कृषक संगठन किसान मजदूर मोर्चा ने सोमवार को पंजाब में बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए तत्काल मुआवजे की मांग को लेकर कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार की भी आलोचना की और अपने विरोध प्रदर्शन के तहत केंद्र सरकार और पंजाब सरकार के पुतले फूंके. किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि किसान राज्य में हाल ही में आई बाढ़ के दौरान हुए भारी नुकसान के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
बता दें कि पंजाब को दशकों में आई सबसे भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा, जिसका मुख्य कारण सतलुज, व्यास और रावी नदियां उफान पर थीं, साथ ही हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण मौसमी नदियां भी उफन रही थीं. इसके अलावा, पंजाब में भारी बारिश ने बाढ़ की स्थिति को और भी बदतर बना दिया. इस दौरान पंढेर ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य सरकार की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि किसानों पर पराली जलाने के लिए एफआईआर दर्ज की जा रही हैं, भूमि अभिलेखों में रेड एंट्रियां की जा रही हैं और जुर्माना लगाया जा रहा है. ये सब बंद होना चाहिए.
किसान नेता पंढेर ने कहा कि राज्य सरकार को पराली प्रबंधन के लिए किसानों को 200 रुपये प्रति क्विंटल या 6,000 रुपये प्रति एकड़ देना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर सरकार पराली जलाने के लिए किसानों पर कार्रवाई बंद नहीं करती है, तो वे अपना आंदोलन और तेज करेंगे. पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को अक्सर अक्टूबर और नवंबर में धान की कटाई के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है. चूंकि धान की कटाई के बाद रबी की फसल - गेहूं - की बुवाई का समय बहुत कम होता है, इसलिए कुछ किसान अगली फसल की बुवाई के लिए पराली को जल्दी से हटाने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं.
किसान मज़दूर मोर्चा के आह्वान पर, भारती किसान यूनियन (एकता आज़ाद), बीकेयू (क्रांतिकारी), बीकेयू (दोआबा) और किसान मजदूर हितकारी सभा सहित अन्य किसान संगठनों ने भी विरोध प्रदर्शन में भाग लिया. (सोर्स- PTI)
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