Lok Sabha Election: 44 दिन, 1.35 लाख करोड़ रुपये खर्च, यह चुनाव बना सबसे लंबा और महंगा  

Lok Sabha Election: 44 दिन, 1.35 लाख करोड़ रुपये खर्च, यह चुनाव बना सबसे लंबा और महंगा  

18वीं लोकसभा के लिए जो चुनाव हुए, वो पूरे सात चरणों में खत्‍म हुए. साथ ही 1 जून को आखिरी दौर के साथ मतदान के सिलसिले ने 44 दिन पूरे कर लिए. 16 मार्च को चुनावों की तारीखों का ऐलान हुआ था और 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान हुआ था. सन् 1951-1952 में पहले संसदीय चुनाव हुए थे जो चार महीने से ज्‍यादा समय तक चले थे.

इस बार के लोकसभा चुनाव 44 दिन तक चले हैं इस बार के लोकसभा चुनाव 44 दिन तक चले हैं
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Jun 01, 2024,
  • Updated Jun 01, 2024, 6:51 PM IST

शनिवार यानी 1 जून को सातवें चरण के मतदान के बाद 18वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव का समापन हो गया. 19 अप्रैल से इस चुनाव के लिए मतदान की शुरुआत हुई थी. अब 4 जून को नतीजे आएंगे और साफ हो जाएगा कि केंद्र में किसकी सरकार बन रही है. सट्टा बाजार और सर्वेक्षकों की मानें तो एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई में एनडीए गठबंधन केंद्र में सरकार बनाने की तरफ है. खैर असल तस्‍वीर तो मंगलवार को ही पता लग पाएगी. वहीं, आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि इस बार के लोकसभा चुनाव देश में दूसरे ऐसे आम चुनाव बन गए हैं जो सबसे ज्‍यादा दिन तक चले. 

82 दिनों तक चली प्रक्रिया 

18वीं लोकसभा के लिए जो चुनाव हुए, वो पूरे सात चरणों में खत्‍म हुए. साथ ही 1 जून को आखिरी दौर के साथ मतदान के सिलसिले ने 44 दिन पूरे कर लिए. 16 मार्च को चुनावों की तारीखों का ऐलान हुआ था और 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान हुआ था. सन् 1951-1952 में पहले संसदीय चुनाव हुए थे जो चार महीने से ज्‍यादा समय तक चले थे. इस बार चुनाव आयोग की तरफ से चुनावों की घोषणा से लेकर मतगणना तक चुनावी प्रक्रिया कुल 82 दिनों की है.

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कितने दिन तक कौन सा चुनाव   

देश में सन् 1980 में हुए आम चुनाव सबसे कम दिन तक चले और सिर्फ चार दिनों के अंदर इन्‍हें पूरा कर लिया गया था.  इसके अलावा सन् 1996 का चुनाव 11 दिनों तक चला था. फिर 1998 का 20 दिनों तक और 1999 में चुनाव 28 दिनों तक चले थे. साल 2004 में चुनाव 21 दिन तक चले और फिर इसके बाद से ही ये बढ़ते गए. साल 2009 में फिर से 28 दिन,  2014 में 36 दिन, 2019 में 39 दिन और अब चुनाव 44 दिन तक चले हैं. जब चीफ इलेक्‍शन कमिश्‍नर (सीईसी) राजीव कुमार से जब इतने लंबे समय तक चुनाव के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि तारीख क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति और सार्वजनिक अवकाश, त्यौहार और परीक्षाओं जैसी कई वजहों के आधार पर तय होती है.  

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खर्च ने तोड़े सारे रिकॉर्ड 

सबसे ज्‍यादा दिनों तक चलने के अलावा यह लोकसभा चुनाव सबसे महंगा चुनाव बन गया है. चुनाव विशेषज्ञों के अनुसार साल 2024 का लोकसभा चुनाव पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़कर दुनिया का सबसे महंगा चुनाव बन गया है. एक एनजीओ सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) के अध्यक्ष एन भास्कर राव ने ब्‍लूमबर्ग को दिए इंटरव्‍यू में कहा कि अनुमानित खर्च 1.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है. यह साल 2019 में खर्च किए गए 60,000 करोड़ रुपये से दोगुना है.  राव ने कहा कि इतने बड़े खर्च में चुनाव से जुड़े सभी खर्चे शामिल हैं, जिनमें राजनीतिक दलों और संगठनों, उम्मीदवारों, सरकार और चुनाव आयोग द्वारा किया गया खर्च भी है.  
 

 

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