थ्रेशर से मड़ाई करते वक़्त इन 14 बातों का ध्यान रखना ज़रूरी, तभी मिलेगी अच्छी उपज

थ्रेशर से मड़ाई करते वक़्त इन 14 बातों का ध्यान रखना ज़रूरी, तभी मिलेगी अच्छी उपज

थ्रेशर मशीन में लगी मड़ाई यूनिट का प्रमुख कार्य पौधों को काटकर बालियों से अनाज निकालना होता है इसके साथ ही भूसा बनाना होता है. भूसे को इधर उधर जाने से रोकने के लिए थ्रेशर में ड्रम लगा होता है. यह लोहे की शीट से बना होता है. इसके साथ ही थ्रेशर में अनाज  साफ करने वाली यूनिट भी लगी होती है. इसका काम अनाज को सफाई करके तोलक तक पहुंचाना होता है.

असम के किसान ने बनाया देसी थ्रेसरअसम के किसान ने बनाया देसी थ्रेसर
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 20, 2024,
  • Updated Feb 20, 2024, 3:18 PM IST

धान गेहूं और फसलों की खती में मड़ाई की प्रक्रिया अपनाई जाती है. इस प्रक्रिया में किसान फसल की सफाई करते हैं. आजकल मड़ाई करने के लिए थ्रेशर मशीनों के इस्तेमाल पर भी जोर दिया है. थ्रेशर दो प्रकार के होते हैं एक पशुचालित थ्रेशर और एक ऑयोमिटक थ्रेशर, जिसे चलाने के लिए इंधन की जरुरत होती है. आज के दौर में किसान शक्तिचालित थ्रेशर का सबसे अधिक इस्तेमाल करते हैं. इसके जरिए मड़ाई और ओसाई भी हो जाती है. इसमें कई प्रकार की चलनियों का प्रयोग होता है,जिससे भूसा और अनाज अलग-अलग हो जाते हैं. बड़े कृषि फर्मों में जहां पर गेहूं की खेती अधिक होती है वहां पर थ्रेशर का अधिक इस्तेमाल होता है. इसके इस्तेमाल से समय की काफी बचत होती और प्रति क्विंटल खर्च बहुत कम पड़ता है. 

थ्रेशर मशीन में लगी मड़ाई यूनिट का प्रमुख कार्य पौधों को काटकर बालियों से अनाज निकालना होता है इसके साथ ही भूसा बनाना होता है. भूसे को इधर उधर जाने से रोकने के लिए थ्रेशर में ड्रम लगा होता है. यह लोहे की शीट से बना होता है. इसके साथ ही थ्रेशर में अनाज  साफ करने वाली यूनिट भी लगी होती है. इसका काम अनाज को सफाई करके तोलक तक पहुंचाना होता है. इस इकाई में कई प्रकार की छलनिया और जालियां लगीं होती है. इससे अनाज में अगर किसी प्रकार की मिलावट को तो उसे साफ सफाई किया जाता है. पर थ्रेशर मशीन के इस्तेमाल में कई प्रकार की सावधानियां बरतने की जरूरत होती है. तब जाकर की थ्रेशिंग मशीन का परफॉर्मेंस सही रहता है.

ये भी पढ़ेंः किसान आंदोलन को लेकर बोले राहुल गांधी, भ्रम फैला रही सरकार- MSP से बजट पर नहीं बढ़ेगा बोझ

बरतनी चाहिए यह सावधानियां

  • थ्रेशर मशीन को जिस जगह पर खड़ा कर रहे हैं वह जगह समतल होनी चाहिए. जमीन के समतल होने पर मशीन बेहतर परिणाम देती है.
  • ध्यान रहे की जिस दिशा में हवा बह रही है उसी दिशा के अनुकूल मशीन को रखें, इससे ओसाई अच्छे से होती है. 
  • मशीन जब चालू अवस्था में तब अधिक वाइब्रेशन नहीं हो और अपने जगह पर स्थिर रहे इसके लिए जमीन खोदकर खूंटी गाड़कर मशीन को फिक्स करें. 
  • थ्रेशिंग मशीन में जहां से फसल को मड़ाई के लिए डाला जाता है वहां से निरंतर एक समान मात्रा में फीडिंग करते रहे. 
  • थ्रेशर मशीन की ग्रीसिंग निरंतर करते रहें. ध्यान रहें कि जितने भी चलने वाले पूर्जे हैं वो ग्रीस और तेल से चिकने हो. 
  • फसल को मशीन में डालते समय इस बात का ध्यान रखें की इस दौरान खड़ी फसल के साथ कोई लोहे या लकड़ी का टुकड़ा मशीन के अंदर ना जाएं. इससे अंदर की जाली फट सकती है या नुकसान पहुंच सकता है. 
  • ध्यान रहें की जब किसान फसल की थ्रेशिंग कर रहे हैं और उसे मशीन में डाल रहे हैं उससे पहले फसल अच्छी तरह सूखी हुई हो. इससे मड़ाई और ओसाई में आसानी होती है. 
  • जब थ्रेशिंग का काम खत्म हो जाता है. उसके बाद भी कुछ देर तक मशीन को खाली अवस्था में ही चलाते रहें, इससे अंदर जो भी अवशेष बचा होता है वह साफ हो जाता है. 
  • थेशिंग मशीन में जो भी छिद्र होते हैं उनकी समय-समय पर जांच और साफ-सफाई करना जरूरी है. 

ये भी पढ़ेंः Farmers Protest: क‍िसान संगठनों ने क्यों रद्द क‍िया सरकार का प्रस्ताव, सरवन सिंह पंधेर ने द‍िया जवाब

  • जिस समय थ्रेसिंग करने के लिए अनाज को अंदर डाल रहे हैं उस समय थ्रेशर ऑपरेटर को इस बात का ध्यान देना चाहिए कि उनका हाथ फीडिंग ट्रफ में ज्यादा अंदर तक नहीं जाए, वरना चोट लग सकती है. 
  • अगर मशीन लगातार आठ से दस घंटे तक काम कर चुकी है तो फिर मशीन को दोबारा काम में लगाने से पहले उसे थोड़ा आराम देना चाहिए. 
  • थ्रेशिंग का सीजन खत्म हो जाने के बाद जब मशीन का उपयोग नहीं होता है.तब मशीन में लगे सभी बेल्ट को खोलकर हटा देना चाहिए. इसके बाद मशीन को अच्छे से शेड के नीचे या किसी ढकी हुई जगह पर रखना चाहिए. 
  • मशीन में अगर सिलिंडर, हैमर या स्पाइक घिस जाए तो उसे तुरंत बदल देना चाहिए. इससे मशीन की कार्यक्षमता सही रहती है. 
  • इसके अलावा अगर थ्रेशर में अनाज का दाना टूट रहा है तो सिलिंडर के चक्कर की संख्या प्रति मिनट कम कर देनी चाहिए. साथ ही कॉन्केव सिलिंडर के बीच की दूरी को बढ़ा देना चाहिए. 

 

MORE NEWS

Read more!