
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के गृह जिले संगरूर में धान की पराली जलाने की घटनाओं से किसानों और पुलिस के बीच तनाव बढ़ रहा है. बुधवार को यहां लड्डी गांव में उस समय तनाव बढ़ गया जब पुलिस की एक टीम पराली जलाने से रोकने और एक खेत मजदूर को हिरासत में लेने के लिए खेतों में पहुंची. कुछ किसानों ने खेतों की ओर जाने वाले कच्चे रास्ते पर धरना दे दिया और कथित तौर पर पुलिस की गाड़ी को रोक दिया.
इस पर, डीएसपी रैंक के एक पुलिस अधिकारी ने कथित तौर पर रास्ता साफ करने के लिए किसानों की दो दोपहिया गाड़ियों को खेतों में फेंक दिया. इस बीच, वायरल वीडियो में देखा गया कि एक महिला पुलिस इंस्पेक्टर ने किसानों से उनका रास्ता न रोकने की अपील की.
दूसरी ओर, किसानों ने कहा कि पराली निपटान के विकल्पों की कमी के कारण उन्हें पराली जलाने के लिए मजबूर होना पड़ा. किसानों ने कहा कि सरकार से मशीनें या कोई अन्य सुविधा मिले तो वे पराली नहीं जलाएंगे. वे ऐसा करने के लिए मजबूर हैं.
संगरूर जिले के भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के कार्यकर्ता जगतर सिंह लड्डी ने कहा, “हमारे गांव का एक किसान चिकनगुनिया से पीड़ित है, और उसके खेत मजदूर ने पराली में आग लगा दी थी. संगरूर के डीएसपी की अगुआई में एक पुलिस टीम मौके पर पहुंची, और जब उन्होंने उसे हिरासत में लिया और उसे पुलिस स्टेशन ले जाने की कोशिश की, तो हमने उनका रास्ता रोक दिया.
लड्डी ने कहा, इससे गुस्सा होकर डीएसपी अपनी सरकारी गाड़ी से उतरे और हमारी दोपहिया गाड़ियों को खेतों में फेंक दिया. फिर और किसान आए, और सदर संगरूर पुलिस स्टेशन के एसएचओ के नेतृत्व में एक और पुलिस टीम भी वहां पहुंची. बाद में, वे केस दर्ज न करने पर राजी हो गए और चले गए.”
जगतर सिंह लड्डी ने आगे कहा कि इससे पहले, मंगलवार को भी उन्होंने एक पुलिस टीम का घेराव किया था, जब वह किसानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए खेतों की फोटो ले रही थी. उन्होंने कहा, “हमें धान की पराली को मैनेज करने के लिए बेलर नहीं मिल रहे हैं. ऐसी हालत में हम इसे जलाने के अलावा और क्या कर सकते हैं?”
हाल के दिनों में कुछ अन्य जिलों से भी किसानों के पुलिस का घेराव करने की खबरें सामने आई हैं.
किसान चमकौर सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वे मजबूरी में पराली जला रहे हैं क्योंकि गेहूं की बुवाई का समय बहुत करीब है और सरकार ने अब तक कोई ठोस समाधान नहीं दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि डीएसपी की टीम ने गुस्से में आकर किसानों की मोटरसाइकिलें उठा कर फेंक दीं. चमकौर सिंह ने कहा कि सरकार अगर पराली का प्रबंधन खुद नहीं कर सकती, तो किसानों को सजा देने का कोई हक नहीं है.
वहीं, डीएसपी सुखदेव सिंह ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा कि पुलिस केवल किसानों को समझाने के लिए गई थी ताकि वे कानून का उल्लंघन न करें. उन्होंने बताया कि कुछ समय के लिए स्थिति तनावपूर्ण जरूर रही, लेकिन बातचीत के बाद मामला शांत कर लिया गया. किसानों को पराली जलाने से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान और कानूनी नियमों की जानकारी दी गई.
गांव में बड़ी संख्या में किसान इकट्ठे होकर प्रशासन और सरकार को चेतावनी दे रहे हैं कि यदि पराली प्रबंधन का कोई ठोस समाधान जल्द नहीं दिया गया, तो वे अपना विरोध और तेज करेंगे. किसानों का कहना है कि वे सरकार से टकराव नहीं चाहते, लेकिन खेती के मौसमी दबाव के कारण उन्हें मजबूरन पराली जलानी पड़ रही है.(कुलवीर सिंह का इनपुट)