धान की नर्सरी लगाने में इन 6 बातों को जानना जरूरी, अच्छी फसल पाने के लिए तुरंत करें ये काम

धान की नर्सरी लगाने में इन 6 बातों को जानना जरूरी, अच्छी फसल पाने के लिए तुरंत करें ये काम

धान के पौधै तैयार करने के लिए आठ मीटर लंबी और डेढ़ मीटर चौड़ी क्यारियां तैयार करें. जब तक क्यारी में पौधे पूरी तर से हरे नहीं हो जाते हैं तबतक इन पौधौं के पक्षियों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए विशेष सावाधनी बरतें. शुरुआत में अंकुरित होने के दौरान क्यारियों को पुआल से ढंक दे.

धान की खेती (फाइल फोटो)धान की खेती (फाइल फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 13, 2024,
  • Updated May 13, 2024, 2:38 PM IST

मॉनसून की शुरुआत होने वाली है इसके साथ ही देश में खरीफ सीजन की शुरुआत हो जाएगी. इस सीजन में देश में सबसे अधिक  धान की खेती की जाती है. धान की खेती के लिए पहले नर्सरी तैयार की जाती है. क्योंकि अच्छी तरह से नर्सरी तैयार होने ही धान की पैदावार अच्छी होती है. धान की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत की अच्छे से जुताई करनी चाहिए. इसके बाद हल्की गिली और भूरभूरी मिट्टी में धान की नर्सरी तैयार की जाती है. नर्सरी तैयार करने में सड़ी हुई गोबर खाद का इस्तेमाल करना चाहिए, नर्सरी की क्यारी के ऊपर धान की बुवाई से पहले सड़ी हुई गोबर का छिड़काव करना चाहिए. इससे ट्रांसप्लांट करने के लिए पौधों के उखाड़ने में आसानी होती है. 

इन बातों का रखें खयाल

  • धान की नर्सरी तैयार करने के लिए सबसे पहले बीज का चयन सावधानी पूर्वक करें. नर्सरी तैयार करने के लिए आधार या प्रमाणित बीज का ही इस्तेमाल करें. 
  • धान के पौधै तैयार करने के लिए आठ मीटर लंबी और डेढ़ मीटर चौड़ी क्यारिंया तैयार करें. जब तक क्यारी में पौधे पूरी तर से हरे नहीं हो जाते हैं तबतक इन पौधौं के पक्षियों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए विशेष सावाधनी बरतें. शुरुआत में अंकुरित होने के दौरान क्यारियों को पुआल से ढंक दे. इसके बाद इसके ऊपर से हल्के पानी का छिड़काव करें. ताकि नमी बनी रहे इससे पौधों का विकास अच्छा होता है. 

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  • धान की नर्सरी तैयार करने के लिए मध्यम आकार की प्रजातियों के लिए 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर, मोटे धान के लिए 45 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा बासमती प्रजाति के लिए 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की नर्सरी तैयार करें. धान के बीज की बुवाई के लिए बोने से ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम या 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम या थीरम प्रति किलोग्राम बीज में मिलाकर बीजोपचार कर लेना चाहिए. 
  • स्वस्थ और रोगमुक्त पौधे तैयार करने के लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था करें. साथ ही मिट्टी में पोषक तत्व डालें. जिस जगह पर सिंचाई की व्यवस्था है उस जगह पर ही नर्सरी का निर्माण करें. बुवाई से एक महीने पहले ही नर्सरी तैयार कर ली जाती है. जहां पर नर्सरी तैयार की जाती है वहां पर पहले पानी देकर खर पतवार उगने दिया जाता है फिर खेत में हल चलाकर और खरपतवारनाशी का छिड़काव करके उसे नष्ट कर दिया जाता है. ऐसा करने से धान की फसल में खरपतवार की संख्या कम होती है. 

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  • अच्छी फसल हासिल करने के लिए खेत में संतुलित मात्रा में पोषक तत्व डाले इससे पौधों की बढ़वार अच्छी होती है. इसके लिए 1000 वर्गमीटर क्षेत्र के लिए 10 क्विंटल सड़ी हुई गोबर खाद, 10 किलोग्राम डाई-अमोनियम फॉसफेट  और 200 ग्राम जिंक सल्फेट मिलाकर जुताई से पहले मिटटी में अच्छी तरह मिला लें. जिसके एक सप्ताह बाद 1000 मीटर की दर से 10 किलोग्राम यूरिया मिल दें.
  • धान की बुवाई के 1-2 दिन बाद पायरोजोस्फ्यूरॉन 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें. इसका छिड़काव अंकुरण होकर पौधे निकलने से पहले करना चाहिए. इसके लिए खरपतवार नाशी को रेत में मिलाकर 10-15 किलोग्राम प्रति 1000 वर्ग मीटर में मिलाकर नर्सरी की क्यारियों में एक समान रूप से फैला देना चाहिए और फिर हल्का पानी का छिड़काव करें.

 

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