रक्षा बंधन, भाई बहन के प्रेम का प्रतीक यह त्योहार देश में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. भाई-बहन के पवित्र और मजबूत रिश्ते का यह प्रतीक माना जाता है. इस पावन पर्व में बहने अपनी भाईयों की रक्षा के लिए उसकी दाहिनी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं, तिलक लगाती हैं और भाई को आशीर्वाद देती हैं . इसके बदले में भाई जीवन भर अपनी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है. भारत में पर्व सदियों ने मनाया जा रहा है. इतिहासकारों के अनुसार रानी दुर्गावती ने रक्षा के लिए अकबर को राखी भेजी थी. वहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवती महालक्ष्मी ने राजा बलि को भी रक्षाबंधन के प्रतीक के तौर पर रक्षा सूत्र बांधा था.
ज्योतिषाचार्य पंडित वेदप्रकाश मिश्रा ने बताया कि रक्षाबंधन का पर्व इस बार 19 अगस्त को सोमवार के दिन पड़ रहा है. लेकिन श्रावण शुक्ल चतुर्दशी 18 अगस्त 2024 की रात्रि में 2 बजकर 21 मिनट से ही भद्रा की शुरुआत होगी और इसका समापन श्रावण शुक्ल पूर्णिमा सोमवार 19 अगस्त 2024 को दोपहर में 1 बजकर 24 मिनट पर होगा. इसलिये इसके बाद ही राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त होगा. वेदप्रकाश मिश्रा ने बताया कि भद्रा बीतने के बाद ही बहने अपने भाईयों को 19 अगस्त को दोपहर के बाद राखी बांध सकती है. यह शुभ माना जाएगा.
ये भी पढ़ेंः Saffron Farming: सूखे की मार से बर्बाद हो रही केसर की फसल, सेब-सरसों की खेती पर शिफ्ट हो रहे किसान
वही काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि श्रावण पूर्णिमा 19 अगस्त की सुबह 2:05 से शुरू होकर रात के 11:56 पर समाप्त होगी. इसलिए उदया तिथि को मानते हुए रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त को ही मनाया जाएगा. रक्षाबंधन पर इस बार भद्रा की छाया रहेगी. हालांकि भद्रा के पाताल लोक में होने की वजह से इसका ज्यादा असर नहीं होगा. फिर भी रक्षाबंधन के दिन कुछ घंटे तक बहनें भाइयों को राखी नहीं बांध पाएंगी. रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल सुबह 5:46 से दोपहर 1:24 तक रहेगा. भद्रा काल के बाद ही रक्षा सूत्र बांधना शुभ माना जाता है, यह अच्छा मुहूर्त होता है.
ये भी पढ़ेंः UP में स्वीट कॉर्न की खेती के लिए 50000 रुपये की सब्सिडी, सस्ते में मिलेंगे फसलों के बीज
अशोक द्विवेदी ने आगे बताया कि इस वर्ष भद्रा का वास पाताल लोक में होने की वजह से बहुत अशुभ नहीं माना जाएगा. क्योंकि, ज्योतिषी मान्यताओं के अनुसार भद्रा जब पाताल या फिर स्वर्ग लोक में वास करता है तो इसका नुकसान पृथ्वीवासियों पर कम पड़ता है. उन्होंने कहा कि भद्राकाल बीत जाने के बाद ही रक्षाबंधन का पर्व मनाना उत्तम रहेगा. वहीं आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी रक्षाबंधन का पावन त्यौहार श्रवण नक्षत्र में यानी श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा. इस बार का विशेष संयोग सौभाग्य योग, रवि योग, शोभन योग के संगम के साथ ही सिद्धि योग भी बन रहा है. सोमवार का दिन होने की वजह से यह संयोग अत्यंत शुभ है. रक्षाबंधन में भद्राकाल की बाधा 19 अगस्त को दिन में 1:24 तक रहेगी. श्रावण मास का समापन श्रवण नक्षत्र से होगा.