राजस्थान से सांसद और इस बार के विधानसभा चुनाव में जीते बाबा बालकनाथ ने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंप दिया. इस्तीफे के साथ ही बाबा बालकनाथ के राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाए जाने की अटकलें तेज हो गईं. बाबा बालकनाथ को राजस्थान का दूसरी 'योगी आदित्यनाथ' कहा जाता है. पहनावे-ओढ़ावे के साथ ही उनका काम करने का तरीका भी सख्त है. इस बार चुनाव में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाबा बालकनाथ के लिए वोट मांगा था. इन बातों को ध्यान में रखते हुए अरसे से अटकलें चल रही हैं कि राजस्थान की कमान बाबा बालकनाथ को सौंपी जा सकती है.
बाबा बालकनाथ तिजारा विधानसभा सीट से चुनाव जीत कर आए हैं. उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (BSP) से कांग्रेस में आकर टिकट पाए इमरान खान को हराया. बालकनाथ की छवि हिंदुत्व के चेहरे के तौर पर बनाई गई है. राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के समर्थक उन्हें यूपी से सीएम योगी आदित्यनाथ से भी जोड़कर देखते हैं. इस बार तिजारा सीट से तीसरे नंबर पर आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी उदमीराम रहे.
तमाम अटकलों के बीच गुरुवार को बाबा बालकनाथ ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाक़ात कर अलवर लोकसभा सीट से संसद सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया. इससे एक दिन पहले बुधवार को बीजेपी के 12 सांसदों ने इस्तीफा दिया था. तब ये रिपोर्ट आई थी कि राजस्थान की तिजारा सीट से जीते बाबा बालकनाथ भी इस्तीफा दे सकते हैं.
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राजनीति की बात करें तो सांसद के तौर पर वे 13 सितंबर 2020 से शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल संबंधी स्थायी समिति के सदस्य रहे हैं. साथ ही बाबा बालकनाथ जल शक्ति मंत्रालय में सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे हैं. वे 13 सितंबर 2019 से 12 सितंबर 2020 तक मानव संसाधन विकास संबंधी स्थायी समिति के सदस्य भी रहे. साथ ही जुलाई 2019 से अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति के सदस्य का पद भी उनके पास था.
बाबा बालकनाथ के बारे में कहा जाता है कि वे 6 साल की उम्र में अपने झोले में चूरमा और एक ड्रेस लेकर घर से निकले थे. बाद में वे सांसद और फिर विधायक बने. पूरे देश में उनके नाम की चर्चा है. साथ ही वे राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे हैं. बाबा बालक नाथ एक सामान्य परिवार से हैं. उनके पिता ने बाबा खेतानाथ को अपना बेटा दान दे दिया था. उस समय परिवार ने कभी नहीं सोचा कि जिस बेटे को दान में दे रहे हैं. किसी ने नहीं सोचा था कि वो एक दिन उनका और उनके गांव का नाम रोशन करेगा. बालकनाथ की जीत के बाद पूरा परिवार और गांव उनको मुख्यमंत्री बनता हुआ देखना चाहता है. पूरे गांव में दिवाली जैसा माहौल है.
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