किसान मजदूर संघर्ष समिति का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कृषि उपज की कम सरकारी खरीद पर चिंता जताई है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, केवल 18 परसेंट गेहूं, 50 परसेंट धान, 0.43 परसेंट दालें और अन्य फसलों जैसे तोरिया, सरसों, ज्वार और बाजरा MSP पर बहुत कम खरीदा जा रहा है. पंधेर ने कहा है कि किसान मजदूर संघर्ष समिति और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) (गैर-राजनीतिक) के बैनर तले चलने वाले किसान आंदोलन की ये एक प्रमुख वजह है. किसानों को एमएसपी का वाजिब दाम नहीं मिलना बड़ी समस्या है.
किसानों का संगठन पिछले 165 दिनों से शंभू बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहा है और MSP की कानूनी गारंटी की मांग कर रहा है. लेकिन सरकार द्वारा उनकी मांगें नहीं सुने जाने पर किसानों ने अपना आंदोलन तेज करने का फैसला किया है. इसी कड़ी में ताजवीर सिंह, महेश चौधरी और सरवन सिंह पंधेर समेत किसान नेताओं ने अपने आंदोलन को तेज करने के लिए आगामी कार्रवाइयों की घोषणा की है. ऐसे में आइए जानते हैं किसान दिन अपना आंदोलन करेंगे और उनकी क्या प्लानिंग है.
ये भी पढ़ें: विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों से बातचीत को तैयार केंद्र
ये भी पढ़ें: खत्म हो रही जुलाई, अब भी सूखे हैं खेत-तालाब, धान की खेती को लेकर किसानों की चिंता गहराई
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM), जो पूरे भारत में 40 किसान यूनियनों का एक संगठन है, ने अलग-अलग फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी देने वाले कानून सहित अपनी मांगों को मनवाने के लिए आंदोलन को तेज करने की अपील की है. यह निर्णय दिल्ली में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लिया गया, जिसमें देश भर के अलग-अलग संगठनों के 150 से अधिक नेता शामिल हुए. पंधेर ने किसानों से आंदोलन के लिए तैयार रहने का आग्रह किया और कृषि क्षेत्र के सामने लंबे समय से लंबित मुद्दों को हल करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की जरूरत पर जोर दिया.
किसान आंदोलन को लेकर सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि हरियाणा में आंदोलन के दौरान 433 किसान घायल हुए हैं. वहीं, किसानों पर हमला करने वाले अफसरों को सरकार सम्मानित करने जा रही है. यह बिल्कुल गलत है. ऐसा नहीं होना चाहिए. सरवन सिंह पंधेर ने आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को जमानत दिए जाने की भी कड़ी निंदा की है. किसान नेता ने कहा कि 31 अगस्त को हरियाणा में चल रहे आंदोलन के 200 दिन पूरे होने पर वे पूरे प्रदेश में दो बड़ी रैलियां निकालेंगे. इसके लिए उन्होंने उस दिन ज्यादा से ज्यादा लोगों से बॉर्डर पर आने की अपील की है. किसान नेता के मुताबिक पहली रैली 15 सितंबर को जींद में जबकि दूसरी रैली पिपली में होगी.