इंदौर के किसानों ने निकाली नई तरकीब, सोयाबीन के जल्द तैयार होने वाले बीजों से मिलेगी बंपर पैदावार

इंदौर के किसानों ने निकाली नई तरकीब, सोयाबीन के जल्द तैयार होने वाले बीजों से मिलेगी बंपर पैदावार

किसानों का ध्यान इस बात पर है कि वे उन किस्मों का चयन करें जिससे कम दिनों में अधिक से अधिक उपज मिल सके. साथ ही खेती पर उनकी लागत भी अधिक न हो. इसके लिए इंदौर के किसान सोयाबीन के ऐसे बीज लगा रहे हैं जो कम दिनों में अधिक पैदावार दे सकता है.

सोयाबीन की खेती (सांकेतिक तस्वीर)सोयाबीन की खेती (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 25, 2024,
  • Updated Jun 25, 2024, 2:09 PM IST

खरीफ सीजन की शुरुआत के साथ ही खरीफ फसलों की बुवाई शुरू हो गई है. सोयाबीन की खेती भी इसी सीजन में की जाती है. इंदौर में भी किसान सोयाबीन की खेती में जुट चुके हैं. जिले के कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इंदौर संभाग में करीब 50 प्रतिशत रकबे में सोयाबीन की खेती हो चुकी है. जिला कृषि विभाग के अनुसार सोयाबीन की खेती और पैदावार के मामले में मध्य प्रदेश देश का अग्रणी राज्य है. इस बार उम्मीद की जा रही है कि इंदौर संभाग में किसान 9 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन में सोयाबीन की खेती करेंगे. इस बार यह इसलिए खास है क्योंक कृषि लागत कम करने और अधिक कमाई करने के लिए किसान कम अवधि वाली उन्नत किस्मों के सोयाबीन को लगा रहे हैं. 

'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने एक रिपोर्ट में बताया है, आईसीएआर-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बीयू दुपारे ने कहा कि राज्य में सोयाबीन की बुवाई शुरू हो गई है. आगे उन्होंने बताया कि इस बार बड़ी संख्या में किसानों ने अधिक उपज देने वाली और कम लागत वाली किस्में लगाई हैं. इससे किसानों की कृषि लागत में कमी आएगी और उन्हें अधिक मुनाफा होगा. उन्होंने कहा कि कम अवधि वाली सोयाबीन की कई ऐसी किस्में हैं जो किसानों के बीच प्रसिद्ध है और किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती कर रहे हैं. 

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सोयाबीन की कम अवधि वाली किस्म 

आईसीएआर, इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ सोयाबीन रिसर्च इंदौर के वैज्ञानिक के अनुसार सोयाबीन की कम अवधि वाली किस्म एनआरसी 150 और मध्यम अवधि वाली किस्म एनआरसी 142 किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो गई है. मध्य भारत के किसानों के बीच जेएस 96-60 एक प्रमुख किस्म है. सोयाबीन में आरवीएसएम 2011-35 और जेएस 21-72 लोकप्रिय किस्में हैं. वैज्ञानिक डॉ. बीयू दुपारे ने कहा कि सोयाबीन की नई कम अवधि वाली किस्में उत्पादन लागत को कम करती हैं. साथ ही कीटों के हमले के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता रखती हैं. उन्होंने कहा कि नई किस्मों के बढ़ते उपयोग से सोयाबीन का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है. 

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बेहतर उपज की उम्मीद कर रहे किसान

सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि बारिश और अनुकूल मौसम होने से इस सीजन में सोयाबीन की खेती करने में काफी मदद मिली है. सांवेर में सोयाबीन की खेती करने वाले किसान दिलीप मुकाती कहते हैं कि उन्होंने सोयाबीन की खेती शुरू कर दी है. अपने क्षेत्र में लगभग 50 प्रतिशत जमीन में सोयाबीन की खेती की है. उन्होंने कहा कि मौजूदा मौसम में जो बारिश का पूर्वानुमान लगाया गया है, उसे देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार किसान अच्छी पैदावार हासिल करेंगे. मध्य प्रध्य प्रदेश में खरीफ सीजन में सोयाबीन के साथ मकई और दाल की खेती करते हैं.

 

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