संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के किसान नेताओं ने गुरनाम सिंह चढ़ूनी का नाम लिए बगैर उन पर बड़ा हमला बोला है. उन पर एमएसपी को लेकर बड़ा आरोप लगाया है. इसमें एक ऑडियो क्लिप का भी हवाला दिया गया है. किसान नेताओं ने कहा कि बातचीत का एक ऑडियो या वीडियो बीच में से काटकर गलत तरीके से पेश किया गया है. आपको बता दें कि अभी हाल में चढ़ूनी ने एक वीडियो में यह बताया था कि सरकार के साथ बातचीत में किसान नेताओं ने एमएसपी पर 25 परसेंट फसल की खरीद का प्रस्ताव रखा. हालांकि खनौरी पर बैठे किसान नेताओं ने इस बात को खारिज कर दिया है. किसान नेताओं ने कहा कि आंदोलन तभी खत्म होगा जब सरकार पूरी फसल की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर करेगी.
इसी के साथ एक प्रेस रिलीज में बताया गया कि सोमवार को 91वें दिन किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन दातासिंहवाला-खनौरी किसान मोर्चे पर जारी रहा. आज 9 दिन बाद जगजीत सिंह डल्लेवाल की ड्रिप दोबारा शुरू की गई है जो नस बंद होने के कारण 14 फरवरी से बंद थी. किसान नेताओं ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के 28 प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के मंत्रियों के बीच हुई बातचीत के बारे में कुछ नेता गलत बयानबाज़ी कर रहे हैं जो उस मीटिंग का हिस्सा ही नहीं थे.
किसान नेताओं ने स्पष्ट किया कि उन्होंने केंद्र सरकार के साथ मीटिंग में कहा है कि देश के सभी किसानों की 23 फसलों की 100 परसेंट पैदावार MSP पर खरीदे जाने का MSP गारंटी कानून बनाया जाना चाहिए. साथ ही कोई भी सरकारी खरीद एजेंसी का अधिकारी या व्यापारी MSP से कम पर फसल खरीदे तो उसे गैर-कानूनी घोषित किया जाना चाहिए.
किसान नेताओं ने बताया कि एक हरियाणा के किसान संगठन के नेता अपने किसी पदाधिकारी से संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के सदस्य अभिमन्यु कोहाड़ से कोई मुद्दा समझने के नाम पर फोन कराता है और दोनों के बीच हुई 13.30 मिनट की बातचीत को बीच में से काटकर लगभग 6 मिनट की ऑडियो गलत तरीके से पेश की जाती है. किसान नेताओं ने कहा कि ऑडियो/वीडियो को बीच में से काटकर गलत तरीके से पेश करने का काम राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता करते थे, लेकिन अब समय-समय पर राजनीति करने वाले किसान नेता भी ऐसे काम करने लगे हैं.
किसान नेताओं ने बताया कि केंद्र सरकार के साथ मीटिंग में 25% या 30% पैदावार MSP पर खरीदने की कोई मांग नहीं की गई है. हमने स्पष्ट मांग की है कि MSP गारंटी कानून के तहत देश में किसी भी किसान की किसी भी फसल का 1 भी दाना MSP से नीचे नहीं खरीदा जाना चाहिए.
किसान नेताओं ने कहा कि कुछ सरकारी-दरबारी अर्थशास्त्री ये कहकर लोगों को गुमराह करने का काम करते हैं कि MSP गारंटी कानून बन गया तो 17 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा. मार्केट बिगड़ जाएगा या व्यापारी काम करना छोड़ देंगे. उन्होंने कहा कि जब सरकार MSP गारंटी कानून बनाएगी तो 25000-30000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वार्षिक खर्च आएगा. किसान नेताओं ने बताया कि आरबीआई की रिपोर्ट कहती है कि खाद्यान्न वस्तुओं के फाइनल रिटेल मूल्य में से 30% से भी कम किसान को मिलता है. बाकी 70% बिचौलिया कमाते हैं.
किसान नेताओं ने कहा, यदि MSP गारंटी कानून बनेगा तो किसान को भी उचित मूल्य मिलेगा. उपभोक्ता को भी फायदा होगा और बिचौलियों का मुनाफा 70% से घटकर कम हो जाएगा. किसान नेताओं ने बताया कि जो लोग WTO के हिमायती रहे हैं वो नहीं चाहते कि MSP गारंटी कानून बने, क्योंकि WTO भी MSP के खिलाफ है. किसान नेताओं ने यह भी कहा कि जो कुछ व्यापारी लोग बिहार और यूपी से सस्ता धान-गेहूं लाकर पंजाब-हरियाणा में ऊंचे दामों पर बेचकर मोटा मुनाफा कमाते हैं. वो नहीं चाहते कि MSP गारंटी कानून बने क्योंकि MSP गारंटी कानून बनने के बाद उनका मुनाफा कम हो जाएगा.