देश में लंपी बीमारी को पैर पसारे कोई बहुत ज्यापदा वक्त नहीं हुआ है. लेकिन कम वक्त में भी इस बीमारी ने बड़ा नुकसान किया है. ये बीमारी खासतौर से गायों पर असर करती है. दूसरे देशों से आई ये बीमारी देशभर के ज्यादा राज्यों में अपना असर दिखा चुकी है. इस बीमारी का मुख्य कारण मच्छर और मक्खी हैं. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो अभी इस बीमारी का इलाज कह लें या रोकथाम सिर्फ वैक्सीन ही है. लेकिन परेशान करने वाली बात ये है कि आने वाली मई में लंपी बीमारी के फैलने का अलर्ट जारी किया गया है.
निवेदी संस्थान ने 16 राज्यों के 61 शहरों में लंपी के फैलने की वार्निंग दी है. संस्थान के मुताबिक ये इस बीमारी का असर उत्तराखंड और कर्नाटक में सबसे ज्यादा देखने को मिल सकता है. लेकिन गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह का कहना है कि वैक्सीन के साथ ही बॉयो सिक्योरिटी अपनाकर इस बीमारी से आसानी से लड़ा जा सकता है.
निवेदी संस्थान के मुताबिक 16 राज्यों के 61 शहरों में लंपी का असर हो सकता है. इसमे सबसे ज्यादा राज्यो कर्नाटक के 10 और उत्तराखंड के नौ शहर शामिल हैं. वहीं झारखंड के नौ शहर भी इसमे शामिल हैं. इसके साथ ही असम के सात, केरल छह, गुजरात के चार शहर शामिल हैं. साथ में मध्य प्रदेश, राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, बिहार और हरियाणा भी इस लिस्ट में शामिल हैं.
डॉ. इन्द्रंजीत सिंह ने किसान तक को बताया कि सड़क पर घूमने वालीं और कुछ गौशालाओं में गायों को खाने के लिए पौष्टिक चारा नहीं मिल पाता है. जिसके चलते ऐसी गायों की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है. यही वजह है कि लंपी बीमारी का सबसे ज्यादा अटैक इसी तरह की गायों पर देखा गया है. लंपी की वजह से मौत भी ऐसी ही गायों की हुई.
ऐसा नहीं है कि जहां गायों को बहुत अच्छा चारा मिल रहा है वहां गायों की मौत लंपी की वजह से नहीं हुई है, हुई है लेकिन उसकी संख्या बहुत कम है. दूसरा यह कि सड़क पर घूमने वाली गाय बहुत जल्दी उन मक्खी-मच्छर की चपेट में आ गईं जो लंपी बीमारी के कारण थे. जबकि गौशालाओं और डेयरी फार्म पर बहुत हद तक साफ-सफाई होने के चलते मच्छर-मक्खी का उतना अटैक वहां नहीं हुआ.
डॉ. इन्द्रजीत सिंह का कहना है कि हम आज तक पशुपालन को अपने पुराने तौर-तरीके अपनाकर करते चले आ रहे हैं. जबकि क्लाइमेट चेंज के चलते अब बहुत बड़ा बदलाव आ चुका है. सबसे पहले तो हमे करना यह होगा कि हम गाय-भैंस पालें या भेड़-बकरी समेत कोई भी दुधारू पशु, हमे उसे साइंटीफिक तरीके से पालना होगा. इसके लिए जरूरत है कि हम अपने पशुओं के फार्म पर बॉयो सिक्योसरिटी का पालन करें और आने वाले से भी कराएं.
जैसे अपने फार्म की बाड़बंदी करें. जिससे सड़क पर घूमने वाला कोई भी जानवर आपके फार्म में नहीं घुस सकें.अपने फार्म के अंदर और बाहर दवा का छिड़काव जरूर कराएं. दूसरा यह कि कुछ दवा फार्म पर रखें जिनका इस्ते माल हाथ साफ करने के लिए हो. ऐसा करने के बाद ही पशु को हाथ लगाएं. पशु को हाथ लगाने के बाद एक बार फिर से दवाई का इस्तेमाल कर हाथ साफ करें, जिससे पशु की कोई बीमारी आपको न लगे. इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति बाहर से आपके फार्म में आ रहा है तो उसके शूज बाहर ही उतरवाएं या फिर उन्हेंर सेनेटाइज करें. हाथ और उनके कपड़ों को भी सेनेटाइज करवा सकें तो बहुत ही अच्छा है वर्ना तो पीपीई किट पहनाकर ही फार्म के अंदर ले जाएं.