गाय-भैंस पालन में मुनाफा कमाने के लिए जरूरी है कि रीप्रोडक्शन हो. यानी गाय-भैंस वक्त से बच्चा दे और वो हेल्दी हो. क्योंकि एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक हेल्दी बच्चा होगा तो बड़े होकर मुनाफा कराएगा. दूध और मीट के लिए जल्दी तैयार होगा.
अगर बच्चे के जन्म के समय जरा सी लापरवाही हो जाए तो बच्चों की जन्म के साथ ही मौत भी हो जाती है. लेकिन एक्सपर्ट के मुताबिक अगर बच्चे के पैदा होते ही कुछ बातों का ख्याल रखा जाए तो उन्हें मुनाफा देने वाला पशु बनाया जा सकता है.
लेकिन जब गाय-भैंस बच्चा दे तो जन्म के पहले घंटे से ही बच्चे की देखभाल शुरू कर देनी चाहिए. बच्चे के जन्म से लेकर आने वाले 20 दिन बहुत खास होते हैं. बच्चे का खानपान कैसा हो, उम्र के हिसाब से शेड कैसा तैयार किया जाए इन बातों का भी बहुत ख्याल रखने की जरूरत होती है.
क्योंकि यही बच्चा तो आगे चलकर पशुपालकों को मुनाफा करता है. अगर होने वाला बच्चा फीमेल है तो बड़े होकर दूध दूकर कमाई कराएगा, वहीं अगर मेल है तो उसे ब्रीडर बनाकर हर महीने पैसा कमाया जा सकता है.
जन्म के तुरंत बाद, नवजात शिशु को साफ करें. बछड़े को सांस लेना शुरू करवाएं. नाभि की नाल को स्टेरलाइज़्ड कैंची या ब्लेड से काट दें. नाभि के कटे हुए हिस्से पर टिंचर आयोडीन या फिर एंटीसेप्टिक लगाएं. पशु को 10 दिन की उम्र में कृमि मुक्त करना जरूरी है.
21 दिन बाद फिर कृमि मुक्त दवाई को दोहराना चाहिए. 15 दिनों के बाद बछड़े को सूखा चारा और दाना दिया जा सकता है. हर एक हफ्ते बाद 50-100 ग्राम तक दाना बढ़ाना चाहिए. तीन महीने की उम्र में पशु हरा रेशेदार चारा खाने में सक्षम हो जाता है. अगर बछड़े बच्चे में अतिरिक्त थन मौजूद है, तो उसे शुरुआत में कटवा दें. बछड़े को दूध का विकल्प न दें.
दूध से मिलने वाली एनर्जी बीमारी में मदद करती है. दस्त से पीड़ित पशुओं को दूध पिलाने के दो घंटे बाद इलेक्ट्रोलाइट्स खिलाया जाना चाहिए. इलेक्ट्रोलाइट्स खनिज, ऊर्जा और प्रोटीन प्रदान करते हैं, साथ ही एबॉसम में थक्का नहीं बनने देते हैं.