ये हैं गायों की टॉप 5 देसी नस्लें, दूध देने के लिए दुनियाभर में हैं काफी मशहूर

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ये हैं गायों की टॉप 5 देसी नस्लें, दूध देने के लिए दुनियाभर में हैं काफी मशहूर

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भारत के लगभग हर राज्यों में देसी गायों की कई अलग-अलग नस्लें पाई जाती हैं. वहीं, देश के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-किसानी के बाद पशुपालन सबसे अच्छा व्यवसाय माना जाता है. कमाई के लिहाज से भी पशुपालन अब किसानों और पशुपालकों के लिए एक फायदे का सौदा बनता जा रहा है.
 

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इसके अलावा इस व्यवसाय में ऐसी नस्ल की गायों की मांग ज्यादा रहती है जिनसे अधिक दूध उत्पादन हो सकता है. ऐसे में पशुपालकों को ज्यादा दूध देने वाली गायों की नस्ल का सही चयन करना बहुत जरूरी होता है. ऐसे में आइए जानते हैं पांच देसी गायों की पहचान और उनकी विशेषताएं.
 

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खैरीगढ़ गाय नस्ल का नाम क्षेत्र के नाम पर रखा गया है. इस नस्ल के मवेशी उत्तर प्रदेश के खेरी जिले में ज्यादातर पाए जाते हैं. वहीं कुछ जानवर निकटवर्ती पीलीभीत जिले में भी पाए जाते हैं. खैरीगढ़ गाय को खीरी, खैरागढ़ और खैरी गाय के नाम से जाना जाता है. वहीं खेरीगढ़ नस्ल की गाय एक ब्यांत में लगभग 300-500 लीटर तक दूध देती हैं.

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देशी नस्ल के गायों में राठी नस्ल की गाय एक महत्वपूर्ण दुधारू नस्ल है. यह नस्ल देश के किसी भी क्षेत्र में रह लेती है. राठी गाय को 'राजस्थान की कामधेनु' भी कहते हैं. वहीं, राठी नस्ल की गाय प्रतिदिन लगभग 7 से 12 लीटर तक दूध देती हैं. जबकि अच्छी देखभाल और खानपान होने पर 18 लीटर तक भी दूध देती है.  
 

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साहिवाल गाय को किसान व्यावसायिक रूप से पालन करना अधिक पसंद करते हैं क्योंकि साहिवाल गाय काफी अधिक मात्रा में दूध का उत्पादन करती हैं. वहीं साहिवाल गाय का पालन ज्यादातर उत्तर भारत में किया जाता है. साहिवाल गाय औसतन 10 से 20 लीटर देती है.
 

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गिर गाय, गाय की एक ऐसी नस्ल है जो रोजाना औसतन 12-20 लीटर तक दूध देती है. वहीं गिर गाय, भारतीय गायों में सबसे बड़ी होती है जो औसतन 5-6 फुट ऊंची होती है. इसका औसत वजन लगभग 400-500 किलोग्राम तक होता है. इसके अलावा, गिर गाय की स्वर्ण कपिला और देवमणि नस्ल सबसे अच्छी नस्लें मानी जाती हैं.
 

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लाल कंधारी गाय छोटे किसानों के लिए बहुत लाभकारी गाय है क्योंकि इसके देखभाल में ज्यादा लागत नहीं आता है और इसे खिलाने के लिए हमेशा हरे चारे की जरूरत भी नहीं पड़ती है. ऐसा मानते हैं कि गाय की इस नस्ल को चौथी सदी में कांधार के राजाओं द्वारा विकसित किया गया था. वहीं रेड कंधारी गाय प्रतिदिन 1.5 से 4 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है.
 

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