'बिहार के किसानों को एक साल में 10 हजार करोड़ का नुकसान...', किसान संगठन ने केंद्र पर उठाए सवाल

'बिहार के किसानों को एक साल में 10 हजार करोड़ का नुकसान...', किसान संगठन ने केंद्र पर उठाए सवाल

बिहार के धान, गेहूं और मक्का किसानों को 2024-25 में स्वामीनाथन आयोग के C2+50% MSP फार्मूला न लागू होने से लगभग 10,000 करोड़ का नुकसान हुआ है. यह दावा ऑल इंडिया किसान सभा ने किया है. जानिए संगठन ने और क्‍या कहा.

AIKS Questions Union GovtAIKS Questions Union Govt
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Oct 09, 2025,
  • Updated Oct 09, 2025, 7:59 PM IST

अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने कहा है कि बिहार के धान, गेहूं और मक्का किसानों को वर्ष 2024-25 में लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. यह नुकसान इसलिए हुआ, क्योंकि सरकार ने एमएस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने का फार्मूला लागू नहीं किया है. एआईकेएस के अनुसार, अगर किसानों की उपज की खरीद ‘सी2+50 प्रतिशत’ फार्मूले पर की जाती, तो देशभर में 20 प्रमुख खरीफ और रबी फसलों के किसान करीब 3 लाख करोड़ रुपये अधिक कमा सकते थे. 

केंद्र का वादा आज तक पूरा नहीं हुआ: AIKS

संगठन ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाएगा और किसानों को उनके लागत मूल्य पर 50 प्रतिशत लाभ दिया जाएगा. लेकिन यह वादा आज तक पूरा नहीं हुआ है. एआईकेएस के महासचिव विजू कृष्णन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि नौ वर्षों से किसान इस वादे की राह देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिहार के किसान विशेष रूप से ज्यादा प्रभावित हुए हैं, क्योंकि राज्य में 2006 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कृषि उपज मंडी समितियां (एपीएमसी) खत्म कर दी थीं. इसके कारण किसानों को अपनी उपज उचित दामों पर बेचने का मंच नहीं मिला.

9 साल में बिहार के किसानों को 71 हजार करोड़ का नुकसान

एआईकेएस ने बताया कि बिहार में धान, गेहूं और मक्का उगाने वाले किसानों को 2024-25 के दौरान करीब 10 हजार करोड़ रुपये की आमदनी का नुकसान हुआ है. अगर पिछले नौ वर्षों की स्थिति देखें तो इन किसानों को लगभग 71 हजार करोड़ रुपये की आय का नुकसान झेलना पड़ा है. संगठन का कहना है कि यह आंकड़ा भी पूरी सच्चाई नहीं दर्शाता, क्योंकि राज्य में सरकारी खरीद बहुत सीमित है और एमएसपी का लाभ बहुत कम किसानों को मिल पाता है.

नीतीश सरकार गरीब विरोधी: पी कृष्ण प्रसाद

एआईकेएस के वित्त सचिव पी कृष्ण प्रसाद ने नीतीश कुमार सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य सरकार “गरीब विरोधी” है. उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) बिहार में नीतीश सरकार के खिलाफ अभियान चलाएगा. प्रसाद ने कहा कि बिहार के किसानों की तीन मुख्य समस्याएं हैं- फसलों की बिक्री के लिए मंडियों की अनुपलब्धता, मनरेगा की खराब स्थिति और बड़ी संख्या में किसानों का भूमिहीन मजदूर होना.

क्‍या है स्‍वामीनाथन आयोग का एमएसपी फॉर्मुला

एआईकेएस ने राष्ट्रीय स्तर पर जारी आंकड़ों के आधार पर बताया कि अगर 2024-25 में 20 प्रमुख फसलों के उत्पादन की खरीद ‘सी2+50 प्रतिशत’ फार्मूले पर होती, तो किसानों को लगभग 3 लाख करोड़ रुपये अधिक आय होती. संगठन ने यह भी कहा कि 2016 से 2025 के बीच इन फसलों के किसानों को लगभग 24 लाख करोड़ रुपये की आय का नुकसान हुआ है, क्योंकि यह फार्मूला लागू नहीं किया गया. यह अनुमान इस शर्त पर आधारित है कि सारी उपज सरकारी एजेंसियों ने एमएसपी पर खरीदी होती.

'PM Kisan Scheme किसानों के साथ धोखा'

एआईकेएस ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना को किसानों के साथ “धोखा” बताया. यह योजना 2019 में शुरू की गई थी, जिसके तहत हर किसान परिवार को सालाना छह हजार रुपये तीन किस्तों में सीधे बैंक खाते में दिए जाते हैं. संगठन ने कहा कि अब तक किसानों को इस योजना के तहत करीब 3.90 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. अगस्त 2025 तक सरकार ने 20 किस्तें जारी की हैं.

संगठन का कहना है कि अगर सरकार ने एमएसपी पर सी2+50 प्रतिशत फार्मूला लागू किया होता तो किसानों को केवल 20 फसलों से ही 19 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय हो सकती थी. एआईकेएस ने व्यंग्य करते हुए कहा कि तब भी किसानों के पास 11 लाख करोड़ रुपये बचते भले ही 7.80 लाख करोड़ रुपये प्रधानमंत्री को “भेंट” कर दिए जाते.

किसानों की आय दोगुने के वादे पर कही ये बात

एआईकेएस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में वादा किया था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. संगठन ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में किसानों की लागत कई गुना बढ़ी है, जबकि कॉरपोरेट कंपनियों की संपत्ति तेजी से बढ़ी है. एआईकेएस ने आरोप लगाया कि सरकार ने किसानों से किए गए सभी वादे तोड़े हैं और उनकी आय बढ़ाने के बजाय उत्पादन लागत को दोगुना कर दिया है.

अभी इस फॉर्मुले से दिया जाता है MSP

वर्तमान में सरकार जिस फार्मूले पर एमएसपी तय करती है उसे ‘ए2+एफएल+50 प्रतिशत’ कहा जाता है. इसमें किसान द्वारा की गई नकद लागत (ए2) और परिवार के श्रम का मूल्य (एफएल) जोड़कर उस पर 50 प्रतिशत लाभ जोड़ा जाता है. लेकिन, स्वामीनाथन आयोग द्वारा सुझाए गए ‘सी2+50 प्रतिशत’ फार्मूले में इन लागतों के अलावा जमीन के किराये, स्थायी पूंजी पर ब्याज और भूमि किराये की लागत जैसी बातें भी शामिल होती हैं. इस वजह से ‘सी2+50 प्रतिशत’ फार्मूले से तय एमएसपी किसानों के लिए कहीं अधिक लाभकारी साबित होता.

किसान संगठन ने कहा कि अगर सरकार वास्तव में किसानों की आय बढ़ाना चाहती है तो उसे स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह लागू करना होगा. केवल नाम मात्र की योजनाओं से किसानों की स्थिति में सुधार संभव नहीं है. बिहार सहित पूरे देश के किसान अब इस मुद्दे पर एकजुट होकर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. एआईकेएस ने कहा कि जब तक किसानों को उनके उत्पादन का सही मूल्य नहीं मिलेगा, तब तक खेती लाभ का साधन नहीं बन सकेगी और किसान लगातार कर्ज और संकट में डूबे रहेंगे. (पीटीआई)

MORE NEWS

Read more!