PHOTOS: बंपर मछली पैदावार के लिए क्या करें किसान, कैसा होना चाहिए बीज?

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PHOTOS: बंपर मछली पैदावार के लिए क्या करें किसान, कैसा होना चाहिए बीज?

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भारत में मछली उत्पादन में कार्प मछलियों का खास महत्व है. देश में कुल मछली उत्पादन में 86 प्रतिशत कार्प का योगदान है.मछली पालन की सफलता, मछली के बीज की गुणवत्ता पर काफी हद तक निर्भर करती है. इसीलिए तालाब में संचित किए जाने वाले बीजों के आकार तथा गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है. भारत के विभिन्न हिस्सों में कार्प मछलियां मुख्य रूप से मॉनसून के महीने यानी जून से जुलाई में प्रजनन करती हैं. इस कारण इन भारतीय और विदेशी कार्प मछलियों का बीज मुख्यत इन्हीं महीनों में उपलब्ध होता है. 
 

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 कृष‍ि वैज्ञानिक महेंद्र कुमार यादव, नरेश राज कीर और नितेश कुमार यादव बताते हैं कि इन कार्प प्रजातियों में कॉमन कार्प मछली एक अपवाद है, जो कि मॉनसून के अलावा शरद ऋतु यानी जनवरी से मार्च में भी प्रजनन करती है. 

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तटवर्ती राज्यों को छोड़कर भारत के अधिकांश राज्यों में नवंबर से फरवरी के दौरान भीषण सर्दी पड़ती है. ठंडे रक्त वाला जीव होने के कारण मछली तापमान के प्रति संवेदनशील होती है. कम तापमान पर ये अपनी शारीरिक प्रक्रियाएं धीरे कर लेती हैं. इस वजह से सर्दी के इन 4 महीनों में मछली का शारीरिक विकास भी कम हो जाता है. 
 

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मछली के शारीरिक विकास के लिए मार्च-अप्रैल से अक्टूबर-नवंबर का समय उपयुक्त माना गया है. फ‍िलहाल, आईए समझते हैं क‍ि नर्सरी तालाब में मछली बीज की जीवितता दर में वृद्धि के लिए क‍िन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए.

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मछली का बीज विश्वसनीय स्रोत से ही खरीदना चाहिए, ताकि तालाब में उच्च गुणवत्ता वाला बीज संचित करके अधिक पैदावार लिया जा सके.

बीज पैकिंग करने से एक दिन पहले उसे आहार देना बंद कर देना चाहिए, ताकि पैकिंग करते समय उसका पेट पूरी तरह खाली हो. यदि मछली बीज का पेट पूरी तरह खाली न हो, तो ढुलाई के दौरान उसके मल-मूत्र से पैकिंग बैग का पानी प्रदूषित हो सकता है. इस कारण तालाब पर पहुंचने से पहले ही मछली बीज की मौत भी हो सकती है.

फिश फार्म तक बीज की ढुलाई सुबह या शाम के दौरान की जानी चाहिए, ताकि मछली बीज को उच्च तापमान की मार नहीं झेलनी पड़े.

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यदि मछली बीज की दोपहर के समय ढुलाई की जाए तो ज्यादा तापमान के कारण उसकी तालाब के नए वातावरण में मरने की आशंका बढ़ जाती है.

पैकिंग और ढुलाई के दौरान बीज को किसी शारीरिक चोट और तनाव से बचाना चाहिए. अन्यथा तालाब के नए वातावरण में इसके जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है.तनावग्रस्त मछली बड़ी आसानी से रोग कारकों से संक्रमित हो सकती है.

मछली बीज को वैज्ञानिक सलाह के मुताबिक ही तालाब के नए वातावरण में ढालकर संचित किया जाना चाहिए, ताकि बीज की अधिकतम जीवितता दर को पाया जा सके.
 

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ऐसे तालाब जो गर्मियों में सूख जाते हैं, इस काम के लिए अधिक उपयुक्त होते है. बड़े सीमेन्ट के नादों को ही नर्सरी के रूप में प्रयोग किया जा सकता है. नर्सरी तालाबों से पानी के पौधों को हाथ से उखाड़ देना अति आवश्यक होता है. हालांकि, नर्सरी तालाब छोटे और उथले होने चाहिए. करीब 0.02-0.06 हेक्टेयर जल क्षेत्र और 1-1.5 मीटर गहराई वाले तालाब नर्सरी के रूप में सबसे उपयुक्त हैं. पालन-पोषण तालाब अपेक्षाकृत बड़े होते हैं, ज‍िनका आकार में 0.06 से 0.10 हेक्टेयर और गहराई 1.5 से 2.0 मीटर के बीच होती है.
 

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