भैंस के गर्भधारण की बात करें तो ये बहुत ही नाजुक दौर होता है. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि इस वक्त पशु को बच्चा देने के बाद ही नहीं उससे पहले भी बहुत खास देखभाल की जरूरत होती है. ऐसे में अगर भैंस के गर्भकाल की बात करें तो 310-315 दिन तक का होता है.
लेकिन इसमे में भी 90 दिन तीन महीने गर्भवती भैंस के लिए बहुत ज्यादा खास होते हैं. खासतौर पर भैंस की हैल्थ को लेकर. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि अगर गर्भकाल के दौरान भैंस की अच्छी तरह से देखभाल की तो बच्चा हेल्दी मिलेगा.
गर्भकाल के दौरान भैंस की देखभाल कैसे की जाए, इसके लिए केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी), हिसार की आनलाइन मदद भी ली जा सकती है. सीआईआरबी गर्भवती भैंस के शेड, खानपान और हैल्थ से जुड़ी बातों की गहन और हर तरह की जानकारी देता है.
पशु चिकित्सक से भी भैंस के गर्भ की जांच करा सकते हैं. और जब ये पक्का हो जाए कि भैंस गर्भ से है तो उनकी तीन तरह से देखभाल शुरू कर दें. भैंस बहुत सारे पोषक तत्वों की जरूरत होती है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो खासतौर पर आखिरी के तीन महीने आठवां, नौंवा और दसवें में.
अगर ऐसे वक्त में खानपान में कोई कमी रह जाती है तो भैंस को कई तरह की परेशानी हो सकती हैं. गर्भवती भैंस के लिए अच्छा खानपान इसलिए जरूरी हो जाता है कि एक तो उसके गर्भ में बच्चा पल रहा होता है, दूसरे बच्चा देने के बाद उसे दूध भी देना है.
खानपान की कमी से बच्चा कमजोर और अंधा पैदा हो सकता है. वहीं, बच्चा देने के बाद भैंस को मिल्क फीवर हो सकता है. भैंस फूल दिखा सकती है और जेर रूक सकती है. भैंस की बच्चेदानी में मवाद पड़ सकता है. बच्चा देने के बाद दूध उत्पादन घट सकता है.
आठवें महीने के बाद से भैंस को दूसरे पशुओं से अलग रखना चाहिए. भैंस का बाड़ा उबड़-खाबड़ तथा फिसलन वाला नहीं होना चाहिए. बाड़ा हवादार और भैंस को सर्दी, गर्मी और बरसात से बचाने वाला हो. बाड़े में रेत-मिट्टी का कच्चा फर्श हो और सीलन न हो. ताजा पीने के पानी का इंतजाम होना चाहिए.