ओडिशा में एमएसपी पर धान की खरीद जारी है. पर इस बीच धान खरीद प्रक्रिया को लेकर लगातार यहा के किसान शिकायत कर रहे हैं और उन्हें परेशानी भी हो रही है. किसानों की शिकायत है कि यहां पर धीमी गति से धान की खरीद हो रही है.संबलपुर जिले की बात करें तो यहां पर 22 नवंबर से धान की खरीद शुरू हुई थी. पर अभी भी मात्र 15.88 क्विंटल धान की ही खरीद की गई है.वहीं पिछले साल सीजन के अंत तक 30.66.799 क्विंटल धान की खरीद हो चुकी थी. जबकि एमएसपी पर धान बेचने के लिए इस साल पिछले साल से अधिक किसानों ने पंजीकरण कराया है.पिछले साल 54,540 किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीकरण कराया था जबकि इस साल 59,315 किसानों नें पंजीकरण कराया है. हालांकि इस साल धीमी गति से हो रही धान की खरीद ने किसानों के लिए कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं.
धान खरीद में देरी के कारण जो किसान एमएसपी पर धान बेचना भी चाहते हैं वो भी इससे दूर जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि टोकन वितरण में अनियमितता और गुणवत्ता के नाम पर कटौती के कारण धान खरीद की गति में कमी आई है. जिले के अन्य हिस्सों में भी यही स्थिति देखी जा रही है. कुचिंडा उप मंडल में धान खरीद को लेकर स्थिति खराब देखी जा रही है.वहीं उम-मंडल के केनाधिपा बाजार यार्ड में लगभग 13,250 बोरी धान उठाव के इंतजार में पडा हुआ है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक ओडिशा कृषक सुरक्षा समन्वय समिति के संयोजक और किसान नेता, अशोक प्रधान ने कहा कि केनाधिपा केवल एक उदाहरण है. धान खरीद को लेकर यहां जिस तरीके की स्थिति हैं उससे यहां स्पष्ट रुप से अनुमान लगाया जा सकता है कि अन्य बाजार यार्डों में कितनी बोरी धान उठाव का इंतजार कर रहे होंगे.
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केनाधिपा बाजार यार्ड में धान की बोरी के उठाव को लेकर कोई अधिकारिक बयान नहीं आया है पर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केनाधिपा में सप्ताह में केवल एक या बार ही झान की खरीद की जाती है. पर किसान जल्दी धान खरीद की आस में यहां धान लाकर रख देते हैं. इसके कारण यहां पर बोरियां अधिक हो जाती हैं. नहीं दूसरी तरफ कई किसानों ने खुले आसमान के नीचे धान की बोरियां जमा कर रखी हैं. पर अब उन्हें फसल खराब होने की चिंता सता रही है. गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में ही बारिश होने के कारण किसानों की खड़ी फसलों को नुकसान हुआ था साथ ही उनकी काटकर रखी गई धान की फसल भी खराब हो गई थी.
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यहां के कई किसानों ने यह भी आरोप लगाया है कि बारिश का हवाला देकर कई राइस मिलर्स किसानों का शोषण कर रहे हैं और गुणवत्ता के नाम पर वजन में कटौती कर रहे हैं. किसानों ने बताया की राइस मिलर्स गुणवत्ता के नाम पर प्रति बोरी चार से पांच किलोग्राम धान की कटौती कर रहे हैं. इससे उन्हें नुकसान हो रहा है. वहीं धान खरीद में धीमी गति के कारण कई किसानों का टोकन भी एक्सपायर हो चुका है, जिन्हें पहले ही धान बेचना था, पर बारिश के कारण वो अपना धान बाजार तक नहीं पहुंचा सके थे.