देश में खरीफ सीजन के बीच कई राज्यों में इन दिनों किसानों को खाद की किल्लत, कालाबाजारी और अवैध भंडारण के कारण परेशानी उठानी पड़ रही है. अब ताजा मामला हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के पिहोवा कस्बे में सामने आया है, जहां यूरिया की किल्लत को लेकर किसानों का गुस्सा फूट पड़ा. नाराज किसानों ने एक कृषि अधिकारी को बंधक बना लिया और हिसार-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-152) को घंटों तक जाम करके रखा, जिससे वाहनों की कतार लग गई.
किसान यूरिया की भारी कमी का आरोप लगा रहे थे और जवाब मांगने के लिए सैकड़ों की संख्या में पिहोवा विश्राम गृह पहुंचे. इसकी जानकारी मिलने पर कृषि अधिकारी प्रदीप कुमार भी मौके पर पहुंचे, लेकिन किसानों ने उन पर टालमटोल भरे जवाब देने और कई दिनों से गुमराह करने का आरोप लगाकर उन्हें बंधक बना लिया.
किसानों ने आरोप लगाया कि अधिकारी ने यूरिया रेक आने का झूठा दिलासा दिया, जबकि हकीकत में कोई स्टॉक आया ही नहीं. साथ ही कहा कि कृषि अधिकारी ने किसानों को जलबेहरा जैसे डिपो पर भेजा, जहां कोई खाद उपलब्ध नहीं थी.
भारतीय किसान यूनियन के नेता प्रिंस वरैच ने कहा कि अधिकारी सिर्फ बहाने बना रहे थे और किसानों की परेशानी को अनदेखा कर रहे थे. प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि जब तक यूरिया की उपलब्धता का लिखित आश्वासन नहीं दिया जाता, तब तक जाम नहीं हटेगा.
कृषि अधिकारी को बंधक बनाए जाने और हाईवे पर चक्का जाम की जानकारी मिलने पर SHO जनपाल सिंह और नायब तहसीलदार संजीव कुमार सहित पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे. इसके बाद सभी ने किसानों को समझाया, तब जाकर लंबी बातचीत के बाद किसान हाईवे से धरना हटाने के लिए राजी हुए. वहीं, पुलिस उपाधीक्षक निर्मल सिंह ने पुष्टि की कि अधिकारी को सुरक्षित उनके कार्यालय भेज दिया गया था.
घटना को लेकर कृषि उप निदेशक करम चंद ने कहा,
"राज्य में यूरिया की कोई कमी नहीं है. छोटे और सीमांत किसानों को 5 से 10 बैग की नियमित आपूर्ति की जा रही है."
हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने भी कहा कि राज्य और केंद्र सरकार किसानों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है. जरूरत पड़ने पर तुरंत अधिकारियों को आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए जाते हैं. राणा ने कहा कि वर्तमान में राज्य में उर्वरकों की कोई कमी नहीं है.
पूर्व मुख्यमंत्री और सीनियर कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार उर्वरक की समय पर सप्लाई में असफल रही है. उन्होंने कहा कि हर फसल सीजन में किसानों को खाद की किल्लत झेलनी पड़ती है, क्योंकि सरकार पहले से कोई ठोस योजना नहीं बनाती. (पीटीआई)