तपती दोपह में 500 से ज्‍यादा ट्रैक्‍टरों के साथ हजारों किसान सड़कों पर उतर आए. अकोला के क्रिकेट क्लब मैदान से यह मोर्चा निकला और जिलाधिकारी कार्यालय तक पहुंचा. इसका मकसद राज्‍य सरकार को एक चेतावनी देना था. शिवसेना विधायक और विधानसभा के उपनेता नितिन देशमुख ने इस मोर्चे का नेतृत्‍व किया. इस दौरान उनके साथ पूर्व मंत्री और प्रहार जनशक्ती पार्टी के अध्यक्ष बच्चू कडू भी मौजूद थे. 

बच्‍चू कडू ने इस दौरान कहा, 'जो वादा किया है वो निभाना पड़ेगा. नहीं तो राम कसम, राम भक्त हनुमान की गदा इस सरकार पर गिरेगी.' वहीं नितिन देशमुख ने विवादित बयान दिया. उन्‍होंने  किसानों को संबोधित करते हुए कहा, ' नेताओं को मारो, आत्महत्या मत करो. जो हमें जीने नहीं दे रहे उन्हें सबक सिखाओ.' किसानों का कहना है कि जब पेट में आग हो, तो गुस्सा लाजमी है. 

नागपुर में होगा बड़ा आंदोलन 

इस किसान आंदोलन के जरिये यह साफ संदेश दिया गया कि अगर आने वाले नागपुर अधिवेशन से पहले कर्जमाफी की ठोस घोषणा नहीं हुई तो इससे भी बड़ा आंदोलन होगा. उनका कहना था कि अगले आंदोलन में लाखों किसान और हजारों ट्रैक्टर विधानभवन का घेराव करेंगे. किसानों का कहना था कि विदर्भ जल रहा है, और मुख्यमंत्री को किसानों की तकलीफें नहीं दिख रही. अगर अब भी नहीं जागे तो अंजाम गंभीर होगा. 

अमरावती में भी यही नजारा दिखा. यहां पर शिवसेना सांसद अरविंद सावंत के नेतृत्व में किसानों ने आंदोलन किया. किसानों ने एक सुर में कहा, 'कर्जमाफी चाहिए, अभी चाहिए.' सरकार की जानकारी में तो ये ट्रैक्टर मोर्चा आ गया है. लेकिन अब देखना होगा कि क्या मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनकी महायुति सरकार किसानों की आवाज सुनती है या नागपुर अधिवेशन से पहले एक और सियासी भूचाल आता है. 

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