वैसे तो आपने कई कागजात पर गड़बड़ी से होने वाले बवाल की खबरें देखी और सुनी होंगी, जिसे लेकर कभी गरीब परिवार तो कभी किसान अपनी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रह जाने से चर्चा का विषय बन जाते हैं. इसके अलावा आपने कई फिल्में भी देखीं होंगी जिसमें कागजात में गड़बड़ी होने से जिंदा इंसान भी मरा हुआ साबित हो चुका है. लेकिन आज हम इन बातों से आपको इसलिए रुबरू करा रहे हैं क्योंकि एक गड़बड़ी का अनोखा मामला सामने आया है. दरअसल, मध्य प्रदेश के एक किसान के प्रमाण पत्र में वार्षिक आय 3 रुपये छाप दिया गया है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. आइए जानते हैं आखिर क्या है ये रोचक और हैरान करने वाला मामला.
मध्य प्रदेश के एक किसान की वार्षिक आय 3 रुपये वाला प्रमाण पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसे इंटरनेट पर "भारत का सबसे गरीब आदमी" करार दिया गया है. इसके बाद अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह एक "लिपिकीय त्रुटि" यानी टाइपिंग मिस्टेक थी. दरअसल, सतना जिले की कोठी तहसील के नयागांव के किसान रामस्वरूप जिनकी उम्र 45 साल है. उनको जारी किए गए आय प्रमाण पत्र की एक तस्वीर, जिस पर तहसीलदार के हस्ताक्षर भी थे. वो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है.
22 जुलाई को तहसीलदार सौरभ द्विवेदी के हस्ताक्षर से जारी यह दस्तावेज सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, जिसमें लिखे गए वार्षिक आय को देखकर इंटरनेट पर यूजर्स ने रामस्वरूप को "देश का सबसे गरीब आदमी" बताया. वीडियो के वायरल होते ही अधिकारी तुरंत हरकत में आए और 25 जुलाई तक एक नया प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया, जिससे किसान की वार्षिक आय 30,000 रुपये यानी 2,500 रुपये प्रति माह हो गई है.
बता दें कि गड़बड़ी वाले प्रमाणपत्र में किसान रामस्वरूप की मासिक आय 25 पैसे बताई गई थी, जिसके बाद तहसीलदार सौरभ द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि यह एक लिपिकीय त्रुटि थी, जिसे सुधार लिया गया है. साथ ही नया आय प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया है.
मध्य प्रदेश कांग्रेस ने इस गलती पर पलटवार करते हुए गड़बड़ी वाले प्रमाणपत्र को X पर शेयर किया है. पार्टी ने अपने पोस्ट में दावा किया है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के शासन में, हमें भारत का सबसे गरीब आदमी मिला! वार्षिक आय: मात्र 3 रुपये! है. उन्होंने आरोप लगाया है कि क्या यह चौंकाने वाला नहीं है? लोगों को गरीब बनाने का मिशन? क्योंकि अब कुर्सी खुद कमीशन खा रही है.