शुगर मिल बकाया, बीमा मुआवजा और सूखा राहत समेत कई मुद्दों पर सीएम को भेजी चिट्ठी, इन बिंदुओं पर हुई चर्चा 

शुगर मिल बकाया, बीमा मुआवजा और सूखा राहत समेत कई मुद्दों पर सीएम को भेजी चिट्ठी, इन बिंदुओं पर हुई चर्चा 

धान सीजन के दौरान सूखा पड़ने पर सरकार ने प्रति एकड़ 2 हजार रुपए मुआवजा देने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक मुआवजा नही मिला है. मंडी के अंदर फसल उठान में हर साल ठेकेदार पैसे लेने की नीयत से जानबूझकर देरी करते हैं. इसके अलावा किसानों से जुड़े कई मुद्दों पर बीकेयू चढ़ूनी ने हरियाणा के सीएम चिट्ठी लिखी है.

भाकियू चढ़ूनी ने हरियाणा सीएम को किसानों के मुद्दों पर चिट्ठी भेजी है.भाकियू चढ़ूनी ने हरियाणा सीएम को किसानों के मुद्दों पर चिट्ठी भेजी है.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 30, 2024,
  • Updated Dec 30, 2024, 3:44 PM IST

उत्तराखंड शुगर मिल पर किसानों का बकाया और रिलायंस बीमा कंपनी से किसानों को मुआवजा राशि कई साल बीतने के बाद भी नहीं मिली है. धान किसानों को सूखा से हुए नुकसान का मुआवजा भी नहीं मिला है. जबकि, महंगाई बढ़ने के बाद भी गन्ना का दाम अभी तक नहीं बढ़ाया गया है. इसके अलावा किसानों पर दर्ज मुकदमे समझौते के बाद भी नहीं हटाए गए हैं. यह बातें भाकियू चढ़ूनी ने हरियाणा को भेजी चिट्ठी में लिखी हैं और निपटारे की मांग की है. इसके अलावा सरसों, सूरजमुखी, बाजरा कि औसतन पैदावार को 10 से 12 किवंटल प्रति एकड़ करने का आग्रह किया गया है. जबकि, पंजाब की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन और जगजीत सिंह की खराब हो रही सेहत को गंभीरता से लेने और किसानों से सरकार को बातचीत करने की अपील की है.

चिट्ठी में कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि विपणन (बजार) पर राष्ट्रीय नीति ढांचा मसौदा प्राइवेट मंडी बारे आया है, उसको हरियाणा के किसान पूरी तरह से नकारते हैं. क्योंकि प्राइवेट यार्ड को मंडी मानने से मंडियों में प्रतिस्पर्धा खत्म हो जाएगी. छोटे व्यापारी खत्म होकर केवल बड़े व्यापारी ही बचेंगे. सरकारी एजेंसी हैफेड के भी मायने खत्म हो जाएंगे. मंडियों के पूरे आढ़ती, मुनीम, मजदूर, ट्रांसपोर्टेशन, बारदाना वाले सभी बेरोजगार हो जाएंगे. इसलिए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए इस कृषि ड्राफ्ट को रद्द करवाया जाए.

डल्लेवाल की सेहत और किसान आंदोलन पर वार्ता करे केंद्र  

आंदोलन 2021 की शेष रही मांगों सहित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर हरियाणा पंजाब के बॉर्डर पर किसान आंदोलनरत हैं. इस आंदोलन में सरदार जगजीत सिंह किसानों की मांगो को लेकर पिछले कई दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं और उनकी सेहत बेहद नाजुक है. आंदोलनरत किसानों की सभी मांगें जायज हैं. किसानों की इन मांगों का हमारा संगठन का पूर्ण समर्थन है. आप से अनुरोध है कि केंद्र सरकार से जल्द से जल्द आंदोलनरत किसानों से बातचीत शुरू करवाकर सरदार जगजीत सिंह के जीवन को बचाएं.

गन्ने का भाव 450 रुपए प्रति क्विंटल किया जाए

इस बार गन्ना की फसल कम है. शुगर मिलें गन्ना कम होने के कारण आपस में एक-दूसरे का गन्ना खरीद रही हैं. गन्ने का भाव कम होने के चलते इस बार बुवाई कम होने की संभावना है. इससे अगले साल गन्ने की खेती कम होगी और गन्ने का क्षेत्र धान की फसल में बदल जाएगा, जिससे बिजली व पानी के नुकसान के साथ-साथ सरकार को धान खरीद में भी दिक्कत आएगी. गन्ने का भाव पिछले काफी वर्षों से बाजार की महंगाई दर के अनुपात में काफी कम बढ़ाया गया जबकि इस दौरान किसान की इस फसल पर लेबर, कीटनाशक दवाइयों,उर्वरकों (खाद) व डीजल के दाम में बढ़ोत्तरी हुई है. इसलिए आपसे विनती है गन्ने का भाव 450 रुपए प्रति क्विंटल तय किया जाए.

किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे अभी भी नहीं हटे 

हरियाणा में किसानों पर साल 2020-21 वाले आंदोलन से पहले के कई मुकदमे दर्ज हैं. आंदोलन के पहले के सभी मुकदमे वापस लिए जाने की सहमति पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जी दे चुके हैं. आंदोलन के समझौते के समय प्रशाशन से दोनों मुकदमों की वापसी की सहमति पर समझौता हुआ था. लेकिन, आज तक वह केस भी वापिस नहीं लिए गए हैं. इससे किसानों के पासपोर्ट व नए असलहा लाईसेंस व पुराने असला लाइसंसों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा है. इसलिए आपसे विनती है कि किसानों के आज तक के सभी नए व पुराने मुकदमे वापिस लिए जाएं. 

केसीसी, मनरेगा पर ध्यान दे सरकार 

किसान क्रेडिट कार्ड व अन्य लोन में किसानों व रकम का बीमा करवाया जाए, ताकि किसान के साथ किसी भी प्रकार की दुर्घटना व अनहोनी के कारण पीछे परिवार को आर्थिक बोझ न उठाना पड़े और परिवार को मानसिक तनाव न झेलना पड़े. वहीं, पिछले काफी समय से  कोऑपरेटिव सोसायटी में किसानों के नए खाते नहीं बनाए जा रहे हैं. लोन की लिमिट भी काफी समय से नहीं बढ़ाई गई है, लेकिन खेती की लागत हर वर्ष बढ़ रही है. इससे किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है. इसके अलावा मनरेगा को खेती से जोड़ा जाए ताकि खेती में मजदूरों की भारी कमी को पूरा किया जा सके. दूसरी तरफ मनरेगा में मजदूरों को रोजगार देने में सरकार को परेशानियों का सामना ना करना पड़े. मनरेगा को खेती से जोड़ने से सरकार का राजस्व का भी लाभ होगा और किसानों को मजदूरों की कमी भी दूर होगी. 

सूखा से बर्बाद किसानों को धान का मुआवजा नहीं मिला 

धान सीजन के दौरान सूखा पड़ने से सरकार ने प्रति एकड़ 2 हजार रुपए मुआवजा देने की घोषणा की थी, लेकिन बहुत से किसानों को अब तक मुआवजा नही मिला है. इसे दिलवाने की मांग की गई है. इसके अलावा मंडी के अंदर फसल उठान में हर साल ठेकेदार पैसे लेने की नीयत से जानबूझकर उठान में देरी करते हैं और गोदाम मे उतारने वाली लेबर उतारने में देरी करके ट्रक वालों को ब्लैकमेल करती है. हमारा आपसे अनुरोध है कि जो आढ़ती सरकारी दाम पर अपने मजदूर व ट्रांसपोर्ट से सरकार द्वारा निर्धारित भंडारण स्थल पर ले जाना चाहे तो उसे यह छूट दी जानी चाहिए.

बीमा कंपनी और शुगर मिल से बकाया दिलाया जाए 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में साल 2021, 22, 23, के रिलायंस बीमा कंपनी द्वारा सोनीपत के किसानों का अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया है, जबकि कई बार जिला प्रशासन भी बीमा कंपनी को मुआवजा देने के लिए लिख चुका है. परंतु कंपनियों ने इस पर कोई भी जवाब नहीं दिया. इसके साथ ही हरियाणा के किसानों का उत्तराखंड इकबालपुर (उत्तराखंड) शुगर मिल में 2017-18 का लगभग 34 करोड़ रुपए गन्ने का पैसा बकाया है जो किसानों को ब्याज सहित दिलवाया जाए. 

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