PHOTOS: केले के कचरे ने बदली इन तीन युवाओं की किस्मत, अब करोड़ों की कर रहे कमाई

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PHOTOS: केले के कचरे ने बदली इन तीन युवाओं की किस्मत, अब करोड़ों की कर रहे कमाई

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भारत दुनिया में सबसे अधिक केले का उत्पादन करने वाला देश है, लेकिन इसकी फसल लेने के बाद बचने वाले 60 फीसदी जैविक अवशेष बेकार चले जाते हैं. इसी समस्या को अवसर में बदलने का काम बिहार के हाजीपुर के तीन युवा उद्यमियों-जगत कल्याण, सत्यम कुमार और नितीश वर्मा ने किया. 2021 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, इन तीनों ने 'तरुवर एग्रो' की स्थापना की.
 

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यह स्टार्टअप केले के पेड़ों के कचरे से उपयोगी उत्पाद बनाकर न केवल करोड़ों की कमाई कर रहा है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा कर रहा है. जगत कल्याण, सत्यम कुमार और नितीश वर्मा ने दूसरे की नौकरी के बजाय अपने राज्य में ही स्वरोजगार शुरू करने का निर्णय लिया. उन्होंने देखा कि किसान केले की फसल उगाने में कड़ी मेहनत करते हैं.
 

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लेकिन फल काटने के बाद पेड़ को बेकार समझ कर हटा देते हैं. इससे खेतों में बड़ी मात्रा में कचरा इकट्ठा हो जाता है, जिसे साफ करना किसानों के लिए मुश्किल हो जाता है. तीनों युवाओं ने रिसर्च शुरू की और पाया कि केले के पेड़ों से निकलने वाला कचरा वास्तव में बहुत उपयोगी हो सकता है. उन्होंने केले के तनों से प्राकृतिक रेशे (फाइबर) निकालने की तकनीक सीखी और इसे विभिन्न उत्पादों में बदलने का तरीका अपनाया. 

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तरुवर एग्रो केले के पेड़ों से प्राकृतिक रेशे निकालने और उन्हें विभिन्न उत्पादों में बदलने की तकनीक पर काम कर रहा है. इस स्टार्टअप की शुरुआत मात्र चार मजदूरों के साथ हुई थी, लेकिन आज इसके यूनिट में करीब 30 स्थायी और दैनिक मजदूर कार्यरत हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या अधिक है. तरुवर एग्रो द्वारा बनाए जाने वाले प्रमुख उत्पाद हस्तशिल्प, योगा मैट फोल्डर, टोकरियां, पेंटिंग, कुशन, कवर कोस्टर और अन्य उपयोगी सामान.
 

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इससे न केवल पर्यावरण की रक्षा हो रही है, बल्कि किसानों को अतिरिक्त आमदनी भी मिल रही है. 'तरुवर एग्रो' ने केला किसानों के साथ साझेदारी की है. कंपनी किसानों को प्रति पेड़ 5 से 25 रुपये तक का भुगतान करती है, जिससे उन्हें केले के फल के अलावा पेड़ों के कचरे से भी आय होने लगी है. कई किसान बिना पैसे लिए ही अपने खेत का कचरा कंपनी को दे देते हैं, क्योंकि इससे उन्हें अपने खेत साफ करने में लगने वाले खर्च से राहत मिलती है.
 

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साल 2022-23 के वित्तीय वर्ष में 'तरुवर एग्रो' ने 50 लाख रुपये का वार्षिक टर्नओवर हासिल किया. वर्तमान में, कंपनी हर महीने हजारों किलोग्राम केले के फाइबर का उपयोग कर रही है और अपने उत्पादों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से बेच रही है. ये देश के कई राज्यों में अपने उत्पाद बेच रही है जैसे केरल, गुजरात, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश.

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'तरुवर एग्रो' अब केवल बनाना फाइबर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्टार्टअप अब ड्राई फ्रूट्स के क्षेत्र में भी काम कर रहा है. कंपनी आठ विभिन्न फ्लेवर के मखाने के उत्पाद तैयार कर रही है, जो बाजार में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. 2024 में कंपनी का सालाना टर्नओवर लगभग 1.50 करोड़ रुपये था. अगले वर्ष इसे 5-6 करोड़ रुपये तक पहुंचाने की योजना बनाई जा रही है.

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